मध्यप्रदेश में 10 हजार डॉक्टर हड़ताल पर, मेडिकल कॉलेज- जिला अस्पतालों में ओपीडी और आईपीडी बंद, मरीज होते रहे परेशान

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BP Shrivastava
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मध्यप्रदेश में 10 हजार डॉक्टर हड़ताल पर, मेडिकल कॉलेज- जिला अस्पतालों में ओपीडी और आईपीडी बंद, मरीज होते रहे परेशान

BHOPAL. मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स अपने प्रस्तावित एजेंडे के तहत मंगलवार, 2 मई को दो घंटे हड़ताल पर रहे। डॉक्टर्स ने सुबह 11 बजे काम बंद कर दिया था और फिर दोपहर 1 बजे तक काम बंद हड़ताल की। जिससे ओपीडी और आईपीडी में कोई काम नहीं हुआ। वहीं मरीज परेशान होते रहे। प्रदेशभर में डॉक्टर्स समयबद्ध क्रमोन्नति और मेडिकल डिपार्टमेंट्स के तकनीकी मामलों में प्रशासनिक दखल खत्म करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। मध्यप्रदेश शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ का दावा है कि मंगलवार, 2 मई को प्रदेशभर में करीब 10 हजार डॉक्टर हड़ताल पर रहे हैं।



मरीज होते रहे परेशान



 प्रदेश में डॉक्टर्स की सांकेतिक हड़ताल के चलते अस्पतालों के वार्डों में भर्ती मरीजों को ट्रीटमेंट के लिए परेशान होना पड़ा। चिकित्सा शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के डॉक्टर्स ने मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ की अगुवाई में 1 मई को आंदोलन की शुरुआत की है। आंदोलन के पहले दिन डॉक्टर्स ने काली पट्‌टी बांधकर काम किया था। वे सरकारी नीतियों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। मंगलवार, 2 मई को सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स की दो घंटे की काम बंद हड़ताल का सबसे ज्यादा असर प्रदेश के बड़े शहरों-भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा के मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में देखने को मिला।



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डॉक्टर केबिन से निकलकर चले गए



अशोका गार्डन क्षेत्र के प्रगति नगर से जेपी हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंचे मरीज ने बताया कि मैं लाइन में लगा था। तभी डॉक्टर साहब केबिन से निकल गए। अब कोई यह नहीं बता रहा कि डॉक्टर साहब आएंगे या नहीं आएंगे। एक मरीज ने बताया कि वे बीमार मां को लेकर जेपी अस्पताल पहुंचे। ओपीडी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद डॉक्टर को दिखाने लाइन में लगे थे। केबिन में बैठकर मरीजों को देख रहे थे, लेकिन अचानक डॉक्टर साहब निकलकर चले गए। अस्पताल में अन्य डॉक्टर भी ओपीडी में नहीं मिले। वहीं एक अन्य मरीज ने बताया कि  जब तक डॉक्टर को दिखाने का नंबर आता, वे काम बंद करके हड़ताल पर चले गए। 



भोपाल में डॉक्टर्स ने ओपीडी में बंद किया इलाज



मध्यप्रदेश शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि प्रदेश सरकार के साथ लंबे समय से मांगों को लेकर बातचीत का दौर जारी था, लेकिन सरकार हमें लेकर गंभीर नहीं है। इस कारण मजबूरन मंगलवार को दो घंटे की सांकेतिक काम बंद हड़ताल की है। शाम तक कार्रवाई नहीं हुई तो बुधवार, 3 मई से मेडिकल एजुकेशन और स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स अनिश्चिकालीन हड़ताल शुरू करेंगे।



जबलपुर में 180 डॉक्टर हड़ताल पर



जबलपुर जिला अस्पताल एलगिन सहित तमाम स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ करीब 180 डॉक्टर मंगलवार से 2 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर चले गए। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि हड़ताल के दौरान कोशिश रही कि किसी भी मरीज की मौत ना हो। इमरजेंसी सेवाएं चालू रहीं, लेकिन ओपीडी में मरीजों का इलाज नहीं किया गया।



ग्वालियर में डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की रणनीति बनाई



ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल, जिला अस्पताल मुरार, सिविल हॉस्पिटल हजीरा में मंगलवार, 2 मई को डॉक्टर दो घंटे की काम बंद हड़ताल पर रहे। 11 बजे डॉक्टर अपना काम छोड़कर अस्पताल से बाहर खुले परिसर में चले गए। और अनिश्चितकालीन हड़ताल की रणनीति बनाने लगे। डॉक्टरों के बाहर आते ही ओपीडी और कैजुअल्टी में व्यवस्थाएं गड़बड़ाने लगीं। यदि बुधवार से सभी डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाते हैं तो गंभीर मरीजों को कहां शिफ्ट किया जाएगा अभी यह प्लान ना तो प्रशासन के पास है, ना ही जेएएच अधीक्षक और डीन के पास।



डॉक्टरों की यह हैं मांगें




  • केंद्र, बिहार और अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के डॉक्टर्स के लिए DACP योजना का प्रावधान।


  • स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और ईएसआई की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियां दूर हों।

  • चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए।

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (MBBS) की MPPSC के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति / चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन किया जाए।

  • जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि और ट्यूशन फीस जो कि देश में सर्वाधिक है को कम किया जाए।

  • विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र डॉक्टरों का वेतन समकक्ष संविदा डॉक्टरों के समान किया जाए।




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