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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivrajsingh chouhan) भले ही अपनी सरकार में भ्रष्टाचार (corrution) के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के चाहे जितने दावे करें लेकिन सरकारी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उसे अपनी नीयत और कामकाज में नहीं उतार पा रहे हैं। कृषि विभाग (agriculture department) में किसानों के लिए खरीदे गए बीज (seed) में 10 करोड़ का भ्रष्टाचार इसकी ताजा मिसाल है। द सूत्र के पास उपलब्ध दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि कृषि विभाग में सक्रिय नटवरलालों ने प्रदेश के 10 जिलों में निजी बीज विक्रेताओं (seed sellers) से निर्धारित दर से कहीं ज्यादा कीमत पर बीज खरीदें हैं। इससे राज्य सरकार को 10 करोड़ 63 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। यह पैसा सरकार को किसी खैरात में नहीं मिला बल्कि उसके खजाने में टैक्स के रूप में आने वाली जनता की मेहनत की कमाई है।
10 जिलों में ऊंचे दाम पर खरीदे किसानों को बांटे जाने वाले बीज : बीज खरीदी में हुए भ्रष्टाचार का यह मामला 2016-17, 2017-18 से 2018-19 का है। इन सालों में खरगोन, धार, बड़वानी, आलीराजपुर, झाबुआ, नीमच, हरदा, जबलपुर, सागर और भिंड जिले के किसानों के लिए राष्ट्रीय बीज निगम (National Seed Corporation) के अलावा साईंनाथ बीज (Sainath Seeds) , मां गायत्री बीज (Maa Gayatri Beej), नेफेड बायोफर्टिलाइजर, श्री तिरुपति बालाजी, नुजीवीडू सीड्स, हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड और कावेरी सीट से निर्धारित दरों से अधिक कीमत पर बीज खरीदी की गई थी। खरीदी में यह गोलमाल किसानों को रियायत दर पर बीज उपलब्ध कराने की अन्नपूर्णा और सूरजधारा योजना में किया गया है।
किसानों की जेब पर पड़ा 2 करोड़ 56 लाख का बोझ : निर्धारित दर से अधिक पर खरीदी करने पर केवल प्रदेष सरकार को ही 10.63 करोड़ रूपए का चूना नहीं लगा, बल्कि किसानों की जेब पर भी असर पड़ा। ऊंची कीमत पर बीज खरीदी करने से किसानों को जो हिस्सेदारी देनी थी, उसके कारण उनकी जेब पर 2 करोड़ 56 लाख का अतिरिक्त बोझ पड़ा। खरगौन में 80.67 लाख, धार में 79.79 लाख, बड़वानी में 9.86 लाख, अलीराजपुर में 40.31 लाख, झाबुआ में 18.44 लाख, नीमच में 13.67 लाख, हरदा में 10.65 लाख, जबलपुर में 7.10 लाख, सागर में 5.28 लाख और भिंड में 2.62 लाख रूपए किसानों को बीज खरीदी में अतिरिक्त देने पड़े।
अपात्र किसानों को भी बांट दिए बीज : अन्नपूर्णा और सूरजधारा योजना अनुसार 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले लघु एवं सीमांत किसानों को बीच वितरित किए जाने थे, लेकिन अशोकनगर, बड़वानी, धार, डिंडोरी, हरदा, कटनी, खरगोन, नरसिंहपुर, राजगढ़, सिवनी शाजापुर और श्योपुर में 847 अपात्र किसानों को बीज वितरित किए गए। हैरानी की बात है कि बांटे गए बीज की किसानों से पावती भी नहीं ली गई। इसके पीछे कारण यही था कि अपात्र किसान आसानी से ट्रेस न हो सकें।
रबी और खरीफ सीजन के बाद तक बांटते रहे बीज : योजना के अनुसार जिला स्तर पर बीज उपलब्ध कराकर बांटने तक की निर्धारित तारीख खरीफ फसल के लिए 30 मई से 15 जून और रबी फसल के लिए 15 सितंबर से 10 अक्टूबर है लेकिन कई जिलों में सीजन खत्म होने के बाद भी बीज बांटा गया। जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। धार, अलीराजपुर और कटनी में निर्धारित तारीख निकल जाने के 100 दिनों के बाद तक बीज वितरण हुआ। इसी तरह खरगोन, बड़वानी, हरदा, शिवपुरी, नरसिंहपुर, सिवनी, सागर और भिंड जिले में 51 से 100 दिनों तक की देरी से बीज बांटा गया।
19.59 करोड़ रुपए की किसानों को पावती ही नहीं दी : 16 जिले के किसानों ने बीज के लिए जो कृषक अंश जमा किया, उसकी उन्हें कोई रसीद ही नहीं मिली। करीब 19 करोड़ 59 लाख रूपए की किसानों को कोई पावती नहीं मिली। इसे लेकर सरकार ने अजीब तर्क दिया। अधिकारियों के अनुसार कृषि विभाग क्षेत्रीय कार्यालयों को पावती या रसीद पुस्तिकाएं उपलब्ध नहीं कराता है। इसलिए हर किसान को पावती देना संभव नहीं। जबकि नियमानुसार यदि कोई शासकीय अधिकारी या कर्मचारी कोई राशि प्राप्त करता है, तो उसे उसकी पावती देना अनिवार्य है।