जॉब फ्रॉड के नाम पर 25 करोड़ ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़, EOW ने रतलाम के अर्पित पांचाल को पकड़ा

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The Sootr
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जॉब फ्रॉड के नाम पर 25 करोड़ ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़, EOW ने रतलाम के अर्पित पांचाल को पकड़ा

BHOPAL News. देश के सबसे बड़े जॉब फ्रॉड रैकेट का ओडिशा की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने पर्दाफाश किया है। मामले में ओडिशा की भुवनेश्वर पुलिस ने पहले उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में रहने वाले मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया था। अब रतलाम जिले के जावरा में रहने वाले आईटी इंजीनियर को पकड़ा है, जिसने जॉब फ्रॉड के लिए फर्जी वेबसाइट डेवलप की थी। EOW ने मध्यप्रदेश के रतलाम जिले से आरोपी अर्पित पांचाल को गिरफ्तार किया है। अर्पित एक IT विशेषज्ञ है, वह वेबसाइट डेवलपमेंट का काम करता था। मामला करीब 25 करोड़ रुपए की ठगी का है।



 मास्टरमाइंड है अलीगढ़ का जफर अहमद



पुलिस के मुताबिक, अलीगढ़ का जफर अहमद इसका मास्टरमाइंड है, जिसे भुवनेश्वर (ओडिशा) पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। जफर ने इंजीनियर साथियों के साथ मिलकर सरकारी जैसी दिखने वाली वेबसाइट बनाई थी, जिसके जरिए विज्ञापन निकालकर नौकरी के नाम पर कई राज्यों के हजारों बेरोजगारों के साथ ठगी की वारदात को अंजाम दिया है। भुवनेश्वर पुलिस ने जावरा निवासी आईटी इंजीनियर अर्पित पांचाल को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि वेबसाइट अर्पित ने बनाई थी।



नौ फर्जी वेबसाइटों से ठगी करने का खुलासा



पुलिस के अनुसार, मामला करीब 25 करोड़ रुपए की ठगी का है। जफर और उसके साथी ने ओडिशा, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल में नौकरी चाहने वालों को सरकारी जैसी क्लोन वेबसाइट के जरिए नौकरी दिलाने के लिए विज्ञापन जारी करवाया और फिर पंजीयन के नाम पर शुल्क लेकर फ्रॉड किया। भुवनेश्वर के आईजी जयनारायण पंकज के वहां की मीडिया रिपोर्ट में दिए बयान के मुताबिक, करीब नौ क्लोन (फर्जी) वेबसाइटों का खुलासा किया है।



भुवनेश्वर पुलिस को एक हजार फर्जी सिमकार्ड मिले



 भुवनेश्वर पुलिस को 22 हजार से ज्यादा लोगों की एक लिस्ट मिली, जिनमें किसी से पांच हजार तो किसी से 50 हजार रुपये तक ऐंठे गए। लगभग एक हजार फर्जी सिम कार्ड भी पुलिस ने पता किए हैं। इसके लिए बकायदा वहां ऑफिस खोलकर 50 कर्मचारियों का कॉल सेंटर भी डेवलप किया था। उन्हें 15 हजार रुपए की सैलरी तक दी जाती थी। इनकी वेबसाइट पर ज्यादातर सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र में संविदा पर नौकरी दिलाने के लिए विज्ञापन जारी करती थी।



गिरोह ने 2000 मजदूरों के नाम से फर्जी खाते खोले



पुलिस की माने तो ठगी की राशि जमा करने के लिए गिरोह ने लगभग दो हजार गरीब मजदूरों के नाम से फर्जी खाते खोले थे और उस रुपए को भी वे यूपी के जनसेवा केंद्रों से क्यूआर कोड के जरिए निकालते थे। ताकि किसने यह रुपए निकाले, यह पता न चले। इसके लिए 10 प्रतिशत कमीशन देते थे।


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