दमोह. यहां एक 14 साल के बच्चे को उसके घरवालों ने इसलिए निकाल दिया, क्योंकि वो HIV पॉजिटिव था। बच्चे के मां-बाप का निधन 12 साल पहले हो गया था। दो साल पहले उसकी तबीयत खराब होने पर पता चला कि उसे HIV है। घरवालों का रवैया बदल गया। 19 अगस्त को किसी तरह वो जबलपुर पहुंचा जहां मोक्ष संस्था ने उसे सहारा दिया है।
HIV सुनकर घरवालों ने बच्चों को निकाला
मोक्ष संस्था के प्रमुख आशीष ठाकुर ने मीडिया को बताया कि 19 अगस्त को बच्चा मेडिकल कॉलेज अस्पताल ( Medical college Hospital) पहुंचा। उसके घरवालों( Family ) ने उसे घर से निकाल दिया। चाचा ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं है वो उसका इलाज नहीं करवा सकते। बच्चा किसी तरह ड्राइवर (Driver) से मिन्नतें (solicitation) करके जबलपुर (Jabalpur) पहुंचा। यहां मोक्ष संस्था ने उसे शरण दी।
संस्था ने दिया सहारा
बच्चे ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर अपनी आपबीती (ordeal) लोगों को बताई। दवा दुकानदार ने संस्था के प्रमुख को कॉल किया और बताया कि एक बच्चे को आपसे मिलना है। आशीष ठाकुर के मुताबिक, लड़के को मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। HIV छूआछूत (Communicable disease) की बीमारी नहीं है। ऐसे लोग प्यार के हकदार होते हैं, तिरस्कार के नहीं। उसके इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मोक्ष संस्था गरीब और असहायों के लिए भोजन प्रबंध करने के साथ मरीजों की देखभाल और लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार करती है।