दीपेंद्र सिंह राजपूत । भोपाल. यदि आप इंदौर-भोपाल आने-जाने के लिए चार्टर्ड बस (Chartered Bus) से सफर करते हैं तो ये खबर आपके लिए है। चार्टर्ड बस के ऑपरेटर यात्रियों से निर्धारित किराए से 194 रु. ज्यादा वसूल रहे हैं। परिवहन विभाग (Transport Deparetment) के नियम के मुताबिक इन बसों का किराया 300 रु. होना चाहिए। जबकि चार्टर्ड बसों में सफर के लिए यात्रियों से 494 रुपॆए तक वसूल किए जा रहे हैं। सरकार के दोहरे नियम की आड़ में चार्टर्ड बस ऑपरेटर प्रदेश में सिर्फ इंदौर-भोपाल रूट पर आम यात्रियों की जेब से सालाना 45 करोड़ की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं।
जानिए क्या है नियम ?
नियमानुसार चार्टर्ड बस ऑपरेटर इंदौर-भोपाल के बीच सफर के लिए यात्रियों से किराये के रूप में 300 रु. वसूल सकते हैं। द सूत्र ने सूचना के अधिकार के तहत परिवहन विभाग से जो दस्तावेज हासिल किया उसमें साफ लिखा है कि चार्टर्ड बस डीलक्स कैटेगरी में रजिस्टर्ड हैं। मप्र सरकार के राजपत्र में भी इंदौर-भोपाल के बीच डीलक्स बस का किराया 300 रुपए दर्ज है।
चार्टर्ड बसों में ज्यादा किराया वसूली कैसे ?
मप्र मोटर यान नियम 1994 और मोटर यान अधिनियम 1988 में यात्री बसों की चार कैटेगरी का जिक्र किया गया है। जिसमें साधारण, एक्सप्रेस, स्लीपर और डीलक्स कैटेगरी शामिल हैं। अधिनियम में साफ लिखा है कि बसों का रजिस्ट्रेशन इन चार कैटेगरी में ही होगा। लेकिन इसके विपरीत किराया वसूलने के लिए सरकार ने बसों की छह तरह की कैटेगरी बना दी है। छह कैटेगरी में सामान्य, रात्रि बस सेवा, डीलक्स बस (नॉन एसी), स्लीपर, डीलक्स बस (एसी) और सुपर लग्जरी कोच(एसी) शामिल है। प्रदेश सरकार के राजपत्र में बकायदा इसका प्रकाशन किया गया है।
किस कैटेगरी की बसों की कितना किराया ?
सामान्य कैटेगरी में रजिस्टर्ड बस का किराया 1 रुपये 25 पैसे प्रति यात्री प्रति किलोमीटर निर्धारित है। डीलक्स कैटेगरी में रजिस्टर्ड बस में सफर के लिए सामान्य बस के किराए से 25 फीसदी ज्यादा किराया वसूल किया जा सकता है। वहीं सुपर लग्जरी कोच कैटेगरी में रजिस्टर्ड बस में सफऱ के लिए 75 फीसदी ज्यादा किराया वसूला जा सकता है। नियम तो ये है कि जिस कैटेगरी में बस रजिस्टर्ड है उसी के अनुरूप किराया वसूला जा सकता है लेकिन चार्टर्ड बसों के मामले में ऐसा हो नहीं रहा है। चार्टर्ड बसों में सफर के लिए यात्रियों से सुपर लग्जरी कोच की कैटेगरी का किराया वसूला जा रहा है जबकि वो डीलक्स कैटेगरी में रजिस्टर्ड हैं।
परिवहन आयुक्त को है बदलाव का अधिकार
राजपत्र में इस बात का भी जिक्र है कि किराया निर्धारण में समय- समय पर संशोधन का अधिकार ट्रांसपोर्ट कमिश्नर(Transport Commissioner) को है। लेकिन जानकारों के मुताबिक सरकार एक तरफ दिखावे के लिए नियमों का हवाला देती है वहीं दूसरी तरफ उसने किराया वसूली के लिए अलग कैटेगरी बनाकर जनता को लूटने का अधिकार दे दिया है। कायदे से सरकार को कानून में बदलाव कर चार्टर्ड बसों के लिए एक अलग कैटेगरी बनाना चाहिए और फिर उस कैटेगरी के तहत किराए का निर्धारण किया जाना चाहिए।
चार्टर्ड बसों की सालाना 45 करोड़ रु. एक्स्ट्रा कमाई
भोपाल-इंदौर रूट पर चार्टर्ड की 52 सीटर 30 बसें रोजाना चलती हैं। ये बसें दिनभर में 120 फेरे लगाती हैं। प्रत्येक यात्री से 194 रु. ज्यादा वसूलने वाली कंपनी दिन भर में यात्रियों से12 लाख 10 हजार 560 रुपये नाजायज वसूलती है। इस हिसाब से 31 दिन की राशि 3 करोड़ 75 लाख 27 हजार 360 रुपये और साल भर की अतिरिक्त कमाई 45 करोड़ 3 लाख 28 हजार 320 रुपये है। आपको बता दें प्रदेश में ये गोलमाल पिछले 7 साल से चल रहा है।
मामले की जांच कराऊंगाः परिवहन मंत्री
द सूत्र के संवाददाता ने इस मामले में परिवहन मंत्री (Transport Minister) गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) से बात की तो उन्होंने इसे गंभीर मसला बताया। उन्होंने स्वीकार किया कि इस तरह की शिकायतें पहले भी मिली हैं। अधिकतर त्योहारों के समय ऐसी शिकायतें सुनने को मिलती हैं कि बस ऑपरेटर यात्रियों से ज्यादा किराया वसूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस मामले की जांच कराएंगे और जो भी बस मालिक निर्धारित किराए से ज्यादा वसूल रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित कराएंगे।