BHOPAL. भारत में लोकसभा (LOK SABHA) चुनाव के लिए बहुत कम समय बचा हुआ है, 17वीं लोकसभा के कार्यकाल का अंतिम बजट (Budget) सत्र 10 फरवरी को खत्म हो गया, इसी बीच संसदीय प्रणाली पर रिसर्च करने वाली संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव ( PRS Legislative) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि 17वीं लोकसभा में संसद सत्र के वक्त सांसदों (MPs) की परफॉर्मेंस कैसी रही ? रिपोर्ट के अनुसार कुछ सांसदों ने 17वीं लोकसभ में एक भी सत्र नहीं छोड़े, वहीं कुछ सांसदों ने इस कार्यकाल में चुप्पी बनाए रखी।
17वीं लोकसभा में कुल 274 बैठक
पीआरएस लेजिस्लेटिव की रिपोर्ट के अनुसार 17वीं लोकसभा के 5 साल के कार्यकाल के संसद सत्र के दौरान कुल 274 बैठकें हुईं, जो पिछली सभी पूर्णकालिक लोकसभाओं की तुलना में सबसे कम है। इन बैठकों में बीजेपी के दो सांसदों ने 100 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की है, जो अजमेर और कांकेर के सांसद हैं। वहीं सांसद सनी देओल और शत्रुघन सिन्हा संसद की एक भी बहस में शामिल नहीं हुए।
सिन्हा 3 लाख वोटों और सनी 5 लाख 58 हजार वोटों से जीते
शत्रुघन सिन्हा (Shatrughan Sinha) बंगाल के आसनसोल लोकसभा सीट से टीएमसी के सांसद हैं। अप्रैल 2022 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ था, उस समय शत्रुघन सिन्हा ने बीजेपी के उम्मीदवार अग्निमित्र पॉल को हराकर तीन लाख वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं बीजेपी सांसद सनी देओल (sunny deol) पंजाब के गुरदासपुर से सांसद हैं। सनी देओल ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह राजनीति से संन्यास लेंगे। वजह बताई- क्षेत्र के लोगों और संसद की बैठक में समय नहीं दे पा रहा हूं, इसलिए यह निर्णय लिया है। सनी देओल ने साल 2019 में गुरदासपुर सीट से कांग्रेस के सुनील जाखड़ को हराया था, उस समय देओल को 5 लाख 58 हजार वोट मिले थे।
संसद में सबसे कम उपस्थित रहे सांसद
- शत्रुघन सिन्हा पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टीएमसी सांसद हैं।
- सनी देओल पंजाब के गुरदालपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- प्रधान बरुआ लखीमपुर सीट से सांसद हैं।
- श्रीनिवास प्रसाद चामराजनगर लोकसभा सीट से सांसद हैं।
- रमेश जिगाजिनागी कर्नाटक के बीजापुर का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- बीएन बाचे गौड़ा कर्नाटक के चिक्कावल्लापुर सीट से सांसद हैं।
- दिब्येंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल के तामलुक सीट से सांसद हैं।
- अतुल सिंह घोसी सीट से सांसद हैं।
दोनों सांसदों के अलावा भारतीय जनता पार्टी के प्रधान बरुआ, अनंत कुमार हेगड़े, वी श्रीनिवास प्रसाद, रमेश जिगाजिनागी, बीएन बाचे गौड़ा, दिब्येंदु अधिकारी और अतुल सिंह भी उन सांसदों की लिस्ट में शमिल हैं, जो 17वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान संसद में हुए किसी भी बहस और चर्चा में शामिल नहीं हुए।
सबसे ज्यादा एक्टिव सांसद
- पुष्पेंद्र सिंह चंदेल कुल 1194 बहस में उपस्थित रहकर प्रथम स्थान पर बने रहे।
- कुलदीप राय शर्मा 833 बहस में शामिल हुए।
- मलूक नागर 582 बहस में शामिल हुए।
- डी एनवी सेंथिलकुमार 307 बहस में शामिल रहे।
- एमके प्रेमचंद्रन 265 बहस में शामिल रहे।
- सुप्रिया सुले 248 बहस में शामिल रहे।
कांकेर सांसद मोहन मंडावी और अजमेर सांसद चौधरी की शत-प्रतिशत उपस्थिति
