SINGRAULI: आम आदमी पार्टी की दस्तक के बावजूद परिषद तो बीजेपी के ही कब्जे में रहेगी, जानें क्या कहते हैं चुनाव के परिणाम

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The Sootr CG
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SINGRAULI: आम आदमी पार्टी की दस्तक के बावजूद परिषद तो बीजेपी के ही कब्जे में रहेगी, जानें क्या कहते हैं चुनाव के परिणाम

SINGRAULI. नगर निगम चुनाव (municipal election) में महापौर (mayor) पद पर बीजेपी (BJP) की प्रचंड पराजय के बाद फिलहाल यह कह देना कि बीजेपी अर्श से फर्श पर आ गई है, जल्दबाजी होगी। क्योंकि एक ओर जहां बीजेपी के महापौर प्रत्याशी को मतदाताओं ने सिरे से खारिज कर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की रानी अग्रवाल (rani agarwal) को भारी मतों के अंतर से महापौर पद पर स्थापित किया है। वहीं, बीजेपी के प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया पर असंतोष भी दर्शा दिया है। लेकिन 45 सदस्यीय नगर निगम परिषद गठन के लिए बहुमत के जरूरी आंकड़े 23 पर बीजेपी पार्षदों (councilor) को स्पष्ट जनादेश दिया है।





आम आदमी पार्टी की जीत की वजह





सिंगरौली के मतदाताओं की तासीर को समझने के लिए हमें एक बार फिर से पिछले विधानसभा चुनाव की ओर लौटना पड़ेगा। यहां अनारक्षित विधानसभा सीट सिंगरौली के चुनाव में रानी अग्रवाल सहित सामान्य वर्ग के कई असरदार बीजेपी नेताओं ने टिकट की आस लगाई थी। लेकिन दुबारा टिकट मिल गई राम लल्लू वैश्य को। ऐसा ही हाल कांग्रेस का भी रहा, जहां रेनू शाह को प्रत्याशी बना देने से नाराज अरविन्द सिंह निर्दलीय मैदान में उतर खुली बगावत कर दी, तो वहीं दोनों दलों के अन्य असंतुष्टों ने चुपचाप रह सबक सिखाने का मन बना लिया था। इसी चुनाव में रानी अग्रवाल ने बीजेपी से बगावत कर आप का दामन थाम मैदान में उतर गई और 31936 मत हासिल कर सबको चौका दिया। ऐसा ही कुछ मिलता जुलता परिदृश्य इस नगरीय निकाय चुनाव का भी रहा। कांग्रेस के द्वारा अरविन्द सिंह को और बीजेपी के द्वारा चन्द्र प्रताप विश्वकर्मा को महापौर का प्रत्याशी घोषित किया गया था। ये बात दोनों दलों के बहुसंख्यक नेताओं के गले नहीं उतरी। इसी बीच बीमारी की वजह से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुकीं रानी अग्रवाल का आम आदमी पार्टी के बैनर तले ही उचित अवसर जान महापौरी के लिए भी मैदान में उतर जाना, दोनों प्रमुख दलों के असंतुष्टों को विरोध दर्ज कराने का मुख्य विकल्प बना, जो परिणामस्वरूप 34585 मतों के साथ रानी अग्रवाल के पक्ष में लामबंद हो 9352 के अंतर से आम आदमी पार्टी के महापौर पद पर मध्य प्रदेश ही नहीं संभवत: समूचे देश में पहली जीत कारण बना। दरअसल यह समूचा राजनैतिक घटनाक्रम "बिल्ली के हाथ छींका लगना" जैसा ही है। लिहाजा एकदम से यह मान लिया जाना कि महापौरी जीत लेने के साथ ही आम आदमी पार्टी सिंगरौली में स्थापित हो चुकी है, थोड़ा जल्दबाजी ही होगी। 





आप से बगावत कर मैदान में उतरे थे ओम प्रकाश





आम आदमी पार्टी को सिंगरौली तक पहुंचाने का श्रेय दो लोगों को जाता है। एक संदीप शाह जो जिला पंचायत चुनाव में वार्ड क्रमांक एक उर्ती से निर्वाचित हो, जिला पंचायत सदस्य बन गए हैं। दूसरे हैं ओम प्रकाश शाह, जिनका रानी अग्रवाल द्वारा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद आप के बैनर से महापौर प्रत्याशी के रूप में मैदान में आना तय था। लेकिन उचित अवसर का फायदा उठाने के लिए रानी अग्रवाल का मैदान में आ जाना, इन्हें पसंद नहीं आया और यह निर्दलीय मैदान में उतर गए। जो आप, बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी के बाद सर्वाधिक मत पाने वाले उम्मीदवार भी बने। महापौर पद पर सपा, भाकपा, शिवसेना और जन अधिकार पार्टी पर 3332 मतों के साथ निर्दल ओम प्रकाश का भारी पड़ना कम मायने नहीं रखता है और सही मायने में माना जाय तो यही सिंगरौली में आप के वास्तविक मत हैं। 





