This is the reason for Rahul Gandhi to fight from Rae Bareli instead of Amethi
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ( Congress leader Rahul Gandhi ) के रायबरेली लोकसभा सीट ( Raebareli Lok Sabha seat ) से नामांकन फॉर्म जमा करने के साथ ही लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) का रिजल्ट से पहले का सबसे बड़ा सस्पेंश खत्म हो गया है। राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने की भी चर्चा थी। राहुल ने अमेठी की जगह रायबरेली को ही चुना। अमेठी लोकसभा सीट ( Amethi Lok Sabha seat ) से चुनाव न लड़ने की क्या वजह रही, किस आधार पर उनकी टीम ने यह निर्णय लिया। इस बारे में राजनीति के रणनीतिकार क्या वजह बता रहे हैं, मीडिया रिपोर्ट्स क्या कह रही हैं, आइए आपको बताते हैं विस्तार से।
1. कांग्रेस के महज 14% वोट
उत्तर प्रदेश के पिछले 4 विधानसभा चुनावों को देखा जाए तो अमेठी सीट की विधानसभा सीटों के औसतन वोट शेयर में कांग्रेस का हिस्सा कम हुआ है। 2007 के चुनाव में कांग्रेस ने 34.2% वोट शेयर हासिल किया था, जो 2022 तक के चुनाव लगातार घटा और 14.2% पर सिमट गया
2017 के विधानसभा चुनाव में अमेठी की 5 में से 4 विधानसभा सीटों पर BJP ने जीत दर्ज की और एक सीट सपा को मिली। इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव में BJP ने अमेठी लोकसभा की पांच में से दो विधानसभा पर जीत हासिल की। साथ ही हर सीट पर जीत का अंतर लगभग 22 हजार से लेकर 77 हजार तक रहा। सपा ने गौरीगंज और अमेठी की सीट पर जीत हासिल की। कांग्रेस यहां से कोई विधानसभा सीट नहीं जीत सकी। 4 विधानसभा में तीसरे नंबर, जबकि जगदीशपुर सीट पर दूसरे नंबर पर रही।
2. स्मृति ईरानी ने घर बनाया, राहुल के सिर्फ 2 दौरे
2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने वादा किया था कि अगर वो अमेठी से जीतती हैं तो जनता को सांसद से मिलने के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। उसी वादे पूरा करते हुए स्मृति ने फरवरी 2024 में अमेठी में अपना घर बनाया। केंद्रीय मंत्री स्मृति ने एक संदेश दिया कि वो अमेठी की जनता के बीच रहकर उनके लिए काम करेंगी। स्मृति ईरानी अमेठी की मतदाता भी बन गई हैं।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि केंद्र में मंत्री होने की वजह से स्मृति ईरानी का राजनीतिक कद बढ़ा है। राज्य और केंद्र में BJP की ही सरकार होने से अमेठी का विकास करने में स्मृति को मदद हुई है। स्मृति ने अमेठी की जनता से भावनात्मक रिश्ता बनाने का काम किया है।
उधर दूसरी तरफ, राहुल गांधी ने 2019 की हार के बाद अमेठी से दूरी बनाई है। 19 जुलाई 2019 को अपनी हार के कारणों की समीक्षा करने के बाद करीब ढाई साल बाद दिसंबर 2021 को राहुल पहली बार अमेठी पहुंचे। कांग्रेस के जन जागरण अभियान में शामिल होने के लिए राहुल यहां पहुंचे थे। इसके बाद 2 साल बाद भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी अमेठी आए थे।
3. गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता BJP में शामिल
अमेठी कांग्रेस और गांधी परिवार के सिपहसलार कहलाए जाने वाले कई नेताओं ने 2019 के बाद कांग्रेस छोड़ BJP का दमन थाम लिया। मसलन- गांधी परिवार को अमेठी में स्थापित करने वाले डॉ. संजय सिंह 2019 लोकसभा चुनाव के बाद BJP में शामिल हो गए थे। डॉ. संजय अमेठी से विधायक और सांसद रह चुके हैं। UP 2022 चुनाव में वो सपा कैंडिडेट महाराजी देवी से हार गए थे।
इसी तरह 2017 में जंगबहादुर सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने इसका कारण कांग्रेस की नीतियों से दुखी होना बताया था। साथ कहा था, ‘अमेठी खराब सड़कों का पर्याय बन गया है।’ जंगबहादुर 1995 के नवनिर्वाचित प्रधान की हत्या के मामले में सीधे शामिल थे, जिसमें 2021 में उन्हें 10 साल की सजा मिली थी।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मौजूदगी में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव राजेश्वर सिंह और बाजार शुकुल के पूर्व ब्लाक प्रमुख दद्दन सिंह समेत दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ता BJP में शामिल हुए थे। चुनाव के ऐलान के बाद से कांग्रेस के कई क्षेत्रीय नेताओं ने BJP जॉइन की है।
4. सवर्ण वोट कांग्रेस की बड़ी चुनौती
चुनाव आयोग के 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, अमेठी लोकसभा में 17.16 लाख कुल वोटर थे। जातीय नजर से देखें तो इनमें सबसे ज्यादा संख्या अनुसूचित जाति (SC) वोटर्स की है। इस सीट पर करीबन 26% दलित वोटर्स हैं। वहीं सवर्ण वोटर्स में ब्राह्मण 18% और क्षत्रिय 11% हैं।
सवर्ण यानी ब्राह्मण और क्षत्रिय वोटर्स परंपरागत तौर पर BJP का वोटबैंक माना जाता है। वहीं BJP को दलित वोट का भी साथ मिल सकता है। ऐसे में अमेठी अच्छा-खासा जातीय वोट BJP की ओर जा सकता है। जातीय समीकरण को साधना राहुल गांधी के लिए बड़ी चुनौती होती।