BHOPAL. मध्यप्रदेश में डॉक्टर्स की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं। बुधवार, 3 मई को प्रदेशभर के 15 हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए। जिससे प्रदेश के 12 मेडिकल कॉलेजों में भर्ती 228 मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो सके। हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशान गंभीर रूप से बीमार लोग रहे। उन्हें मजबूरन पाइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ा। हड़ताल का असर प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दिखाई दिया। यहां अधिकतर मरीज पेरशान होते रहे। हालांकि प्रशासन ने विकल्प के रूप में संविदा और आयुष डॉक्टर्स की सेवाएं लीं, लेकिन उससे की हालात कोई खास असर नहीं पड़ा।
2 मई की बैठक में नहीं बनी सहमति
यहां बता दें, मंगलवार, 2 मई को हड़ताल खत्म करने के लिए रात करीब 8 बजे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के आवास पर बैठक हुई। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, चिकित्सक संगठन के पदाधिकारी और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे। करीब एक घंटे चली बैठक में भी कोई सहमति नहीं बन पाई। डॉक्टरों ने केंद्र सरकार के समान डीएसीपी लागू कराने की मांग की। मंत्री ने कहा कि कमेटी से एक-दो मीटिंग और कर लेते हैं, इसके बाद फैसला लेंगे। इस पर डॉक्टरों ने कहा कि बैठक करते-करते तो चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। यह कहकर डॉक्टर बाहर निकल आए। इसके बाद उन्हें रोकने का प्रयास भी नहीं किया गया। बैठक का दौर बुधवार, 3 मई को भी एक फिर चल सकता है।
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हड़ताल कर रहे डॉक्टर को हॉस्पिटल बिल्डिंग से बाहर किया
मप्र शासकीय स्वशासी संघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय को माल सिंह ने हमीदिया अस्पताल की बिल्डिंग से बाहर कर दिया। डॉ. मालवीय, हॉस्पिटल बिल्डिंग में बने वार्ड में ड्यूटी कर रहे साथी डॉक्टर्स से चर्चा करने पहुंचे थे। तभी कमिश्नर माल सिंह, कलेक्टर आशीष सिंह और जीएमसी डीन डॉ. अरविंद राय, हॉस्पिटल का राउंड लेने वार्ड में पहुंच गए। जहां डॉक्टर्स की हड़ताल की अगुवाई कर रहे डॉ. राकेश मालवीय को वार्ड में देख वह नाराज हो गए।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- डॉक्टर स्ट्राइक कॉल ऑफ करें
डॉक्टर्स की हड़ताल से सरकार बैकफुट पर दिखाई दे रही है। उनके स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा, सरकार की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। डाक्टरों से बातचीत चल रही है। कई मुद्दे थे उन सब पर सहमति भी बनी है। एक-दो मुद्दे थे, जिस पर सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन फिर भी हम लोगों ने बातचीत की है। डॉक्टरों से अनुरोध किया है कि स्ट्राइक कॉल ऑफ करें। वैसे भी ये मानवता से जुड़ा हुआ है। समाज में भी डॉक्टरों की हमेशा इज्जत रही है। उनको भगवान के रूप में मानते हैं। इसलिए उनको हड़ताल वापस लेना चाहिए।
जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर
मध्यप्रदेश मेडिकल टीचर एसोसिएशन, चिकित्सक संघ के आह्वान पर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन भी हड़ताल पर है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. विजेंद्र सिंह ने बताया कि पुरानी मांग थी, उसको लेकर हड़ताल जनवरी-फरवरी में की थी। सरकार ने कमेटी बनाई थी, लेकिन मसौदे को आगे नहीं बढ़ाया। ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग भी पेंडिंग है। जेडीए की मांग स्टाइपेंड को बढ़ाने की है। प्रदेश के जिला अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर जो गए हैं, उनके रहने की व्यवस्था नहीं की गई है। प्रमोशन टाइम पर मिलना चाहिए आदि प्रमुख मांग शामिल हैं।
डीएनबी डॉक्टर भी हड़ताल पर गए
डीएनबी सीपीएस एसोसिएशन ने सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के हड़ताल में शामिल होने की सूचना बुधवार, 3 मई दोपहर को जिला अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव को भेज दी है। इससे अब जेपी अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए अलग-अलग मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे इंटर्न डॉक्टर्स ही बचे हैं।
