Bhopal. मध्यप्रदेश सरकार ने शासकीय कर्मचारियों को एक और बड़ा तोहफा देने जा रही है। सरकार ने पहले महंगाई भत्ता(dearness allowance) बढ़ाया और 6 साल से अटके प्रमोशन को मंजूरी दे दी। सरकार की इन दो बड़ी सौगात के बाद अब शासकीय कर्मियों(government employees) को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है। यह तीसरी सौगात कर्मचारियों के स्वास्थ्य से जुड़ी है। सरकार अब कर्मचारियों का हेल्थ बीमा(employees health insurance) करने जा रही है, जिसका लाभ बड़ी संख्या में लोगों को मिलेगा। सरकार 12 लाख कर्मचारी(12 lakh employees) और पेंशनर्स के इलाज के लिए कैशलेस बीमा योजना(cashless insurance plan) लाई है। इसके लिए स्वास्थ्य और वित्त विभाग के बीच चर्चा अंतिम दौर में है। इसमें बीमा की राशि का प्रीमियम कितना काटा जाएगा और कितने तक इलाज कवर होगा, इस बारे में ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। इसे सीनियर सेक्रेटरी(senior secretary) की कमेटी के पास भेजा जाएगा, जहां से सहमति के बाद कैबिनेट में लाया जाएगा। दरअसल, राज्य सरकार ने हाल ही में कर्मचारियों के इलाज के लिए नए नियम जारी किए हैं, जिससे यह भ्रम की स्थिति बन गई थी कि बीमा योजना खत्म कर दी गई है।
7 लाख कर्मचारी और पेंशनर्स आएंगे दायरे में
प्रस्तावित बीमा योजना के अनुसार 7 लाख कर्मचारी और पेंशनर्स इसके दायरे में आएंगे। इसकी बड़ी वजह यह है कि कर्मचारियों का इलाज तय नियमों के हिसाब से सरकार कराती है, लेकिन पेंशनर्स को खुद इलाज कराना पड़ता है। वह भी तब जब आयु 62 वर्ष से ज्यादा हो जाती है, उस समय उन्हें इलाज की भी जरूरत होती है। इसे देखते हुए बीमा योजना में कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों को शामिल किया जाना प्रस्तावित है। इलाज का खर्च 5 लाख से ज्यादा तो कैबिनेट की अनुमति लेना जरूरी, बीमा की राशि का प्रीमियम काटा जाएगा।
- क्लास-1 : 800 रुपए
इसमें 5 लाख रुपए तक का इलाज कैशलेस और उससे ऊपर के इलाज के लिए कैबिनेट की विशेष अनुमति जरूरी होगी। हालांकि प्रारंभिक आकलन के हिसाब से 300 करोड़ रुपए हर महीने प्रीमियम के जमा होंगे, जो सालाना 3600 करोड़ रुपए होंगे। प्रीमियम की राशि को लेकर अभी अंतिम फैसला होना है।
पुराने-नए नियमों में अंतर
पिछले महीने तक कर्मचारी स्वास्थ्य नियमों के हिसाब से 3000 रुपए तक की राशि चिकित्सक से परामर्श के बाद ले सकते थे। नए नियमों में इसे बढ़ाकर 8000 रुपए कर दिया गया है। वहीं, सिविल सर्जन की अनुमति के बाद पहले 3000 रुपए का इलाज लेने के बाद कर्मचारी 2 लाख रुपए तक का इलाज ले सकते थे, अब ये लिमिट 20 हजार रुपए होगी।
बीमारी गंभीर तो सीजीएचएस स्कीम में कवर होगी
प्रदेश में 5 लाख शासकीय कर्मचारी हैं, जिनके इलाज के लिए 180 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह राशि हाल ही में जारी नियमों के हिसाब से कर्मचारी चिकित्सक की सलाह पर साल में 8 हजार रुपए का इलाज घर पर स्वास्थ्य लाभ लेकर कर सकते हैं। इससे ज्यादा राशि की जरूरत पड़ने पर उन्हें सिविल सर्जन की अनुमति लेना होगी और 20 हजार रुपए साल में इलाज की पात्रता होगी। यदि बीमारी गंभीर है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होना होगा, जिसमें सीजीएचएस स्कीम में कवर बीमारियों का इलाज मिलेगा। हालांकि बजट अनुमान के अनुसार प्रति कर्मचारी 360 रुपए साल का ही इलाज मिल पाता है। यह बजट भी चारों शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर समेत अन्य बड़े शहरों में कार्यरत कर्मचारियो के इलाज में खर्च हो जाता है। जिला और तहसील स्तर पर राशि भी नहीं पहुंच पाती है।
पुलिस बीमा योजना का भी परीक्षण
कर्मचारियों की बीमा योजना तैयार करने में सरकार ने पुलिस बीमा का भी परीक्षण किया है। यह अभी इलाज की सबसे बेहतर बीमा योजना है। प्रदेश में 95 हजार पुलिसकर्मी हैं, उनमें से प्रत्येक से बीमा प्रीमियम के हर महीने 60 रुपए लिए जाते हैं। इसका ड्राफ्ट तत्कालीन गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने लागू किया था। इसमें पुलिसकर्मियों से सालभर के प्रीमियम की राशि 7 करोड़ रुपए जमा होती है, जिसमें से 4 करोड़ रुपए के क्लेम ही मिल रहे हैं। बाकी तीन करोड़ रु. बीमा योजना में जमा हो रहे हैं।