GWALIOR: स्मार्ट सिटी की सड़कों पर हो रहा नाले में चलने जैसा अहसास,मानसून में बढ़ी लोगों की मुश्किलें

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The Sootr CG
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GWALIOR: स्मार्ट सिटी की सड़कों पर हो रहा नाले में चलने जैसा अहसास,मानसून में बढ़ी लोगों की मुश्किलें

देव श्रीमाली, GWALIOR. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने एक बार अमरीका यात्रा (America travel) से लौटने के बाद दावा किया था कि एमपी की सड़कें तो अमरीका से भी अच्छी है लेकिन शायद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी (dream project smart city) में शामिल अपने ही शहर ग्वालियर की सड़कें नही देखीं होंगी। जहां पूरे शहर की सड़कें फिर से बनाने के नाम पर सालों से खुदी पड़ीं है और मानसून आते ही वे सड़क से नालों में तब्दील हो गई हैं। खुद बीजेपी के नेता भी मानते हैं कि 57 साल बाद अगर हमारी मेयर नहीं बन सकी तो इसकी बजह ये सड़कें भी हैं। यही हाल संभाग के दीगर जिलों का है, जहां सड़कें खोदकर डाल दी गईं लेकिन उन्हें बनाने की किसी ने कोई चिंता नहीं की।



हर तरफ खुदी पड़ी है सड़क



ग्वालियर (gwalior) चंबल अंचल में मानसून की दस्तक दे दी है और पहली बरसात में स्मार्ट सिटी ग्वालियर में उसके इंफ्रास्ट्रक्चर (infrastructure)  की पोल खुल कर सामने आ गई है। पहली बारिश में ही करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने वाली स्मार्ट सिटी का इन्फ्राट्रक्चर पूरी तरह पानी में ही बह चुका है। शहर के मुख्य मार्गों सहित कई वार्ड में दर्जनो सड़के ऐसी हैं जो पहली बारिश में पूरी तरह खुद चुकी है। इसके साथ ही शहर के अनेक वार्ड में सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे हैं। इस वजह से लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं। वहीं कई ऐसी सड़के हैं जिन पर लबालब पानी भरा हुआ है। जिसे आम लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है ।



पॉश कालोनियों भी बदहाल



यह हाल एक सड़क का नहीं बल्कि शहर की दर्जन भर ऐसी सड़के हैं जो पहली ही बरसात में बेहाल अवस्था में पहुंच गई है। बरसात के मौसम में शहर की कई ऐसी सड़कें और कालोनियां है जो पानी से लबालब हो जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि शहर के अंदर बरसात के पानी के निकलने के लिए नदी नाली पूरी तरह चोक हो चुके हैं। उनकी सफाई को लेकर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। जिले में एक भी ऐसा इलाका नहीं है जहां पर सड़कों में गड्ढे नहीं हो। ऐसे में लोग कह रहे हैं कि ग्वालियर की "सड़कों में गड्ढे है, या गड्ढों में सड़क" यह किसी को नजर नहीं आ रहा है। 



दिल्ली से लेकर भोपाल तक मंत्री ही मंत्री 



वैसे यह हाल तब है जब ग्वालियर से 2 केंद्रीय मंत्री है, दो शिवराज सरकार में मंत्री हैं और एक प्रभारी मंत्री है। तब भी सड़क अपनी हालत पर आंसू बहा रही है। कांग्रेस का कहना है की सड़कों में गड्ढे या गड्ढों में सड़क के दर्शन ही नहीं होते पांच साल की ठेके दार की गारंटी होने के बाद भी  सड़क पर कोई  पैचवर्क नहीं हो रहा है। इसका मतलब है सरकार और ठेकेदार में साठगांठ है। वही बीजेपी सांसद का कहना है की बारिश के सड़को की दिक्कत होती है। नगर निगम ने काम लेट किया है इसका कारण हैं की तीन साल से कोई जनप्रतिनिधि नहीं था। 



हाल ही में हुई शर्मनाक हार



हाल ही में हुए नगर निगम चुनावों (municipal elections) में बीजेपी को अपने सबसे मजबूत गढ़ ग्वालियर में मेयर पद पर करारी हार का सामना करना पड़ा और उसके पार्षदों की संख्या भी 45 से घटकर 34 रह गई। बीजेपी ने यहां विकास के नाम पर ही चुनाव लड़ा था और कांग्रेस ने सवाल पूछा था। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष अशोक सिंह (State Congress Vice President Ashok Singh)कहते है कि चुनाव में सवाल कांग्रेस ही नही स्वयं जनता पूछ रही थी कि जब सत्रह वर्ष से प्रदेश में ,आठ साल से दिल्ली में और 57 वर्ष से ग्वालियर में बीजेपी की सरकार है तो यह शहर इंदौर और भोपाल से इतना पीछे क्यों है? यहां की सड़कें खुदी क्यों पड़ी रहती है ? जब बीजेपी नेताओं ने जबाव नहीं दिया तो यहां की जनता ने बुरी तरह हराकर जवाब दे दिया । अब बीजेपी नेता भी हार के लिए शहर की बदहाली को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। और ये सच भी है। अप्रत्याशित करारी पराजय के बाद पराजित मेयर प्रत्याशी श्रीमती सुमन शर्मा हों या बीजेपी के जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी सबने हार का ठीकरा नगर निगम के सिर पर फोड़ा कि उन्होंने मनमानी की, विकास के काम नहीं  किए इससे नाराज जनता ने विरोध में मतदान किया।



सांसद उबाच



सांसद विवेक नारायण शेजवलकर (MP Vivek Narayan Shejwalkar)भी मानते है कि शहर की सड़कों की हालत ठीक नहीं है लेकिन उन्होंने कहा कि बरसात में तो सड़कों की हालत  ऐसी ही होती है। लेकिन वे इसका ठीकरा भी नगर निगम पर फोड़ने से नहीं चूकते। उनका कहना है कि पिछले दो वर्षों से चुने हुए जन प्रतिनिधि नहीं थे और अफसरों ने जन भावनाओं का ख्याल रखकर काम नहीं किया। इसका असर दिख रहा है लेकिन कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता आरपी सिंह (Former Congress spokesperson RP Singh) कहते है कि अफसर तो राज्य शासन के अधीन ही है जिस पर बीजेपी ने जबरन कब्जा कर लिया है । अब क्या वे यह आरोप लगा रहे हैं कि नगर निगम अफसर उनकी सरकार की भी नही सुनते ?इस बहानेबाजी का जनता ने जबाव दे दिया है।




 


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