संजय गुप्ता@ INDORE.
बीजेपी ने मप्र में 29- 0 से क्लीन स्वीप कर दिया है। बीते चुनाव में कांग्रेस के पास रही इकलौती सीट छिंदवाड़ा भी बीजेपी के खाते में चली गई है। इसके लिए बीजेपी ने सौ फीसदी जीत के ट्रैक रिकार्ड वाले कैलाश विजयवर्गीय ( Kailash Vijayvargiya ) को विशेष तौर पर लगाया था और यह कार्ड पूरी तरह सफल रहा। पहली आम चुनाव में यह सीट बीजेपी के पास गई है, इसके पहले 1997 में उपचुनाव में सुंदरलाल पटवा एक बार जीते थे।
विजयवर्गीय इस जीत पर क्या बोले
विजयवर्गीय ने कहा कि पीएम मोदी जी का नेतृत्व रहा, अमित जी ने जिम्मेदारी दी, नड्डा जी की संगठन क्षमता, सीएम का लोकप्रिय नेतृत्व और कार्यकर्ता, उन्होंने बहुत मेहनत की। इसी वजह से हम जीते हैं। 29 सभी सीट जीतने पर कहा कि मप्र की जनता मोदीजी को पसंद करती है, उनके विकास में विश्ववास है और वह चाहती है कि मप्र में डबल इंजन में सरकार रहे। इसलिए यहां क्लीन स्वीप हुआ है।
कठिन क्लस्टर के प्रभारी थे विजयवर्गीय
विजयवर्गीय मप्र के सबसे कठिन माने जा रहे क्लस्टर महाकौशल के प्रभारी थे। इसमें मंडला सीट के साथ बालाघाट, जबलपुर, छिंदवाड़ा जैसी सीट थे, यहां छिंदवाड़ा के साथ मंडला भी काफी टफ माना जा रहा था। लेकिन यह सभी सीट बीजेपी ने अपने खाते में डाली।
विजयववर्गीय का जीत का ट्रैक रिकार्ड
विजयवर्गीय का सौ फीसदी जीत का ट्रैक रिकार्ड रहा है। वह जहां भी गए हैं, वह विधानसभा सीट फिर बीजेपी कभी नहीं हारी
- पहला विधानसभा चुनाव इंदौर चार में 1990 में लड़े और जीते, आज तक वह सीट बीजेपी नहीं हारी
- दूसरा चुनाव 1993 में इंदौर दो से लड़े और जीते, आज तक .यह सीट बीजेपी नहीं हारी है, यहां सबसे ज्यादा वोट से जीत हासिल करती है बीजेपी।
- इसके बाद फिर उनकी सीट 2008 में बदली और महू गए वहां से जो जीते तो आज तक बीजेपी वहां से नहीं हारी है
- साल 2023 में वह इंदौर एक से मैदान में उतरे और जीते
पश्चिम बंगाल में भी लहराया था परचम
विजयवर्गीय राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में हरियाणा के चुनाव प्रभारी पहली बार बने और पहली बार वहां बीजेपी की सरकार बनी। फिर वह पश्चिम बंगाल गए और वहां लोकसभा में 18 सीट जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव नहीं जीते लेकिन वहां बीजेपी ने ऐतिसाहिक तौर पर सीट बढ़ाई थी।
विजयवर्गीय ने मीडिया से चर्चा में राहुल गांधी की भी तारीफ की और कहा कि प्रतिपक्ष भी मजबूत होना चाहिए। उन्होंने मेहनत की थी, पैदल चले, दौड़े, जिम गए, गांव-गांव गए। लोकतत्रं में जनता के जनादेश को स्वीकार करना चाहिए।
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