सवा साल बाद होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. पार्टी के स्थानीय नेता भले ही अपने एसी कमरों में आराम फरमाते हुए सिर्फ हुक्म जारी कर रहे हैं. लेकिन आलाकमान पुरसुकून नहीं है. दिल्ली के स्तर से मध्यप्रदेश को लेकर कोई कोताही बरती नहीं जा रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह इस बार कांग्रेस को कोई मौका देने के मूड में नहीं है. 2018 में मिली चुनाव का जख्म इतना गहरा है कि उसकी टीस अब भी बीजेपी को सताती है. यही वजह है कि अब ये तिकड़ी नए जख्म झेलने का इरादा नहीं रखती. नरेंद्र मोदी के तेजी से हो रहे एमपी दौरे इसी ओर इशारा करते हैं. हर दौरे के दौरान होने वाली उनकी मुलाकातें और बातें एमपी की चुनावी सियासत से ताल्लुक रखती हैं.
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