Indor. पिछले तीन साल से एमपी पीएससी (राज्य प्रशासनिक सेवा) के अधिकारियों को पदस्थ नहीं किया गया है। इतना ही नहीं 2019 में हुई परीक्षा में चयनित अधिकारियों तक को अब नियुक्त नहीं किया गया है। साल 2019 में एमपी पीएससी के 298 पद स्वीकृत थे। लेकिन सरकार ने अब तक 286 को ही पदस्थ किया है। ऐसे में अब 2019 में चयनित परीक्षा पास कर चुके अभर्थियों में चिंता है। इस बारे में एमपी पीएससी का कहना है कि, इस मामले को लेकर कानूनी राय ली जा रही है। मामला कोर्ट में है। इसलिए एमपी पीएससी कोई फैसला नहीं कर पा रहा है। इसका नतीजा यह है कि, राज्य में एक हजार से ज्यादा नियुक्तियां अधर में लटक गई है।
महीनों से इंतजार कर रहे छात्र
साल 2019 में हुई एमपी पीएससी की परीक्षा पास कर चुके छात्रों का कहना है कि, कोरोना काल जैसी खतरनाक स्थितियों में हमने राज्य सेवा की परीक्षा दी थी। अब इंटरव्यू के लिए महीनों से इंतजार में है। हालांकि पीएससी प्रशासन ने जल्द ही विधिक राय लेकर इंटरव्यू के मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आश्वासन दिया है।
हाईकोर्ट ने लगाई रोक
गौरतलब है कि, राज्य सरकार ने सरकारी सेवाओं में रिजर्वेशन से जुड़े नियमों में 2020 में संशोधन किया था। इ नए नियमों के चलते आरक्षित वर्गों के मेरिट लिस्ट में आने वाले उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में शामिल करने के नियम बनाए थे। सरकार के इस फैसलों को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से नियम वापस लेने की बात कही गई थी। इसी बीच एमपी पीएससी ने 2019 में हुई परीक्षाओं के नतीजे घोषित करने की बात कही। इसे भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। उसी के बाद कोर्ट ने इंटरव्यू पर रोक लगा दी थी।