GWALIOR: इतिहास में पहली बार हुआ कि बीजेपी अपने गढ़ में एक भी राउंड में कांग्रेस से नहीं जीत सकी

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Dev Shrimali
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GWALIOR:  इतिहास में पहली बार हुआ कि बीजेपी अपने गढ़ में एक भी राउंड में कांग्रेस से नहीं जीत सकी



GWALIOR News.  ग्वालियर नगर निगम में 57 साल बाद कांग्रेस ने जीत का  इतिहास रचा है। इस  बार लोगों के जेहन पर  बीजेपी के खिलाफ और  कांग्रेस का ऐसा जादू चला जिसमें बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया।इस निकाय चुनाव में बीजेपी हारी ही नहीं है बल्कि शर्मनाक दौर से गुजरी है इतिहास में पहली बार देखने को मिला है कि बीजेपी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है।इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि मतगणना के दौरान डाक मतपत्रों की गिनती में ही बीजेपी पिछड़ गई। पहले राउंड से लेकर अंतिम राउंड तक बीजेपी को हार दर हार का सामना करना पड़ा है। मतलब हर राउंड में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी शिकस्त दी है यही कारण है कि बीजेपी हर राउंड में बीजेपी कांग्रेसी आगे नहीं निकल पाई।





 पहली बार कांग्रेस ने हर राउंड में बीजेपी को हराया







मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी के 57 साल के अभेद्य दुर्ग को कांग्रेस ने ढहा दिया है। इस चुनाव में कांग्रेस ने जीत का ही इतिहास नहीं रचा बल्कि बीजेपी को बुरी तरह पराजित किया है।इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि मतगणना के दौरान जब पहले राउंड की गिनती शुरू हुई तो उसी समय से बीजेपी की हार शुरू हो गई और हालात ऐसे बने कि किसी भी राउंड में कांग्रेस ने बीजेपी को आगे नहीं बढ़ने दिया। पहले राउंड से लेकर अंतिम राउंड तक कांग्रेस  बीजेपी को बुरी तरह हराती चली गयी। जब पहले राउंड की शुरुआत हुई तो कांग्रेस को 13674 वोट मिले तो वहीं बीजेपी को 12297 वोट ही मिल पाये। दूसरे राउंड में कांग्रेस को 13963 तो वही बीजेपी को 12154 वोट मिल पाये।ऐसे ही कुल 35 राउंड हुए और इन सभी राउंड में बीजेपी कांग्रेस से आगे नहीं निकल पाई, मतलब हर राउंड में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।





कांग्रेस की आंधी में बीजेपी के बड़े दिग्गज अपने वार्ड को भी नहीं बचा पाए





ग्वालियर के नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की ऐसी आंधी चली जिसमे बीजेपी के बड़े दिग्गज भी सामना नहीं कर पाए। इस निकाय चुनाव में बीजेपी के बड़े दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर सहित सरकार के तमाम मंत्री और विधायक पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार में लगे रहे लेकिन हालात यह देखने को मिले कि जब नतीजे आए तो बीजेपी के बड़े दिग्गज नेता अपने वार्ड को भी नहीं बचा सके। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर  के अपने वार्ड में बीजेपी हार गयी वही मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर अपने वार्ड में पूरी ताकत के साथ लगे रहे लेकिन वह भी अपने वार्ड को नहीं बचा सके। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पोलिंग बूथ पर बीजेपी की लाज नहीं बचा सके। बीजेपी  के अन्य बड़े नेताओं के वार्डों में भी पार्टी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा और कई ऐसे बीजेपी के बड़े नेता है जिनकी वार्ड में बीजेपी बुरी तरह हारी है।





निकाय चुनाव में सिंधिया और तोमर का रसूख और वर्चस्व नहीं आया काम





ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि बीजेपी की तरफ से  केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर लगातार इस निकाय चुनाव में जी - तोड़ मेहनत करते रहे,लेकिन उनका जादू भी इस  बार नहीं चल पाया। इसका सबसे बड़ा कारण यह देखने को मिल रहा है कि बीजेपी में कहीं ना कहीं इन दोनों दिग्गजों नेताओं के बीच अंदर गुटबाजी काफी  शिद्दत से हावी है,और इसी गुटबाजी के कारण बीजेपी ने अपने 57 साल तक संभाले रखे इस अभेद्य  सियासी दुर्ग को ढहा दिया।अब बीजेपी की इस करारी हार के बाद  दोनों दिग्गज नेताओं की साख पर भी काफी विपरीत  असर देखने को मिलेगा और बताया जा रहा है इसका असर आगामी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है।





डाक मतपत्रों में भी कांग्रेस की बढ़त





ग्वालियर में शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों को सदैव से कांग्रेस का विरोधी और बीजेपी का समर्थक वोटर माना जाता है। यही वजह है कि जब कल  मतगणना शुरू हुई और सबसे पहले ड्यूटी में लगे अधिकारी ,कर्मचारियों द्वारा डाले गए डाक मतपत्रों की गिनती शुरू हुई तो अंदाज़न ही मीडिया में खबर ब्रेक करा दी गई की इसमे बीजेपी आगे है लेकिन जब आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा हुई तो सब चौंक पड़े। पहली बार इसमें कांग्रेस प्रत्याशी डॉ शोभा सिकरवार को शानदार जीत मिली। इसमें कांग्रेस को 630 वोट मिले जबकि बीजेपी की श्रीमती सुमन शर्मा के खाते में महज 473 मत ही आये । पहली बार मैदान में उतरी आप की रुचि गुप्ता  भी 86 वोट पा गई। लेकिन बीजेपी के लिए बदलाव चौकाने वाला है क्योंकि डाक मतपत्रों में बीते दो दशक से बीजेपी को इकतरफा बढ़त मिलती रही है। बीजेपी अधिकारी और कर्मचारियों की इकतरफा पसंद मानी जाती रही है। लेकिन मेयर पद पर डाक मतपत्रों में मिली कांग्रेस को बढ़त अब इनके बीजेपी से मोहभंग का संकेत देती है



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