New Delhi. देश की राजधानी दिल्ली ( capital new delhi ) में सात लोकसभा सीटें ( loksabha seats ) हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ( bjp ) ने बड़े मार्जन से सातों सीटें जीत ली थी। इसके बावजूद जीते गए छह सांसदों को इस बार प्रत्याशी ( candidats ) नहीं बनाया गया है। इसे बीजेपी आलाकमान ( highcommand ) का काफी हैरानी भरा निर्णय माना जा रहा है। लेकिन इस बदलाव पर गौर फरमाया जाए तो पार्टी ने इस बार पैराट्रूपर्स (paratroopers) उम्मीदवारों को दिल्ली से दूर रखा है और उन उम्मीदवारों का चयन किया है जिनमें से अधिकतर दिल्ली की जमीनी हकीकत को तो समझते ही हैं, साथ ही सालों से दिल्ली की समस्याओं व राजनीति से जुड़े हुए हैं। दिल्ली की एक और खासियत यह है कि यहां पर चुनाव जातीय-धार्मिक समीकरणों के बजाय देश के मुद्दों और स्थानीय सुविधाओं को लेकर लड़ा जाता है।
कौन होते हैं पैराट्रूपर्स उम्मीदवार
पहले हम यह समझ लें कि पैराट्रूपर्स प्रत्याशी क्या है। असल में ये वे नेता होते हैं जिनका अपने राज्य या इलाके में कोई जनाधार नहीं होता और न ही उन्हें राजनीति से कोई मतलब होता है, लेकिन वे नामी सेलिब्रिटी होते हैं, इसलिए उम्मीदवार बन जाते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐसे ही दो उम्मीदवारों को उतारा था, इनमें पंजाबी गायक हंसराज हंस व नामी क्रिकेटर गौतम गंभीर दोनों ने भारी बहुमत से चुनाव जीता था। इसके बावजूद दिल्ली व देश की राजनीति व इनका कोई योगदान नहीं था। लेकिन पार्टी ने इस बार ऐसे हवाई नेताओं को तरजीह नहीं दी है और दिल्ली को समझने वाले नेताओं पर ही दांव लगाया है।
मनोज तिवारी को इसलिए मिला तीसरी बार टिकट
वैसे आपको यह भी बता दें कि पार्टी ने सातों लोकसभा सीटों में किसको टिकट दिया है और क्यों। पार्टी ने इस बार उत्तर-पूर्वी लोकसभा सीट से भोजपुरी गायक व कलाकार मनोज तिवारी को तीसरी बार टिकट दिया है। वह लोगों को आकर्षित तो करते ही हैं, इलाके के लोगों के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं। वह दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और लगातार दिल्ली से ही जुड़े हुए हैं। वैसे राजधानी की जो वीआईपी लोकसभा सीटी नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज को टिकट मिला है, उन्होंने दिल्ली में राजनीति हाल में शुरू की है। लेकिन उनका पॉजिटिव प्वाइंट यह है कि वह पार्टी की नामी नेता सुषमा स्वराज की बेटी हैं और कुशल वक्ता भी।
निगम की राजनीति भी कर चुके हैं प्रत्याशी
खास बात यह है कि बीजेपी ने दिल्ली में दो महिलाओं को टिकट से नवाजा है, इनमें से पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सहरावत भी शामिल हैं। वह दिल्ली की मेयर रह चुकी हैं और वर्तमान में निगम पार्षद हैं। वह सालों से दिल्ली देहात में लोगों से संपर्क में हैं। जमीनी रणनीति को पार्टी दिल्ली के दो पूर्व मेयरों को भी टिकट दिया है। इनमें उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से योगेंद्र चंदोलिया और पूर्वी दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा शामिल हैं। यह दोनों सालों से दिल्ली की राजनीति से जुड़े हैं और धरना-आंदोलन भी कर रहे हैं। इसी तरह पार्टी ने दक्षिणी दिल्ली लोकसभा से रामबीर सिंह बिधूड़ी को टिकट से नवाजा है। वह दिल्ली में कई बार के विधायक हैं और वर्तमान में दिल्ली सरकार में विपक्ष के नेता हैं। चांदनी चौक से कारोबारी नेता प्रवीण खंडेलवाल को टिकट दिया गया है, वह सालों से दिल्ली व देश की व्यापारिक समस्याओं पर आंदोलन कर रहे हैं।
कांग्रेस-आप का गठबंधन क्या इस बार गुल खिलाएगा
वैसे इस बार सीटों को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी व कांग्रेस में समझौता हो चुका है। यहां तीन सीटों पर कांग्रेस और चार पर आप के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। लेकिन पिछले चुनाव के रिजल्ट में इन दोनों का वोट प्रतिशत जोड़ लिया जाए तो वह बीजेपी की जीत से काफी कम रहा था। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दिल्ली में कुल वोटों का करीब 57 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि कांग्रेस को 22 और आप को 18 प्रतिशत। यानि दोनों का वोट प्रतिशत करीब 40 था। अब दोनों में गठबंधन है इसलिए चुनाव रोचक होने की संभावना है।
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