देश में होने वाले लोकसभा चुनाव ( loksabha election ) कब होंगे, इसकी जानकारी केंद्रीय चुनाव आयोग ( ECI ) कल बताने जा रहा है। विशेष बात यह है कि आयोग लोकसभा चुनाव के साथ-साथ कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों ( vidhansabha election ) की घोषणा भी कर सकता है। देखना यह होगा कि इस बार आयोग लोकसभा चुनावों को कितने चरणों में करवाता है। पिछले लोकसभा चुनाव सात चरणों में सपन्न कर लिए गए थे।
घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो जाएगी
लोकसभा चुनावों की जानकारी देने के लिए आयोग ने कल दोपहर तीन बजे प्रेस-कॉन्फ्रेंस बुलाई है। आयोग सूत्रों के अनुसार वहां लोकसभा चुनाव की पूरी जानकारी तो दी ही जाएगी साथ ही कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में भी खुलासा किया जाएगा। ऐसा होते ही देश में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। देखना यह होगा कि विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ होते हैं या बाद में इस मसले यानी एक देश-एक चुनाव मसले पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई ने एक उच्चस्तरीय कमेटी ने रिपोर्ट तैयार कर सौंप दी है। संभव है कि इसकी शुरुआत करते हुए लोकसभा व कुछ विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ करवा लिए जाएं, ताकि नई परंपरा की शुरुआत हो जाए।
पिछली बार की तरह कई चरणों में होंगे चुनाव
गौरतलब है कि पांच साल पूर्व हुए लोकसभा चुनाव को आयोग ने सात चरणों में पूरा किया था। यह चुनाव 11 अप्रैल 2019 को शुरू हुए थे और 19 मई को सातवें चरण के रूप में खत्म हो गए थे। मतगणना के बाद दूसरी ओर मोदी सरकार ने देश सत्ता संभाली थी। इस बार भी संभावना जताई जा रही है कि यह चुनाव चरणों में ही होंगे। लेकिन कितने चरणों में होंगे इसका खाका कल ही पता चल पाएगा। कई चरणों में चुनाव अब इसलिए हो रहे हैं ताकि सुरक्षा बल व अन्य स्टाफ को किसी प्रकार की परेशान न हो और आसानी से चुनाव निपट जाएं।
नए आयुक्तों ने पदभार संभाला
इसी कड़ी में आज देश के दो चुनाव आयुक्तों ने अपना पदभार भी संभाल लिया है। नए आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की समिति ने नियुक्त किया था। इस आदेश को नोटिफाई भी कर दिया गया था। दोनों नए आयुक्ति भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से रिटायर्ड हैं। इनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर नेता विपक्ष अधीर रंजन ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस मामले में बैठक शुरू होने के दस मिनट पहले 6 नाम उसके पास आए। उन्होंने इस प्रक्रिया का विरोध किया, क्योंकि यह तो होना ही था। उनकी मांग थी कि इस समिति में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को रखना चाहिए।