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संजय गुप्ता, INDORE. रुपए के लेन-देन की दलदल में फंसी महिला इंटीनियर डिजाइनर करूणा शर्मा के मामले में पुलिस के हाथ फोन की ऑडियो क्लिपिंग लगी है, जिसमें बिलल्डर हेमंत अत्रिवाल द्वारा गैंगस्टर संजय यादव के नाम से धमकाने के साथ ही खुद भी धमका रहा है कि खरीदकर गाड़ दूंगा, मुझे जानती नहीं हो। सुसाइड से पहले महिला ने सोफे पर बैठकर डायरी में सुसाइड नोट लिखा और फिर दुपट्टे के जरिए फंदा बनाकर पंखे से लटक गई। दुर्भाग्य यह है कि इस पूरी घटना को पति उत्तम ने भिलाई में मोबाइल पर अपने पास मौजूद सीसीटीवी लिंक से लाइव देखा, पडोसियों को बताकर रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक देर हो गई। दरअसल जब करूणा ने उत्तम का फोन नहीं उठाया तो उसने मोबाइल पर सीसीटीवी लिंक खोली, जिसमें वह फंदे बनाकर लटकने जा रही थी।
यह लिखा है सुसाइड नोट में
करुणा ने 12 पेज का सुसाइड नोट लिखा। इस सुसाइड नोट में अक्टूबर 2021 से सुसाइड वाले दिन की पूरी घटना का ब्यौर दिया है। वह बीकानेर की रहने वाली थी।
परिवार से बोला सॉरी
आईएम सॉरी मां जी, गुड्डू सॉरी, चंचल सॉरी, सॉरी सॉरी, आई लव यू ऑल, बट सॉरी।
सोनू प्लीज खुद का और कन्नू का ध्यान रखना। उसे बोलना मैं बहुत प्यार करती हूं। और सॉरी थारो जीवन खराब करने खातिर। दुख इतनो है कि सब कुछ छोड़कर जानो पड़ रयो है। मैं जानो कोनी पर अब रुक भी कोनी पांउं। सॉरी मेरी एक वजह से थार सब रो जीवन खराब हो ग्यो। मरने के बाद मेरी शक्ल कोई मत देख्या याई लायक बिल्कुल भी नी। अब और कोनी हिम्मत लड़ने की तो मर री हूं। प्लीज सब हो सके तो माफ कर देना। साल भर हो गया झुलता, तीन महीना होग्या यार। मैं ढंग से कुछ कोनी कर पाई। मिस कर रही हूं, सब ने। ना कोई से बात कर पा रही ना देखी पा रही। आज मेरी खुद की बेटी तक से बात कोनी बात कर पा री इससे ज्यादा और को नी देख्यो मुझे कोनी झेल्यो जावे अब।
आई लव यू ऑल गुड बाय!!!
हो सके तो सब मने माफ कर दिया। यो मान लिया कि मैं कभी थारी जिंदगी में थी ही कोनी। आई लव यू ऑल!!! दोस्तों ने दिया दगा, इसलिए मरने की नौबत आई
‘मेरी आप बीती ऐसे दोस्त हो तो दुश्मनों की क्या औकात जो बिगाड़ना है यह दोस्त ही बिगाड़ेंगे’
मैं मरना नहीं चाहती, जीना चाहती थी। बहुत सारे काम करने थे मुझे। तीन छोटे भाई बहन थे। उन्हें भी संभाला, खुद भी संभली। पढ़ाई पूरी की 12वीं के बाद इंदौर आई। जो काम मिला किया। धीरे-धीरे घर खरीदा, जो मेरा सपना था। और मेरी बेटी हुई, उसमें व्यस्त हो गई। वापस काम करने का सोचा तो मोना शर्मा मिली। उसके साथ खूब मेहनत की। कन्नू को घर पर छोड़कर रात दो-दो बजे तक काम किया। फिर मोना ने बताया कि फंड नाम की कोई चीज होती है। रुपए डालो बढ़ेंगे। मुझे समझ नहीं थी, लेकिन विश्वास करती थी इसलिए पैसा लगा लिया। जब भी फंड उठाने की बारी आती कोई ना कोई एक्जीबिशन आ जाता। वो रुपए उसी सामान के लिए उसी के पास चला जाता। मैंने कभी हिसाब नहीं मांगा। मैं बहुत मेहनत करती रही। ऐसा करते हुए दो साल से ज्यादा का समय हो गया।
कोरोना काल में हो गई बर्बाद
