हरीश दिवेकर भोपाल. श्रम विभाग की विवाह सहायता स्कीम के अंतर्गत 10 जनपदों में 150 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। ये हम नहीं बल्कि आंकड़ें बता रहे हैं। द सूत्र ने 10 जिलों में रेंडमली 10 जनपदों के आंकड़ों की पड़ताल की है। पड़ताल में सामने आया कि इन तीन सालों में 31 हजार 18 शादियां श्रमिक विवाह सहायता योजना में कराई गईं। जबकि श्रम विभाग के प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा का कहना है कि विवाह सहायता योजना (marriage assistance scheme) में एक साल में एक जनपद में अधिकतम 60 शादियां ही हो पाती हैं। इस हिसाब से 10 जनपदों में तीन साल में अधिकतम 1800 शादियां विवाह सहायता योजना में होना थी, लेकिन 31 हजार 18 हुई। यानी सीधे तौर पर देखें तो 10 जिलों के 10 जनपदों में विवाह सहायता योजना में 29 हजार दो सौ 18 शादियां फर्जी कराई गईं। योजना के अंतर्गत एक शादी में 51 हजार रुपए देने का प्रावधान है। इस हिसाब से 29 हजार दो सौ 18 शादी में ये आंकड़ा 150 करोड़ 1 लाख 18 हजार रुपए पहुंचता है। घोटाले का ये आंकड़ा सिर्फ 10 जिलों की 10 जनपदों का है। अगर पूरे प्रदेश का आंकड़ा उठाकर देखा जाए तो ये आपको हैरान कर देगा।
विदिशा जिले की सिरोंज जनपद से इस घोटाले की कड़ी खुलती है। सिरोंज जनपद में हुए इस घोटाले की जांच में जुटे ईओडब्ल्यू ने तीन लोगों पर कार्रवाई की। जिसमें मध्यप्रदेश के वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव के साढ़ू शोभित त्रिपाठी भी शामिल थे। मंत्री के करीबी की गिरफ्तारी की बात सुनकर ये यकीन होने लगता है कि शायद सचमुच कार्रवाई बहुत इमानदारी से हुई है। लेकिन जरा सोचिए क्या एक अकेला अधिकारी कुछ छोटे कर्मचारियों के साथ मिलकर करोड़ों के घोटाले को अंजाम दे सकता है। भांग पूरे कुएं में घुली है। मंत्री के करीबी को सख्ती की चपेट में लेकर शायद उस कुएं पर ढक्कन लगाने की कोशिश की जा रही है।
एक हिस्से में जांच कर मामला खत्म हुआ: बीजेपी के वरिष्ठ विधायक उमाकांत शर्मा ने विधानसभा में मामला उठाया तो सरकार एक्शन में आई। ताज्जुब की बात ये है कि जांच सिर्फ इस हिस्से में हुई और दोषी को निलंबित कर मामला खत्म कर दिया। सवाल उठा कि क्या ये केवल एक ही जिले की जनपद में ऐसा हुआ है या प्रदेश की अन्य जनपदों में ये घोटाला हुआ है। इसे जानने के लिए द सूत्र की टीम ने प्रदेश के 10 जिलों की 10 जनपदों के विवाह सहायता योजना के आंकड़ों की रेंडमली जांच की तो ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ। ऐसे लोगों को अपना निशाना बनाया गया जो अनपढ़ हैं या फिर बहुत ज्यादा जरूरतमंद। योजना से अनजान कुछ लोगों को भी शिकार बनाया गया जो इसका लाभ उठाने के पात्र थे।
