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Prayagraj MahaKumbh : प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में रिकॉर्ड तोड़ भीड़ उमड़ रही है। लोगों का खाली हाथ चलना भी मुश्किल हो रहा है। इस अफरातफरी के बीच ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं जो दिल को सुकून देती हैं। एक तस्वीर में एक महिला अपनी बुजुर्ग सास को पीठ पर लादकर भीड़ के साथ संगम की ओर बढ़ती नजर आ रही है। वह करीब 5 किलोमीटर तक बिना रुके मेले में पहुंची। इसी तरह एक बेटा अपनी 70 साल की मां को कांवड़ में बैठाकर संगम में स्नान कराने लाया है।
सास को स्नान कराकर पुण्य कमाया
एक महिला करीब 5 किमी तक बिना रुके-थके मेले में पहुंची। उसकी पीठ पर सास थीं। इसके बावजूद महिला के चेहरे की मुस्कुराहट बता रही है कि वह अपनी सास को स्नान कराकर बहुत बड़ा पुण्य पाने वाली है। महिला ने बताया कि सास ने महाकुंभ में स्नान की इच्छा जताई थी। लेकिन इतनी भीड़ होने की खबरों से हिम्मत नहीं पड़ रही थी। बावजूद इसके उसने ठान लिया कि हर हाल में अपनी सास की इच्छा पूरी करेगी। इसके बाद वह अपने घर से प्रयागराज आ तो गई, लेकिन यहां पता चला कि 8 किमी पैदल चलना है। इसके बावजूद महिला ने हिम्मत नहीं हारी और सास को पीठ पर बैठाकर महाकुंभ पहुंच गई।
हाथों के बल चलकर 400 किमी की यात्रा
झांसी के रहने वाले सुरेश कुमार पाल दिव्यांग हैं। वे हाथों के बल चलकर महाकुंभ पहुंचे। झांसी से प्रयागराज की दूरी 400 किमी है। वे बैठे-बैठे ही चल सकते हैं। सुरेश पाल ने कहा- सब लोग आ रहे थे। मेरा भी आने का मन कर रहा था। लोगों ने कहा कि तुम दिव्यांग हो और चल नहीं पाओगे। इसके बाद मैं झांसी से पैदल यहां आया हूं। कल मौनी अमावस्या पर स्नान करूंगा। ऐसा मेला पहले कभी नहीं देखा। व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं। यहां स्नान करने के बाद पैदल ही घर जाऊंगा। कोई दिक्कत नहीं है।
95 साल की मां को कराया महाकुंभ में स्नान
बेटा अपनी 95 साल की मां को घोड़ागाड़ी खींचकर महाकुंभ ले जा रहा है। 65 साल के सुदेश पाल मुजफ्फरनगर के खतौली ब्लॉक में रहते हैं। उनकी 95 साल की मां इस बार महाकुंभ में स्नान करना चाहती थीं। बेटे ने मां की इच्छा का पूरा सम्मान किया। उसने मां को बग्गी में बैठाया और खुद उसे खींचते हुए घर से निकल पड़ा। करीब 700 किलोमीटर की दूरी तय कर वह महाकुंभ पहुंचेंगे। खास बात यह है कि सुदेश पाल के घुटने खराब हो गए थे। लेकिन मां की दुआओं और इलाज से वह फिर से चलने लायक हो गए। सुदेश ने कहा कि मां की दुआओं ने मुझे फिर से चलने लायक बना दिया। अब मैं उन्हें महाकुंभ के पावन अवसर पर लेकर जा रहा हूं।
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