साल 2020 का कोराना का काल। तब तक मार्केट में मेरा चेहरा और मेरा नाम पैसे के साथ जुड़ने लगा। क्योंकि बहुत ही ज्यादा लोगों से मेरी जान पहचान होती रही। सारे फंड मोना ही मेरे नाम पर डालने लग गई। क्या हिसाब-किताब था, नहीं पता, क्योंकि विश्वास था उसके कारण किसी से पूछा ही नहीं। उन्हें प्रमिला अत्रिवाल से मिलवाया। वो बहुत बड़े-बड़े फंड चलाया करती थी। मेरा ठीक ठाक चल रहा था। क्योंकि थोड़ा बहुत कमाया मैंने भी था। मोना दी और प्रमिला दोनों मेरे नाम से फंड डालने लगी। और कहीं ब्याज पर पैसा भी उठाना होता तो वह भी मेरे नाम से उठाने लगी। कोराना आया लोगों का पैसा रुका। मेरा पैसा न प्रमिला ने दिया और न ही मोना ने। न किसी और ने, पर मैंने जिस-जिस से लिया...मोना दी ने कहा कि तेरी बिल्डिंग में भी तो लोग हैं। तू उनसे कलेक्ट क्यों नहीं करती। पड़ोसियों से फंड क्यों नहीं डलवाती। मैंने उन बेचारों से भी फंड डलवा दिया। फिर पता चला कि मोना दी को प्रमिला अत्रिवाल को पैसा देना है, तो प्रमिला वह पैसा मेरे से ही काटेगी। उसी बीच फरवरी 2020 में मैंने कृष्णा सोनी को अपने 50 प्रतिशत फंड ट्रांसफर कर दिए। उन्होंने कहा तू ट्रांसफर मत कर। प्रमिला तुझे या मुझे पेमेंट न भी करे, तो मेरी जिम्मेदारी है तुझे पैसे देने की। ठीक है मैंने बात मान ली। क्योंकि यह काम ही जुबान का था। कोरोना में भी कुछ लोगों के छोटे-मोटे फंड खुद से ही दे दिया करती थी।
मुझे क्या पता था मेरा ही पैसा कभी वापस नहीं मिलेगा। मोना की वजह से प्रमिला ने पहले थोड़े पैसे रोकना शुरू किए। फिर जुलाई 2021 में उन्होंने मेरा पैसा मुझे देने से ही रोक दिया। जबकि लोगों का पैसा मैं ही दे रही थी।
यह सोचकर कि कोई बात नहीं अक्टूबर 2021 में प्रमिला से मेरा पैसा आना है। उसके साथ ही कृष्णा और मोना से भी। अक्टूबर से जुलाई तक मेरे पास सबका मिलाकर करीब 2 करोड़ रुपए आना था। कट-पिटकर भी मेरे हाथ में डेढ़ करोड़ रुपए बचता। मैंने कहा ठीक है। मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की। क्योंकि प्रमिला को जब पैसे का बोलती, तो वह मुझे सुसाइड करने की धमकी देती थी, तो मैंने भी बोलना छोड़ दिया था, पर मुझे लोगों का पैसा तो चुकाना ही था। उनको बाकायदा मैंने चुकाया।
उन्हें हफ्ते के हफ्ते ब्याज सहित किस्तें दीं। चाहे वह पैसा ज्ञान श्री बाफना का ढाई प्रतिशत का हो, चाहे परिधि का तीन से पांच प्रतिशत का। राधिका जी का 5 से 14 प्रतिशत का मेरा पैसा कोरोना में भी गया है।
पैसे के लिए फोन करने पर धमकियां देना आम बात हो गई। जो पैसा लगा रहे थे, वह लोग भी हाथ खींचने लगे। इधर, लोग मेरी जान खाने लग गए थे। प्रमिला ने जो खाया तो खाया, कृष्णा सोनी ने भी हाथ खड़े कर दिए। और मोना से तो कभी कैश आता ही नहीं था। उसने भी हाथ खड़े कर दिए। एक ने खाया तो बेवकूफ बनाकर धीरे-धीरे सभी यही करने लगे। सबने मिलकर मेरा पैसा रोक लिया, पर लोगों को देना था तो मैंने मेरी ज्वेलरी बेचकर लोगों का जितना बन सका चुकाया।मेरी भी एक लिमिट थी, पर अब खत्म हो चुकी है
फिर आने लगी धमकियां
अक्टूबर 2021 से आज तक न मेरे खाने की सुध न मेरे सोने की न उठने की। कहीं भी जाओ लोगों का पीछा करना, धमकियां देना पैसे मांगने घर आना…! क्योंकि सबको यह पता था कि पैसा मैंने लिया है। और मैंने सबको एड्रेस भी दे दिया था। क्योंकि मुझे कौनसा खाकर भागना था। धीरे-धीरे यह सब बढ़ता गया। इनमें से एक राधिका जी हैं। जिनसे लेकर मैंने सबको दे रखा था। उनका भी प्रेशर आने लगा। वो हमेशा बोलती की ‘अनी’ गुस्सा हो रहे हैं। वह तो हमेशा गाली-गलौज पर उतर आता है। क्योंकि मई 2022 से इनका पैसा नहीं दे पा रही थी। सबसे ज्यादा ब्याज का भारी पैसा था।31 जुलाई की रात को 12 बजे आदित्य ने मेरे घर आकर खूब तोडफोड़ की। बार-बार मुझे और मेरे पति को मारने की धमकी दी। बोला एक मर्डर करके लखनऊ से बच सकता है। इधर, आदित्य पैसे लेने के लिए धमकी दे रहा था उधर, अत्रिवाल पैसा नहीं देने के लिए धमकी दे रहा था। लोग दिन-दिन भर घर के बाहर खड़े रहते थे। पति और बच्चा भी।
