स्वास्थ्य विभाग में 119 फर्जी कर्मचारी: 17 साल से सैलरी और सुविधाएं, FIR के बाद भी कार्रवाई नहीं

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स्वास्थ्य विभाग में 119 फर्जी कर्मचारी: 17 साल से सैलरी और सुविधाएं, FIR के बाद भी कार्रवाई नहीं

भोपाल। प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में 119 कर्मचारी फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। ये सभी कथित कर्मचारी 2004 से नियमित तनख्वाह और अन्य सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। इन फर्जी नियुक्तियों (Fake Appointments) का खुलासा 2016 में दतिया (Datiya) में हुआ था। इसके बाद लोकायुक्त की पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। इस फर्जीवाड़े की शिकायत ईओडब्ल्यू (EOW) में भी की गई थी। लेकिन इस सबके बाद भी 6 सालों में जांच आगे नहीं बढ़ी क्योंकि स्वास्थ्य महकमा ही इसे मामले को दबाने में जुटा रहा। दोनों एजेंसियों को जांच के लिए जरूरी जानकारी ही उपलब्ध नहीं कराई गई। अब जाकर कमिश्नर हेल्थ ने इस मामले में जांच आगे नहीं बढ़ने पर नाराजगी जाहिर करते हुए नए सिरे से निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने सभी जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों से 23 सितंबर तक संदिग्ध कर्मचारियों की जानकारी तलब की थी लेकिन उन्हें भी पूरा रिकॉर्ड नहीं मिल सका है।

ट्रेजरी अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध

फर्जी नियुक्ति पत्र पर नौकरी (Job) कर रहे सभी कर्मचारियों के यूनिक कोड दतिया के कोषालय से जारी हुए थे। लिहाजा इस मामले में ट्रेजरी के अधिकारियों की भी भूमिका भी कटघरे में है। लेकिन कोष एवं लेखा विभाग भी 6 साल से लोकायुक्त पुलिस को जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहा है। 2017 में दतिया के तत्कालीन एसपी ने आयुक्त कोष एवं लेखा को पत्र लिखकर जानकारी मांगी थी। इसी पत्र का हवाला देते हुए आयुक्त स्वास्थ्य आकाश त्रिपाठी ने ट्रेजरी से संदिग्ध कर्मचारियों का लेखा-जोखा मांगा है। 

अधिकारियों ने साधी चुप्पी

द सूत्र ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी केके रावत से बात करनी चाही। तो उन्होंने मामला जानने के बाद फोन काट दिया। इसके बाद उन्हें वॉट्सऐप पर भी मैसेज किए गए। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इससे इस घोटाले (Scam) में उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं।

ऐसे पकड़ाया फर्जीवाड़ा

2016 में दतिया के पेंशन अधिकारी और इंचार्ज कोषालय अधिकारी राकेश जाटव ने पुलिस में शिकायत की थी कि स्वास्थ्य विभाग में दर्जनभर से ज्यादा कर्मचारियों के नियुक्ति पत्र और यूनिक कोड फर्जी हैं। आरोपी कर्मचारी वर्तमान में भिंड, बैतूल, सीहोर, विदिशा (Vidisha) और मुरैना (Morena) आदि जिलों में पदस्थ हैं। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि 11 आरोपियों के फर्जी यूनिक आईडी दतिया कोषालय के क्लर्क सुनील रायकवार के पासवर्ड से जारी हुए थे।

विधानसभा में भी गूंजा मामला

2018 में कांग्रेस विधायक निशंक जैन (Congress MLA Nishank Jain) ने विधानसभा (Assembly) में इस मामले को उठाया था। उनके सवाल का जवाब देते हुए तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह ने बताया था कि तत्कालीन दतिया सीएमएचओ डॉ. आरएस गुप्ता के खिलाफ फर्जी नियुक्ति और गंभीर अनियमितता के आरोप हैं। इस मामले की जांच तत्कालीन संयुक्त संचालक स्वास्थ्य राकेश मुंशी को सौंपी गई थी। 

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