इंदौर से बीजेपी के शंकर लालवानी के सामने होंगे कांग्रेस के अक्षय बम!, समन्वय समिति में नाम पर सहमति

अन्य प्रत्याशियों के तौर पर लाइन में मोती सिंह पटेल और अरविंद बागड़ी भी हैं। बाकी सभी नाम की छंटनी हो गई है। हालांकि, टिकट का अंतिम फैसला दिल्ली से ही होगा।

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Marut raj
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संजय गुप्ता, INDORE.

इंदौर लोकसभा के लिए बीजेपी के प्रत्याशी व मौजूदा सांसद शंकर लालवानी ( Shankar Lalwani ) के सामने कांग्रेस ( Congress) की ओर से शिक्षाविद् अक्षय कांति बम (  Akshay Bam ) मैदान में होंगे। शनिवार को इंदौर में लोकसभा समन्वय समिति की बैठक में इस पर सहमति बन गई है। हालांकि अंतिम फैसला दिल्ली से ही होगा। वहीं, अन्य प्रत्याशियों के तौर पर लाइन में मोती सिंह पटेल और अरविंद बागड़ी भी हैं। बाकी सभी नाम की छंटनी हो गई है।

इन्होंने बैठक में तय की सर्वसहमति

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी शेखर की अंतिम यात्रा के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह सहित कई कांग्रेस नेता इंदौर में ही थे। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर और इंदौर सीट के प्रभारी रवि जोशी. शहर अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्‌ढा सहित अन्य नेताओं ने इस दौरान शाम को बैठक की और इसमें चर्चा में शहरी क्षेत्र से बम का नाम और ग्रामीण क्षेत्र से मोती सिंह पटेल ( Moti Singh Patel ) का नाम प्रमुखता से पहले और दूसरे नंबर पर आया। वहीं, इसके बाद अरविंद बागड़ी, चिंटू चौकसे के भी नाम सामने आए, लेकिन सभी ने बम के नाम पर सहमति दे दी। 

यह सारे नाम पहले ही बना चुके थे दूरी

इंदौर सीट के लिए सबसे पहले संजय शुक्ला, विशाल पटेल और सत्तू पटेल का नाम चला था। संजय और विशाल तो बीजेपी के हो गए। उधर सत्तू पहले ही साल 2009 व 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने भी मना कर दिया था। वहीं अमीर प्रत्याशियों में देखे तो मुख्य तौर पर बम और स्वप्निल कोठारी ही बचे थे। कोठारी ने भी दूरी बना ली थी। इसके बाद बम ही एक प्रमुख नाम बचा था। हालांकि, मोती सिंह पटेल का नाम भी दिल्ली स्तर पर चर्चा में रहेगा और दिल्ली ही अंतिम फैसला करेगी।

बम और मांधवानी के कारण ही दिग्गी और सज्जन में हुआ था विवाद

विधानसभा चुनाव के दौरान अक्षय बम ने इंदौर विधानसभा चार से दावेदारी की थी और प्रचार भी शुरू कर दिया था। इसी तरह राजा मांधवानी ने भी प्रचार शुरू कर दिया था। दिग्विजय सिंह अक्षय बम को टिकट देने की बात कह रहे थे, लेकिन सज्जन सिंह वर्मा ने ऐसा खेल खेला कि टिकट राजा मांधवानी का हो गया। इसके चलते कुछ दिन तक सिंह ने चुनाव प्रचार से भी दूरी बना ली थी। चुनाव में मांधवानी 68 हजार वोट से हार गए।

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