नेताओं के पास भी गई कुछ नहीं हुआ
कई जगह गई रोई गिड़गिड़ाई। किसी ने एक नहीं सुनी। रिपोर्ट कराई किसी के कहने पर नेताओं के पास गुहार लगाई। पर कोई फर्क नहीं। शर्म आने लगी मुझे लोगों से कि आज तक हमेशा दिया ही दिया है। अब मना कैसे करूं। ऊपर से हर एक की धमकी। जिससे लिया उसकी भी और जिससे लेना है उसकी भी। कोई ऐसा नहीं जो धमकी नहीं दे रहा हो। इसी बीच मेरी गाड़ी का भी एक्सीडेंट हो गया। अब मेरे पास धमकियों के अलावा कुछ नहीं बचा।मेरे मरने तक भी रोज मरने के ख्याल आते पर हिम्मत करती कोशिश करती नए काम के लिए ट्राय करती, पर कुछ नहीं होता। उस पर सबका प्रेशर अब सहन नहीं हो रहा। रोज-रोज मरने से अच्छा है अब मर कर ही जाना।
यह चार लोग है मौत के जिम्मेदार
जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मोना शर्मा, प्रमिला अत्रिवाल, कृष्णा सोनी और आदित्य अग्रवाल हैं। मुझे जीना था अभी बहुत चीजें बची थी। मेरी बेटी पर मैंने इन सब कामों की वजह से कम ध्यान दिया।
जिनसे लेना था पैसा वह भी धमकी दे रहे थे कि हम बहुत बड़े लोग हैं। तुम्हें मारकर गाड़ देंगे। मुझे जिन्हें चुकाना था वे बोल रहे थे तेरे पति को मारेंगे। और घर पर आकर तोड़फोड़ करके गए। बैंकों का लोन लेकर मैंने इन सबको पैसे दिए कि यदि जरूरत हो तो ये लोग मुझे समय पर पैसा दे दें।
ये बहुत बड़े लोग हैं। इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। क्योंकि हेमंत अत्रिवाल और प्रमिला अत्रिवाल धमकी देते थे कि हमने कइयों को जमीनों के नीचे पहुंचाया है। तू क्या है।
आदित्य बोलता है कि पहले भी खून कर चुका हूं। अब और भी कर दूंगा। तो मेरा बाप मुझे बचा लेगा। और मोना दी के मेंटली टॉर्चर का तो क्या ही कहना। अभी जुलाई से तो नाक में दम करके रख दिया। मेरे भाई-बहन, ससुराल वाले, इधर-उधर जहां मर्जी इन्होंने फोन किए। और कइयों से करवाए भी। किसी को मोना दी के घर पर फोन नहीं कर सकते। गलती से नंबर मांग लो या कर दो तो या तो उनका पति उनको पीटता। या मरने की धमकी देने लगती।
अपनी वजह से इन सब मैं तंग आ चुकी हूं। अब में इन सब से भरोसे रह-रहकर भी ओर लोगों की सुन-सुनकर भी नहीं हो पा रहा है। अब मेरे से पीछे अक्टूबर 21 से आज सालभर हो गया। इतना टॉर्चर होते-होते अब नहीं हो पाऊंगी।
मुझे पता है कि मेरी मौत के जिम्मेदार हैं उन्हें सजा नहीं मिलेगी। क्योंकि यह बहुत ही पहुंचे हुए लोग हैं। पॉलीटिकल बैकग्रांउड के लोग हैं, पर मेरी मौत के जिम्मेदार भी यही लोग हैं। मोना शर्मा, प्रमिला अत्रिवाल, कृष्णा सोनी, आदित्य अग्रवाल।
मैं तो हालांकि मर ही रही हूं, पर जिस-जिस ने मुझे इस स्थिति में धकेला है। तैयार हो जाना अब अपनी बारी के लिए...
मोना शर्मा, प्रमिला अत्रिवाल, कृष्णा सोनी, आदित्य अग्रवाल।
करूणा उत्तम शर्मा।
पति को भिलाई भेज दिया था
पति को भिलाई भेजा, अकेले तनाव झेलती रही पति उत्तम के अनुसार करुणा नहीं चाहती थी कि उसके कारण 8 साल की बेटी और उनको परेशानी हो, इसलिए दोनों को इंदौर से छत्तीसगढ़ में भिलाई भेज दिया। वह यहां अकेले रहकर सारा स्ट्रेस झेलती रही। उसे लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। बुधवार को पति और बेटी के भिलाई से आने के बाद पुलिस ने पोस्टमॉर्टम कराया।