संजय गुप्ता, INDORE. प्रदेश में आठ महीने बाद विधानसभा चुनाव है। एक साल पहले से ही कथाओं का दौर शुरू हो चुका है और चुनावी साल में तो सभी पंडित, कथावाचकों की तारीख पहले से बुक हो चुकी है। आखिर किस भगवान को लेकर नेताओं के आयोजन सबसे ज्यादा हो रहे हैं? इस पर बीते समय के और होने वाले आयोजन पर नजर डालते हैं तो सबसे पहले भगवान राम नजर आते हैं, वहीं उनके सबसे बड़े भक्त भगवान हनुमान भी नेताओं को बहुत प्रिय है। इनसे जुड़े सभी आयोजन सबसे ज्यादा हो रहे हैं। वहीं इनके बाद भगवान शिव की आराधना से जुड़े आयोजन अधिक हो रहे हैं। वहीं यदि कोई नेता किसी समाज विशेष से जुड़ा है तो वह उस समाज के आराध्य देव के आयोजनों में भी बढ़ चढ़कर जुड़ रहा है। बीच-बीच में देशभक्ति का भी तड़का लगाया जा रहा है।
भगवान राम और हनुमान ही क्यों?
पंडितों के मुताबिक भगवान राम और हनुमान हर हिंदू परिवार में विराजे हुए हैं। पुरातन काल से घरों में रामायण रखे जाने की परंपरा है, संकट में आने पर सभी भगवान हनुमान को याद करते हैं। हनुमान चालीसा उन्हें याद करने का सबसे मान्य पाठ है, जिसकी पंक्तियां या पूरा पाठ लोगों के मन में बसी हुई है। जय श्री राम और जय हनुमान व जय बजरंग बली भारतीय मानस के चेतन में बसा हुआ मंत्र है। वहीं सबसे बड़ी बात यह भी है कि अयोध्या में राम मंदिर का काम तेजी पर है और जनवरी 2024 तक इसके तैयार होने की बात खुद गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं। लगातार मंदिर निर्माण की फोटो आती रहती है और इससे लोगों की भावनाएं जुडी हुई है। इसी तरह भगवान शिव के अनेक रूप और खासकर महाकाल का रूप उज्जैन में महकाल लोक के बाद और विश्व पटल पर आया है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी एक प्रसिध पर्यटन नगरी है।
इंदौर नेता और भगवान से जुड़े आयोजन
- कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला- यह अपनी विधानसभा एक में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवपुराण कथा करा चुके हैं। इसमें लाखों की संख्या में भक्त आते हैं, लेकिन प्रभु राम का आर्शीवाद लेने के लिए भी यह निगम चुनाव के समय से ही लगे हैं। हर महीने एक-एक वार्ड के 600 लोगों को अयोध्या रामजन्म भूमि की यात्रा करा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने अब काशी को भी जोड़ लिया है, जो भगवान भोलेनाथ की नगरी है। जाने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ भी कराया।
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यह दावेदार नेता भी लगे हैं धार्मिक आयोजनों में
- पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता हर साल नवरात्रि में मां की चुनरी यात्रा निकालते हैं, जिसमें प्रदेश भर के बड़े बीजेपी नेता शामिल होने आते हैं। यह उनकी भक्ति दिखाने के साथ ही राजनीतिक शक्ति दिखाने का भी बड़ा आयोजन साबित होता है।
सिख समाज को लेकर भी चल रही राजनीति
इन सबके साथ ही अलग-अलग धर्म के लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए भी सभी नेता लालयित है। हाल के समय में सिख समाज को लेकर राजनीति काफी तेज हुई है। खासकर नवंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के पहले खालसा कॉलेज में हुए धार्मिक आयोजन में पूर्व सीएम कमलनाथ के जाने पर विवाद हुआ। इसके बाद बीजेपी ने वहां शुध्दिकरण अभियान चलाया। फिर सिख समाज और सिंधी समाज के बीच गुरू ग्रंथ साहिब को लेकर विवाद सामने आया और इसके बाद बीजेपी की बूथ विस्तारक बैठक में बीजेपी के सिख नेता के गले पर चाकू अडाने की बात पर विवाद हुआ और इसे कांग्रेस द्वारा सिख समाज का अपमान बताना। आने वाले समय में गुरु सिंघ सभा के भी चुनाव जुलाई में प्रस्तावित है, ऐसे में इस समाज में राजनीति काफी तेज होने वाली है।