महामारी के वो दो साल जब आप घर की चार दीवारी में कैद थे। घर में होने वाले शादी ब्याहों को टालने की योजना पर विचार कर रहे थे। उस वक्त मध्यप्रदेश के कुछ अधिकारी विवाह के नाम पर करोड़ों की रकम डकारने की योजना बना रहे थे। इस पूरे मामले में विभाग के प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा को बताया गया तो उन्होंने कहा कि हम इस मामले जांच करवा रहे हैं। प्रमुख सचिव का कहना है विवाह सहायता योजना के आंकड़े पोर्टल में दर्ज न होने के कारण ये गफलत हुई है। सिन्हा बताते हैं कि भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए पोर्टल पर आंकड़े दर्ज कर मॉनिटरिंग की जाएगी।
घोटाले से जुड़ी एक्सक्लूसिव जानकारी ये है
- सिंगरौली जनपद पंचायत चितरंगी में 2019-20 में 2233, 2020-2021 में 1129, 2021-2022 में 3052 विवाह हुए। टोटल 6414 शादी हुई।
श्रमिक विवाह सहायता योजना में ये घोटाला एक अप्रैल 2020 से 30 जून 2021 के बीच में हुआ। जब अचानक इस योजना के तहत विवाह करने वालों के आंकड़ों में उछाल आया। घोटाले की बू आते ही उमाकांत शर्मा ने विधानसभा में इससे जुड़ा सवाल उठाया। इसके बाद जो एक के बाद एक खुलासे हुए वो आम लोगों को ही नहीं बल्कि सरकार और पूरी मशीनरी को चौंकाने वाले थे। घोटाले में शामिल शोभित त्रिपाठी का नाम जितना चौंकाने वाला था उससे भी ज्यादा चौंकाने वाले थे वो कारनामे जो करोड़ों की बड़ी रकम को हड़पने के लिए किए गए।
इस तरह किया घोटाला
- जिनकी पहले शादी हो चुकी थी उनकी भी दोबारा शादी करवा दी गई।
विधानसभा में गूंजा मामला: घोटाले से जुड़े सवाल ये भी हैं कि ये सब कुछ होता रहा और मंत्री को कानोंकान खबर तक नहीं हुई। विभागीय मंत्री को इस बात की जानकारी भी न होती अगर बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ये मुद्दा न उठाते। मामला उठने के बाद सियासत भी बहुत गर्माई। बीजेपी नेताओं ने हर बार की तरह दोषियों पर सख्त कार्रवाई का जुमला दोहराया तो कांग्रेस ने बीजेपी में गुटबाजी का ही आरोप लगा दिया। विधानसभा में श्रमिक विवाह सहायता योजना का सवाल उठा तो खनिज मंत्री बिजेंद्र प्रताप सिंह का जवाब सुनकर विधानसभा अध्यक्ष भी हैरान रह गए। भरे सदन में खनिज मंत्री ने जानकारी दी कि 1 साल में सिरोंज जिला पंचायत में 5976 लोगों को 30 करोड़ 40 लाख की राशि दी गई है। जिसके बाद विदिशा के प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग ने कहा था कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
क्या बड़ी मछलियां फसेंगी जाल में: अब देखना ये है कि इस बड़े खुलासे के बाद सरकार किस तेजी से जांच की दिशा में आगे कदम उठाती है। जिस गति से एक मंत्री की करीबी को गिरफ्त में लिया गया है। क्या अब उतनी ही तेजी से दूसरे दोषियों तक जांच पहुंच सकेगी? बड़ा सवाल ये है कि योजना में एक साल में अधिकतम 60 शादियां होती हैं तो हजारों शादियों के लिए इस योजना से बजट कैसे जारी हो गया। क्या इस पूरे खेल में बड़े लोग भी शामिल हैं। क्या हर बार की तरह छोटे अधिकारियों पर ही जांच का शिकंजा कसेगा या वो बड़ी मछलियां भी जाल में उलझेंगी जिनके इस घोटाले में शामिल होने से इनकार नहीं किया जा सकता। उससे भी बड़ा सवाल क्या संबंधित मंत्री और मंत्रालय में बैठे आला अफसरों की जवाबदेही भी तय होगी जिसकी नाक के नीचे ये खेल होता रहा और वो अनजान रहे या अनजान होने का दिखावा करते रहे।