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शिवराज के लिए सेमीफाइनल की ये परीक्षा थी नगरीय निकाय चुनाव की परीक्षा. बेशक बीजेपी ज्यादा सीटें हासिल करने में कामयाब रही है. लेकिन नतीजे मन माफिक नहीं है. और कांग्रेस जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं था वो इस चुनाव में झंडे गाड़ने में कामयाब रही है. ये नतीजे सिर्फ चुनाव परिणाम नहीं है बल्कि शिवराज सरकार के लिए एक सबक भी हैं. ये समझने का कि अब भी सिस्टम में कसावट लाने में देर की तो एमपी की सत्ता के फाइनल में फिर 2018 वाले परिणाम दोहरा सकते हैं. क्योंकि अब उनका भरोसा और उनका काम करने का तरीका खुद उनके करीबी और अपनों के निशाने पर हैं. जो अब खुल कर उनके अफसर प्रेम पर सवाल उठा रहे हैं.
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