एक नजर विजयी पार्षदों पर 





नगरीय निकाय के परिणाम में भले ही बीजेपी के महापौर प्रत्याशी की शर्मनाक हार हुई है लेकिन वार्डों में बीजेपी का दबदबा बरकरार है। बीजेपी के वार्ड-2 से राम मिलन भारती, वार्ड-4 से परमेश्वर पटेल, 6 से अनारकली,  10 से राज बहादुर पनिका, वार्ड- 11 से किरण सिंह , 12 से चंदा देवी, 13 से लालसा कुमारी, 14 से उर्मिला सिंह पटेल, 17 से देवेश पांडेय, 19 से आशीष वैश्य, 21 से कमलेश कुमार वैश्य, 22 से संजय कुमार सिंह, 23 से सावनमति, 26 से सविता, 29 से राम नरेश, 31 से भारतेंदु पांडेय, 34 से रंजना सिंह पटेल, 37 से देवमती, 39 से अनुष्का यादव, 40 से सीमा जायसवाल, 41से गौरी देवी, 42 से संतोष कुमार, वार्ड 44 से श्याम कुमारी शर्मा कुल 23 पार्षद विजई हुए। कांग्रेस पार्टी के वार्ड 1 से पिंकी सिंह, 5 से श्यामा देवी, 8 से नीलम गुप्ता, 9 से शेखर ओम प्रकाश, 16 से शशि सिंह, 18 से अखिलेश सिंह, 20 से शत्रुहन, 27 से बंतो कौर, 35 से रविंद सिंह, 36 से प्रेम सागर मिश्रा, 38 से अनिल वैश्य, 45 से राम गोपाल कुल 12 पार्षद निर्वाचित हुए। आम आदमी पार्टी के वार्ड 3 से नीलू कुमारी, 15 से अर्चना विश्वकर्मा, 24 से शिव कुमारी, 32 से श्यामला वर्मा, 33 से रुकमुन प्रजापति निर्वाचित हुए। बसपा के वार्ड 25 से बबली शाह और वार्ड 43 से खुरसीद आलम पार्षद बने जबकि वार्ड 7 से शिव शंकर प्रसाद, 28 से रीता प्रजापति और वार्ड 30 से अंजना निर्दलीय पार्षद निर्वाचित हुए हैं।





अपने ही वार्ड में डूबती नैया नहीं बचा पाए बीजेपी के धुरंधर 





भितरघात की पराकाष्ठा कहें या फिर खोता जनाधार। सिंगरौली बीजेपी के एक से एक धुरंधर अपने निज निवास वार्ड पर भी पार्टी की डूबती नैया को बचा पाने में पूर्ण रूप से नाकाम रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो वार्ड 8 में जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल का निवास है लेकिन यहां कांग्रेस की नीलम गुप्ता पार्षद निर्वाचित हुई हैं। इसी के ठीक बगल में वार्ड 9 का तो और भी बुरा हाल है क्योंकि इस वार्ड के निवासी बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष कांति शीर्ष देव सिंह और सिंगरौली विधायक राम लल्लू वैश्य स्वयं है। लेकिन यहां कांग्रेस के ही शेखर सिंह चुनाव जीत बीजेपी के कर्णधारों को चिढ़ा रहे हैं। अब आते हैं वार्ड 38 की ओर। यह वार्ड बीजेपी के धुरंधर महापौर प्रत्याशी चंद्रप्रताप विश्वकर्मा का वार्ड है लेकिन यहां भी कांग्रेस के अनिल वैश्य बीजेपी को ठेंगा दिखा पार्षद बन गए हैं। इस वार्ड का रोचक पहलू यह भी है कि यहां पार्षद चुनाव में कांग्रेस को 972, बीजेपी को 678, बीएसपी को 614 और आप को जहां 346 मत मिले हैं। वहीं महापौर चुनाव में 115 मत कांग्रेस, 142 मत बीएसपी, 155 मत बीजेपी और 144 मत आप और शेष अन्य के खाते में गए हैं। यानी कि बीजेपी के महापौर प्रत्याशी अपने निजी वार्ड में ही अपनी और पार्टी की सम्मान जनक साख नही बचा पाए हैं।



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