लोकसभा के 17वीं कार्यकाल में कुछ सांसद ने 274 बैठक में एक भी बैठक नहीं छोड़ी है, इस तरह उन्होंने सभी बैठक में शामिल होने का एक अलग ही रिकॉर्ड बना लिया है, इन सांसदों में छत्तीसगढ़ के कांकेर से बीजेपी के सांसद मोहन मंडावी और अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी का शामिल है।
77 % महिला सांसदों की औसत उपस्थिति रही, 79 % पुरुषों की
- पीआरएस लेजिस्लेटिव रिपोर्ट के अनुसार में 17वीं लोकसभा में हुए कुल संसद सत्रों में महिला सांसदों की औसत उपस्थिति 77 प्रतिशत रही, जबकि पुरुष सांसदों की उपस्थिति औसतन 79 प्रतिशत रही है।
- 16वीं लोकसभा से सांसदों की उपस्थिति 75 प्रतिशत से 80 प्रतिशत के बीच रही है, इस लोकसभा में लगभग 60 प्रतिशत सांसदों की उपस्थिति 80 प्रतिशत से ज्यादा है और 10 प्रतिशत सदस्य ही ऐसे हैं जिनकी उपस्थिति 60 प्रतिशत से कम है।
- 17वीं लोकसभा में, सबसे ज्यादा सांसदों की उपस्थिति विशेष सत्र 2023 में 92 प्रतिशत रही, विशेष सत्र 2023 के बाद बजट सत्र 2019 में सबसे ज्यादा सासंद 88 प्रतिशत सांसद उपस्थित रहे थे।
सांसदों की औसत उपस्थिति
- 15वीं लोकसभा में 76 प्रतिशत सासंद उपस्थित रहे।
- 16वीं लोकसभा में 89 प्रतिशत सासंद उपस्थित रहे।
- 17वीं लोकसभा में 79 प्रतिशत सासंद उपस्थित रहे।
कोविड में कैसी रही सांसदों की उपस्थिति
2021 में कोविड महामारी के कारण बजट सत्र में 69 प्रतिशत सांसदों की उपस्थिति रही, इसके अलावा किसी भी सत्र में इनकी उपस्थिति 70 प्रतिशत से कम नहीं हुई।
एक्टिव सासंदों में पुष्पेंद्र सिंह चंदेल टॉप पर
रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा के 17वें कार्यकाल में सबसे ज्यादा एक्टिव रहने वाले सांसद में पुष्पेंद्र सिंह चंदेल प्रथम स्थान पर है, उन्होंने कुल 1194 बहस में भाग लिया है, कुलदीप राय शर्मा ने 833, मलूक नागर ने 582, डी एनवी सेंथिलकुमार ने 307, एनके प्रेमचंद्रन ने 265 और सुप्रिया सुले ने 248 बहस में भाग लिया।
पीआरएस लेजिस्लेटिव क्या है ? और किस आधार पर तय करती है परफॉर्मेंस
पीआरएस लेजिस्लेटिव, रिसर्च संगठन है। जिसे पीआरएस (PRS) के नाम से जाना जाता है, यह एक गैर-लाभकारी संगठन है। इसका उद्देश्य भारत में लेजिस्लेटिव प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और मजबूत करना है।
पीआरएस भारत के एकमात्र संगठनों में से एक है जो संसद के कामकाज पर रिपोर्ट जारी करता है। पीआरएस लेजिस्लेटिव लोकसभा के कार्यकाल के दौरान सांसदों के विधेयकों पर चर्चा में भाग लेने, शून्यकाल के दौरान मुद्दे उठाने और अन्य सदस्यों की तरफ से उठाए गए मुद्दों से जुड़े हुए बहस में उनकी भागीदारी के हिसाब से उन्हें श्रेणी में रखता है।
17वीं लोकसभा में PM मोदी का आखिरी भाषण
संसद के बजट सत्र का समापन पीएम मोदी के भाषण के साथ हुआ, उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में कई बड़े फैसले लिए गए हैं, पीएम ने कहा कि पिछले पांच सालों में हमारे देश ने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म किया है। उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में 5 साल देश सेवा में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए गए और इसी बीच अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन हमने अपने सामर्थ्य से देश को उचित दिशा देने का सदैव प्रयास किया है। पीएम मोदी ने सभी सांसदों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, संकट काल में देश की जरूरतों को देखते हुए जब मैंने माननीय सांसदों के सामने सांसद निधि छोड़ने का प्रस्ताव रखा, तो एक पल में ही सभी सांसदों ने इस प्रस्ताव को मान लिया।