जबलपुर. जमीन बिक्री की रजिस्ट्रिी के बाद चेक बाउंस होने पर विक्रेता आवेदक दिलराज किशोर अग्रवाल से नामांतरण रोकने के एवज में बरही तहसील के बाबू और पटवारी ने मिलकर डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। दिलराज रिश्वत की पहली किश्त 50 हजार रुपए लेकर 10 मार्च को तहसील बरही (Barhi Tehsil) कार्यालय पहुंचा और बाबू उमेश कुमार निगम को दिए। रिश्वत रकम लेते ही लोकायुक्त जबलपुर (Lokayukta Jabalpur) की टीम ने तहसीलदार के बाबू को रंगेहाथ पकड़ लिया। इस मामले में हल्का नंबर एक सिरौंजा गडरिया के पटवारी शिव प्रसाद पाठक को भी आरोपी बनाया है।
पटवारी मौके से फरार हुआ: दिलराज सिंह ने बताया कि रिश्वत के इस खेल में पटवारी शिव प्रसाद पाठक भी शामिल था और वो उससे पहले भी 10 हजार रुपए की रिश्वत ले चुका था। लेकिन लोकायुक्त के जाल में फंसने से पहले ही पटवारी मौके से भाग निकला।
बाबू रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हुआ: रिश्वत लेते पकड़ाए बाबू का नाम उमेश निगम है, जिसने जमीन नामांतरण को लेकर फरियादी दिलराज अग्रवाल से रिश्वत 1 लाख 50 हजार रुपए की मांग की थी। फरियादी दिलराज ने बताया कि उसने सिजहरा गांव की अपनी जमीन बेची थी। लेकिन खरीदार ने उसे पूरे रुपए नहीं दिए थे इसलिए उसने नामांतरण रुकवाने के लिए उसने तहसील न्यायालय में अपील की थी। इसी के एवज में उमेश निगम द्वारा रुपयों की मांग की गई थी।