Mandla. अपने देश में हर चार साल में बाघों की गणना होती है, जिसकी रिपोर्ट प्रधानमंत्री ने अपने हाथों से जारी की थी। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद मध्यप्रदेश अपना टाइगर स्टेट होने का तमगा बरकरार रख सकता है। मौजूदा बाघों की गणना को देखकर तो यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है। बस घोषणा होने की देर है। दरअसल आश्वस्त होने के पीछे वे अनुमान हैं जो बाघों की संख्या की स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर लगाए जा रहे हैं।
2018 में कर्नाटक से मात्र दो बाघ ज्यादा थे
बता दें कि साल 2018 में मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छिनते-छिनते बचा था। उस वक्त प्रदेश में बाघों की संख्या 526 थी जबकि कर्नाटक में 524 बाघ मौजूद थे। ताजा स्टेटस रिपोर्ट में भी कर्नाटक अपनी दावेदारी पेश कर रहा है। हालांकि रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि मध्यभारत में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है, जबकि पश्चिमी घाट में बाघों की संख्या में कमी आई है।
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मध्यभारत में 128 बाघ बढ़े
बता दें कि बाघों के आवास क्षेत्र को प्रदेश के तौर पर नहीं बल्कि 5 लैंडस्केप में बांटा गया है। इनमें उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र , सेंट्रल इंडिया, ईस्टर्न घाट, वेस्टर्न घाट और उत्तर भारत का मैदान शामिल है। मध्यप्रदेश सेंट्रल इंडिया यानि मध्यभारत और पूर्वी घाट के अतंर्गत आता है, जबकि कर्नाटक पश्चिमी घाट के अंतर्गत आता है। वर्तमान में इन्ही लैंडस्कैप के अनुसार बाघों की गणना के आंकड़े जारी हुए हैं। जिसके अनुसार सेंट्रल इंडिया और पूर्वी घाट में 2018 के मुकाबले बाघों की संख्या में 128 बाघों की बढोतरी दर्ज की गई है। यहां कुल 1161 बाघ मौजूद हैं।
पश्चिमी घाट में कम हुए बाघ
ताजा रिपोर्ट के अनुसार वेस्टर्न घाट लैंडस्केप में 2018 के मुकाबले 124 बाघ कम हो गए हैं। 2018 में 981 बाघ थे जबकि अब यहां बाघों की गिनती में 824 बाघ ही पाए गए। जिसके चलते यह पुख्ता तौर पर कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा आने वाले 4 सालों तक कायम रहेगा।