जीत के लिए कांग्रेस बना रही रणनीति, ओवर कॉन्फिडेंस ले न डूबे बीजेपी को
भोपाल. विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद बीजेपी आत्मविश्वास से लबरेज है। लोकसभा चुनाव के लिए नेता 'अबकी बार, 400 पार' का नारा दे रहे हैं। मध्य प्रदेश में मिशन—29 ( बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव को टारगेट कर लड़ रही है ) को फतह करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इसके उलट आदिवासी बाहुल कुछ लोकसभा सीटों पर बीजेपी कमजोर नजर आ रही है। अंदरूनी सर्वे में दावा किया गया है कि आदिवासी बाहुल सीटों पर सीधे तौर पर बीजेपी को नुकसान हो सकता है।
दिसंबर 23 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों में भारी जीत से बीजेपी नेता उत्साहित नजर आ रहे हैं। बीजेपी ने एमपी में 163 सीटें हासिल की हैं। अब लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की बात कही जा रही है, लेकिन कुछ सीटों पर बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है।
यही वजह है कि भाजपा ने 11 सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं। कांग्रेस ने 18 सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया है। इनमें से 7 सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा-कांग्रेस के नए चेहरों के बीच मुकाबला होने वाला है। वहीं, दमोह लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दो पूर्व विधायकों के बीच मुकाबला होगा।
— कांग्रेस ने शुरू की घेराबंदी
29 लोकसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में धार, खरगोन, रतलाम, शहडोल, मंडला और बैतूल 6 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि 4 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सभी आरक्षित सीटें भाजपा ने जीती थीं। इस बार कांग्रेस अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर जीत के लिए काम कर रही है। यहां आदिवासी वर्ग को साधने का प्रयास किया जा रहा है।
— 66 में से 22 सीटें जीती कांग्रेस
आदिवासी बहुल सीटों पर जीत का कांग्रेस का दावा पिछले चुनाव के परिणाम की याद भी दिलाता है। दरअसल, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलीं कुल 66 सीटों में से 22 सीटें आदिवासी विधानसभा क्षेत्रों की हैं। मालवा और निमाड़ में सबसे ज्यादा 22 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थीं, उनमें से 11 सीटें कांग्रेस की झोली में आई हैं। जयस के साथ जाना भी कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुआ था।
— संघ के सर्वे ने बढ़ाई चिंता
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक अंदरूनी सर्वे के अनुसार, एसटी बहुल लोकसभा सीट धार, मंडला और रतलाम में बीजेपी की स्थिति अच्छी नहीं है। यहां जमीनी कार्यकर्ताओं में बीजेपी के खिलाफ नाराजगी है। दूसरा पार्टी के बड़े नेता अति आत्मविश्वास में हैं। मैदानी कार्यकर्ताओं के तथ्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस मुद्दे पर एक बड़े नेता का कहना है कि जब कार्यकर्ता घर बैठ जाएंगे तो बीजेपी को और मुश्किल होगी। लिहाजा, बीजेपी को डेमेज कंट्रोल के लिए जल्द ठोस कदम उठाना होंगे।
— कहता है गणित
मध्यप्रदेश में शहडोल, मंडला, रतलाम, धार, खरगोन और बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति यानी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जबकि गुना, सतना, सीधी, बालाघाट, छिंदवाड़ा सीट पर आदिवासियों के वोट निर्णायक भूमिका में रहते हैं।
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Loksabha Election 2024: आदिवासी सीटों पर BJP कमजोर, RSS के अंदरूनी सर्वे ने उड़ाई नींद
— TheSootr (@TheSootr) March 30, 2024
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