इंदौर में प्रशासन ने झोंकी ताकत
इंदौर में प्रशासन ने मोर्चा संभाल रखा है। यहां हड़ताल पर गए मरीजों की जगह आयुष डॉक्टरों को तैनात किया गया है। प्रशासन ने दावा किया है कि बिना इलाज किसी भी मरीज को वापस नहीं जाने दिया गया। बताते हैं यहां कलेक्टर सहित सभी प्रशासनिक अफसर मॉनिटरिंग में लगाए गए हैं। हालांकि, मरीज इलाज से संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। सामान्य बीमार लोग तो बिना इलाज के लौट गए,लेकिन गंभीर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में ही इलाज के लिए जाना पड़ा।
भोपाल के हमीदिया में 32 ऑपरेशन टले
भोपाल में विकल्प के रूप में निजी डॉक्टर्स की सेवाएं ली जा रही हैं। करीब डेढ़ सैकड़ा प्राइवेट डॉक्टर्स को ड्यूटी पर लगाया गया है। इसके अतिरिक्त चिरायु, आरकेडीएफ, जेके अस्पताल आदि में अतिरिक्त 1500 बेड की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था आपात स्थिति से निपटने के लिए की गई है। गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में 32 और जबलपुर में 50 मरीजों के रूटीन ऑपरेशन टाल दिए गए हैं। हमीदिया से दोपहर तक 9 गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है। दोपहर तक कुल 40 मरीज शिफ्ट किए गए हैं।
जबलपुर में 630 डॉक्टर हड़ताल पर
जबलपुर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के करीब 450 डॉक्टरों समेत जिला अस्पताल, लेडी एल्गिन और स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ 180 डॉक्टर भी हड़ताल पर हैं। जिला अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि ओपीडी में जरूर इलाज नहीं करेंगे, लेकिन अगर कोई गंभीर मरीज आता है जिसकी हमारे इलाज ना करने से मौत हो सकती है तो उसका इलाज हम निश्चित रूप से करेंगे। सिविल सर्जन डॉ. मनीष मिश्रा ने वैकल्पिक व्यवस्था करने का दावा किया है। इमरजेंसी, ट्रॉमा और ICU में एनएचएम, रिटायर्ड और आयुष डॉक्टरों को तैनात किया है। कमिश्नर अभय वर्मा ने डॉक्टरों के अवकाश कैंसिल कर दिए हैं। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में 42 और जिला अस्पताल में 8 ऑपरेशन होने थे, जिन्हें टाल दिया गया।
ग्वालियर में भी हड़ताल से परेशान रहे मरीज
गजराराजा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने मरीजों को वैकल्पिक व्यवस्था देने का दावा किया है, लेकिन हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई। हड़ताल में जयारोग्य चिकित्सालय ग्रुप में कार्यरत 350 डॉक्टर शामिल हैं। इनकी जगह इमरजेंसी और ट्रामा यूनिट में 30 आयुष डॉक्टर्स तैनात किए हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों के ऑपरेशन टलने से उन्होंने प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख किया है। कुछ मरीज परेशान होकर घर लौट गए हैं।
अन्य जिलों में भी हालात खराब रहे
रायसेन में सभी 79 डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं जिससे जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गईं और मरीज परेशान होते रहे। हालांकि आयुष डॉक्टर यहां मरीजों के इलाज के लिए तैनात किए गए। इस सबके बाद भी मरीज परेशान होते रहे और बिना इलाज के लौटे। इसी तरह छिंदवाड़ा में 166 डॉक्टर हड़ताल पर रहे। जिससे मरीजों को इलाज नहीं मिल सका। छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल में 56 और मेडिकल कॉलेज में 110 डॉक्टर हैं। बुरहानपुर में भी मरीजों को इलाज नहीं मिल सका। यहां डॉक्टसर दो घंटे हड़ताल पर रहे। डॉक्टर हड़ताल असर खंडवा मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में भी देखने को मिला। जिले के सभी डॉक्टर्स हड़ताल पर रहे हैं। खंडवा के मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में कई ऑपरेशन नहीं हो सके। यहां संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल भी जारी है और इसकी वजह से जमीनी स्तर पर टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं।