MP : फीस में एक रुपए ज्यादा जमा होने पर नहीं दी जानकारी, सूचना आयोग ने अधिकारी पर लगाया 25 हजार का जुर्माना

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Sunil Shukla
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MP : फीस में एक रुपए ज्यादा जमा होने पर नहीं दी जानकारी, सूचना आयोग ने अधिकारी पर लगाया 25 हजार का जुर्माना

BHOPAL. निर्धारित फीस से कम राशि जमा होने पर सरकारी दफ्तरों में काम रुक जाने के मामले तो आपने बहुत सुनें होंगे लेकिन कभी सुना है कि फीस ज्यादा जमा होने पर काम रोक दिया जाए। वो भी अदद एक रुपए ज्यादा जमा होने पर। जी हां प्रदेश में बिजली कंपनी के एक दफ्तर में ऐसा ही एक कारनामा सामने आया है। जहां फीस के रूप में एक रुपए ज्यादा जमा होने पर RTI में मांगी गई जानकारी को रोक दिया गया। मप्र राज्य सूचना आयोग ने इस केस में कड़ी कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही आरटीआई के आवेदक को 10 हजार रुपए का हर्जाना देने का निर्देश जारी किया है। 



RTI की अपील की सुनवाई में सामने आया मामला



लालफीताशाही का ये नमूना राज्य सूचना आयोग के कमिश्नर राहुल सिंह के सामने RTI की एक अपील प्रकरण की सुनवाई में सामने आया। मामला मध्य प्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कम्पनी के अधीक्षण यंत्री कार्यालय सतना का है। RTI आवेदक आरके सेलट ने बिजली कंपनी में एक आरटीआई लगाकर कंपनी में कार्यरत अपनी पत्नी की वेतन फिक्सेशन की जानकारी मांगी। इस पर कंपनी के लोक सूचना अधिकारी एवं एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पीसी निगम ने आवेदक को 4 रुपए फीस की लिखित मांग चाही गई जानकारी की प्रतिलिपि उपलब्ध कराने के लिए की। आवेदक आरके सेलट 5 रुपए का शुल्क विभाग में जमा करा दिया। लेकिन पीसी निगम ने फीस आवेदक को लौटाते हुए कहा कि 4 रुपए ही चाहिए और जानकारी भी देने से इनकार कर दिया। सेलट ने आयोग को बताया कि उन्होंने फीस एक रुपए ज्यादा इसलिए दी थी क्योंकि पुराने एक मामले में उनसे 6 रुपए मांगे गए थे। उन्होंने 5 रुपए दिए थे तो उनसे बकाया एक रुपए की मांग की गई थी।



अधिकारी ने की कानून और नियमों की अवहेलना



सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इसे लालफीताशाही करार देते हुए कहा कि इस केस में हर स्तर पर अधिकारी ने कानून और नियमों की अवहेलना की है। सिंह ने ये भी कहा कि अक्सर सरकारी अधिकारी, कर्मचारी वेतन फिक्सेशन, पेंशन संबंधी, सर्विस रिकॉर्ड से संबंधित मामलों के निराकरण के लिए परेशान होते हैं। ऐसे मामलों में यदि विभाग के पास आरटीआई आती है तो विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वो सद्भभावना पूर्वक इस तरह की आरटीआई में मांगी गई जानकारी को 30 दिन में तत्काल संबंधित कर्मचारी, अधिकारी को उपलब्ध कराएं।



आरटीआई आवेदक से वसूला जाता है फोटोकॉपी का शुल्क



सूचना आयुक्त ने कहा कि RTI act के अनुसार फोटोकॉपी का शुल्क आरटीआई आवेदक से वसूला जाता है। लेकिन RTI आवेदन दायर होने के 30 दिन में जानकारी देने के अनिवार्य समय सीमा के बाद जानकारी निशुल्क देने का कानून में प्रावधान है। लेकिन इस मामले में 30 दिनों की समय सीमा के उल्लंघन के बाद पीआईओ पीसी निगम द्वारा आरके सेलट से 4 रुपए की मांग की गई और बाद में एक रुपए छाया प्रति शुल्क अधिक आने पर जानकारी रोक दी गई। जबकि आरटीआई कानून के अनुसार जानकारी आवेदक को निशुल्क उपलब्ध करानी चाहिए थी। अधिकारी की हठधर्मिता से नाराज सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक रुपए अधिक आने पर आपत्ति लेने वाले अधिकारी के खिलाफ 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। सिंह ने अपने फैसले में ये भी कहा कई राज्यों में तो 3 या 4 रुपए की शुल्क राशि नहीं लेने के लिए भी नियम बनाए गए हैं क्योंकि अगर जानकारी 3 या 4 रुपए की है तो उससे ज्यादा खर्चा उस जानकारी के लिए जो शुल्क पत्र जारी किया जाता है उसमें होता है क्योंकि इसमें शुल्क पत्र जारी करने का स्टेशनरी का खर्चा और फिर उसे आवेदक को भेजने में डाक का खर्चा भी शामिल है। आयोग के निर्देश पर राजेश श्रीवास्तव, चीफ इंजीनियर परीक्षण संचार मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी जबलपुर ने आरटीआई आवेदक आरके सेलट को 10 हजार रुपए का हर्जाना उपलब्ध करा दिया है।


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