अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं... चुनाव आयुक्त ने क्यों कही यह बात

कमिश्नर ने जानकारी दी कि विभिन्न कोर्ट में EVM को लेकर 40 बार याचिकाएं डाली गई और कोर्ट ने समीक्षा के बाद हर बार इन्हें रिजेक्ट कर दिया है। अब तो हालात यह हैं कि मशीन के खिलाफ याचिका लगाने वालों पर कोर्ट जुर्माना भी कर रहा है।

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Dr Rameshwar Dayal
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New Delhi: चुनाव आयोग ( ECI ) की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ( EVM ) का मसला भी उठा और पूछा गया कि विभिन्न पार्टियों के नेता इस मशीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ( Rajiv Kumar ) ने अपनी टीम के साथ इसकी डिटेल में जानकारी दी और बताया कि ईवीएम 100 प्रतिशत फुलप्रूफ है और अब तो कोर्ट में जाने वालों पर जुर्माना तक लगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमने तो यह जानकारी लगातार दी है कि कितनी बार सत्ता में रहने वाली पार्टी को EVM ने बदल दिया है। 

EVM पर क्या आरोप लगते हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार यह आरोप लगते हैं कि EVM को हैक किया जा सकता है, यह चोरी हो जाती है, करीब 19 लाख मशीनें गायब हैं, इसमें ढंग से दिखाई नहीं देता, इसे कम्प्यूटर से खराब किया जा सकता है और रिजल्ट तक को बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमने सभी सवालों का जवाब लगातार दिया है और इस पर किताब भी छाप दी है, लेकिन दुख की बात यह है कि आरोप लगाने वाले इसे नहीं पढ़ते, जबकि हमने सभी आरोपों का ब्यौरवार जवाब दिया है और हम कहना चाहते हैं कि यह मशीन 100 प्रतिशत फुलप्रूफ है।

कोर्ट ने भी मशीनों पर सवाल नहीं खड़े किए

उन्होंने जानकारी दी कि विभिन्न कोर्ट में EVM को लेकर 40 बार याचिकाएं डाली गई और कोर्ट ने समीक्षा के बाद हर बार इन्हें रिजेक्ट कर दिया है। अब तो हालात यह हैं कि मशीन के खिलाफ याचिका लगाने वालों पर कोर्ट जुर्माना भी कर रहा है। हाल ही में हाई कोर्ट ने 10 हजार का जुर्माना किया और सुप्रीम कोर्ट तो 50 हजार रुपये तक को जुर्माना लगा चुका है। हम यह कहना चाहते हैं कि EVM को हैक नहीं किया जा सकता और इसके परिणाम ही इसकी सच्चाई के प्रमाण हैं।

फर्जी एक्सपर्ट सनसनी गुमराह करते हैं।

उन्होंने जानकारी दी कि आजकल सोशल मीडिया पर EVM के फर्जी एक्सपर्ट बैठ जाते हैं और अपने तरीके से मशीन पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर डिब्बा लेकर लोग बैठ जाते हैं, जो टूल बॉक्स जैसा दिखता है। कोई उनसे पूछे कि वह इसके कहां से एक्सपर्ट हैं, उनकी डिग्री क्या है। वे इधर बटन दबाते हैं, उधर पर्ची दिखाते हैं और फिर सवाल खड़े करते हैं। उनसे पूछो कि कौन सा बटन दबाया और कहां से पर्ची निकाली।

क्या कदम उठाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि शंकाओं से निपटने के लिए अब यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि जिस बूथ पर जो मशीन जाएगी, उसके नंबर की जानकारी प्रत्याशी को दी जाएगी। हमारा यह सिस्टम भी जारी है कि मशीन शुरू होने से पहले तीन बार प्रत्याशी व उनके समर्थकों के सामने मॉक पोल किया जाता है। पोलिंग शुरू होने से पहले सभी को मशीन का पूरा सिस्टम दिखाया व समझाया जाता है। मशीन फुलप्रूफ है, इसका प्रमाण यही है कि कितनी बार सत्ता में रहने वाली पार्टी को EVM ने बदल दिया है। उन्होंने एक शेर में इवीएम का दर्द भी बयां किया:-

अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं।

वफा खुद से नहीं होती, खता ईवीएम की कहते हो।।

इस समस्या के समाधान की कवायद चल रही है

आयुक्त के अनुसार इस बात की शिकायतें हैं कि मशीनों के निकले रिजल्ट के बाद यह जानकारी मिल जाती है कि किस क्षेत्र के वोटरों ने किसको वोट दिया। जिसके बाद कुछ शंका-आशंकाएं फैलने लगती है। इसके समाधान के लिए हमने यह विचार किया कि मतगणना से पहले आठ मशीनों के सिस्टम को एक साथ जोड़कर रिजल्ट निकाला जाए। लेकिन हमें लगा कि इसके बाद नेता व उनके समर्थक ओर सवाल करने लग जाएंगे। आयुक्त के अनुसार जल्द ही इसका समाधान निकाल लिया जाएगा। इस समस्या के समाधान के प्रयास जारी हैं।

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