संजय गुप्ता, INDORE. दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया या कहें दीपक मद्दा। जी हां यह तीनों एक ही शख्स के नाम है और पुलिस एफआईआर में भी तीनों नाम ही से एफआईआर होती है। भूमाफिया मद्दा पर एक-दो नहीं सात एफआईआर है, प्रशासन की लगाई रासुका भी लेकिन मजाल है कि पुलिस छू भी पाई हो। अब ताजा मामला रासुका को लेकर गृह विभाग के एसीएस डॉ. राजेश राजौरा के नाम का फर्जी पत्र पुलिस को देने का है, जिसमें आठ दिसंबर को खजराना थाने में एफआईआर हुई, लेकिन पुलिस गिरफ्तार करने के लिए इधर-उधर खेल खेलती रही और वह हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगवा लाया। सैकंड़ों लोगों के साथ करोडों की धोखाधड़ी करने वाला पीड़ित बनकर हाईकोर्ट पहुंच गया और पुलिस मुंह ताकती रही। अब पुलिस को कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, जिसमें सुनवाई के लिए एक फरवरी लगी है। मद्दा ने कोर्ट में बेवजह परेशान करने और एक के बाद एक बेवजह एफआईआर करने की बात कही है, जिस पर पुलिस को जवाब देना है।
ईनाम घोषित कर बैठ गई पुलिस, एक साल तक फरार रहा मद्दा
मद्दा पर भूमाफिया अभियान के तहत छह एफआईआर तो फरवरी 2021 में हो गई, फिर कलेक्टर ने रासुका लगा दी, तभी से वह फरार हो गया। फरारी में ही वह कोर्ट में केस लगाता चला गया और अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगवाने के साथ ही जमानत भी लेता चला गया, वहीं एफआईआऱ् कराने वाले प्रशासनिक अधिकारी और केस करने वाले थाना प्रभारी मुंह ताकते रह गए। गिरफ्तारी के लिए ईनाम तक घोषित कर दिया और पुलिस इसी के भरोसे बैठ गई कि कोई व्यक्ति दस हजार के इनाम की लालच में उसका ठिकाना बता देगा। उधर मद्दा को जमीन धोखाधड़ी के केस में राहत मिलने के बाद केवल रासुका की धारा बची जिसमें कोर्ट से रोक नहीं लगी तो फिर जमीन के खिलाडी ने नया खेल कर दिया। गृह विभाग के एसीएस डॉ. राजेश राजौरा के नाम का ही फर्जी पत्र बनवा लिया कि रासुका निरस्त की जाती है और यह पुलिस को थमा दिया कि गिरफ्तार मत करना, मेरी रासुका निरस्त हो गई। जब पुलिस ने गृह विभाग से पूछा तो पता चला कि पत्र फर्जी है।
आईए हम बताते हैं कौन है करोड़ों की जमीन कौड़ियों में लेने वाला मद्दा
भूमाफिया दीपक मद्दा उर्फ दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया, यह तीनों एक ही व्यक्ति के नाम है, लेकिन काम एक ही है जमीनों का खेल करना। 18 फरवरी 2021 में जिला प्रशासन और पुलिस ने भू माफियाओं पर सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए चार गृह निर्माण संस्थाओं मजदूर पंचायत की पुष्प विहार कॉलोनी, देवी अहिल्या की अयोध्यापुरी और खजराना की हिना पैलेस को दीपक मद्दा, सुरेंद्र संघवी सहित 17 भूमाफिया से मुक्त कराते हुए प्रकरण दर्ज कराए थे। इसमें तीन हजार करोड़ से ज्यादा की कीमत मुक्त हुई थी। कुछ छह एफआईआर में सभी में दीपक मद्दा आरोपियों में शामिल था।
मद्दा के साथ यह भूमाफिया बने थे आरोपी
खजराना और एमआईजी थाने में मजदूर पंचायत गृह निर्माण, देवी अहिल्या गृह निर्माण व हिना पैलेस खजराना के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दा के खिलाफ आधा दर्जन एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। मजदूर पंचायत गृह निर्माण की पुष्प विहार कॉलोनी में दीपक जैन, नसीम हैदर के अलावा जमीनें खरीदने वाले केशव नाचानी, ओमप्रकाश धनवानी के खिलाफ केस हुआ। इसी तरह देवी अहिल्या गृह निर्माण (अयोध्यापुरी कालोनी) के विमल लुहाड़िया, पुष्पेंद्र नीमा, दीपक मद्दा जैन , रणवीरसिंह सूदन, दिलीप जैन, प्रतीक संघवी, मुकेश खत्री पर और हिना पैलेस में भी दीपक जैन पर एफआईआर हुई।
न्यायनगर मामले में भी मदद् पर हुई एफआईआर
बाद में खजराना पुलिस ने भूमाफिया दीपक जैन उर्फ दीपक मद्दा के साथ ही दिलावर पटेल, सोहराब पटेल, इस्लाम पटेल एवं जाकिर के खिलाफ धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में केस किया। इन पर आरोप है कि एमआर-10 क्षेत्र स्थित न्याय नगर गृह नर्माण संस्था की करीब 29 एकड़ जमीन पर कब्जा किया, इसमें कोर्ट द्वारा इस जमीन सरकारी घोषित किया गया।
मद्दा ने इस तरह किया खेल
भूमाफिया अभियान में हुई सभी छह FIR में मद्दा का नाम है। इस पर आरोप है कि मजदूर पंचायत संस्था का नंदानगर सहकारी संस्था में अनाधिकृत खाता खुलवाया। अपने भाई कमलेश जैन और संस्था के अध्यक्ष दीपेश वोरा के साथ मिलकर संस्था की दो हेक्टेयर जमीन केशव नाचानी और ओमप्रकाश धनवानी को साल 2006 में बेचा। इसमें दो करोड़ का सौदा था, लेकिन 50 लाख के चेक ही संस्था के खाते में आए, डेढ करोड़ मददा को नकद मिले। सिटी बैंक के अपने खाते में मद्दा ने 54 लाख रुपए मजदूर पंचायत से लिए। मद्दा ने हिना पैलेस से जुडी श्रीराम संस्था की पांच हेक्टेयर जमीन इसी सौदे से मिली 1.60 करोड़ की राशि से उसी साल 2006 में खरीद ली। मद्दा ने हिना पैलेस जो केवल वैध रूप से दो हेक्टेयर में थk, इसमें श्रीराम के साथ ही सारथी, हरियाणा व शताब्दी संस्था की जमीन भी शामिल कर 10 हेक्टेयर की अवैध बनाकर नगर निगम से वैध कराने का आवेदन कर साल 2013 में फर्जी दस्तावेज से वैध कराई। मद्दा ने इसी तरह देवी अहिल्या संस्था की काटी आयोध्यापुरी कॉलोनी में सिम्पलेक्स मेगा इन्वेस्टमेंट कंपनी के नाम पर चार एकड़ जमीन साल 2007 में खरीद ली, इस कंपनी में मद्दा डायरेक्टर था।