योगेश राठौर,INDORE.मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए होने वाली नीट परीक्षा के रिजल्ट को लेकर इंदौर की छात्रा लिपाक्षी पाटीदार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाल ही में हुई 12वीं की परीक्षा में उसे सभी विषयों में डिस्टिंक्शन मिली और जब नीट का रिजल्ट आया तो जीरो अंक दिए गए। बताया जा रहा है कि छात्रा की ओएमआर शीट ब्लैकं थी। छात्रा का कहना है कि उसने 200 प्रश्नों में से 161 प्रश्न हल किए थे और अनुमान था कि उसे 640 नंबर आ सकते हैं।
पिता किसान है, सपना डॉक्टर बनना
आगर जिले के नलखेड़ा के पास भेसोदा गांव में संयुक्त परिवार में रहने वाली लिपाक्षी पाटीदार ने बताया कि उसके पिता बद्रीलाल पाटीदार पेशे से किसान हैं। वह दसवीं क्लास से ही डॉक्टर बनने का सपना देख रही है। बताया जाता है कि लिपाक्षी दसवीं में 87% और 12वीं क्लास में 80% व सभी विषय में डिस्टिंक्शन लेकर आई थी। गांव में सुविधा नहीं होने से कोटा जाकर नीट एग्जाम की तैयारी की। जुलाई में एग्जाम हुई, सितंबर में रिजल्ट आया और इस रिजल्ट में उन्हें जीरो नंबर आए।
गलत नहीं इसलिए दी चुनौती
छात्रा ने एडवोकेट धमेंद्र चेलावत के जरिए इस मामले में हाईकोर्ट में चुनौती दी है। छात्रा की मांग है कि हाई लेवल कमेटी बनाकर असल दस्तावेज की जांच कराई जाए। उसका कहना है कि वो गलत नहीं है इसलिए उन्होंने चुनौती दी है। लिपाक्षी ने बताया कि वह इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पढ़ने का सपना है। अगर फैसला नहीं आता है तो उनका यह साल तो खराब हो ही जाएगा। उनका अगला साल खराब न हो इसलिए वह अभी से परीक्षा की तैयारी करेगी।
जीरो कैसे मिल सकते हैं, जब 161 सवाल किए
छात्रा ने बताया कि एग्जाम में जब वह 200 में से 161 प्रश्न हल करके आई है तो फिर उसे जीरो नंबर कैसे मिल सकते हैं। छात्रा का कहना है कि एग्जाम सेंटर के पर्यवेक्षकों ने दो घंटे के अंतराल में साइन किए थे, लेकिन मेरी शीट पर दोनों का समय समान है। बॉक्स में मैंने अंगूठा भी लगाया था तो वह बॉक्स की लाइन पर आ गया था। जो शीट डाउनलोड किया उसमें अंगूठा ठीक बीच में लगा हुआ है। साइन भी कॉपी की हुई लग रही है। उसका कहना है कि कोई छात्र बिल्कुल भी तैयारी करके न आए तो भी वह परीक्षा में कुछ प्रश्न तो हल करके ही आता है, लेकिन मेरी OMR शीट ब्लैंक निकली।