JHABUA. झाबुआ जिला अस्पताल में पदस्थ एक महिला चिकित्सक का शव उसके किराए के मकान में फांसी पर झूलता मिला। आत्महत्या करने वाली डॉक्टर का नाम 25 वर्षीय निशा भायल है। पुलिस के हाथ डॉक्टर निशा की डायरी लगी है। जिसमें उन्होंने अपनी निजी जिंदगी के संबंध में कुछ अंश लिखे थे। इसमें लिखा है मैं दिखने में सुंदर नहीं हूं। मैं जो काम करती हूं, वो गलत हो जाता है। बहुत परेशान हूं। जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा।
आत्महत्या करने की इच्छा होती है...
डॉक्टर निशा ने डायरी में लिखा कि आत्महत्या करने की इच्छा होती है। सामने चल रही गाड़ी से अपनी गाड़ी टकराकर जान देने की इच्छा होती है। कमरे में रहती हूं तो छत का पंखा देखकर मन करता है, इस पर लटक कर जान दे दूं। मेरे माता-पिता ने मुझे बड़ी मेहनत से पढ़ाया है। उनका मुझ पर ये कर्ज है। इसीलिए रुक जाती हूं, लेकिन हमेशा यही सोचती हूं कि इसी समय जान दे दूं...।
छह माह से झाबुआ में थी पदस्थ
सीएमएचओ डॉ. जे एस ठाकुर ने बताया कि डॉ. निशा जिले के पेटलावद की रहने वाली थी। वह एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद एक साल के बांड पर करीब छह माह पूर्व झाबुआ जिला अस्पताल में मेडिकल आॅफिसर के रूप में पदस्थ हुई थीं।
मौत की पुलिस कर रही है जांच
थाना कोतवाली प्रभारी सुरेन्द्र सिंह गाडरिया ने बताया कि जानकारी मिलने पर डॉ. निशा भायल का फांसी पर लटका हुआ शव उनके मेघनगर नाका स्थित मकान से बरामद किया गया। मामला आत्महत्या का है अथवा उनकी हत्या कर दी गई, यह रहस्य अभी बना हुआ है। पुलिस द्वारा सभी बिंदुओं से जांच शुरू कर दी गई है।
दिन में सामान्य थी डॉक्टर
होली की छुट्टी मनाकर डॉ. निशा पेटलावद से झाबुआ लौटीं थी। दिन में ड्यूटी कर शाम साढ़े 5 बजे कमरे पर आई थीं। दूध भी लिया और किचन स्टैंड पर एक बर्तन में खाली करके रखा। तब तक सब सामान्य दिख रहा था।
पड़ोसियों ने फंदे पर देखी लाश
रात लगभग 9 बजे डॉक्टर के घर वालों ने उन्हें फोन किया। जब कॉल रिसीव नहीं हुआ तो उन्होंने निशा के साथ ही पदस्थ डॉ. मुलेवा को कॉल किया। मुलेवा ने दरवाजा खटखटाया। बहुत देर तक दरवाजा नहीं खुला तो मकान मालिक मयंक राठौर ने खिड़की का कांच पत्थर से तोड़कर अंदर देखा तो निशा फंदे पर लटकी थीं।
मोबाइल से निकाली जाएगी और जानकारी
डॉ. निशा ने कोई सुसाइड नोट तो नहीं छोड़ा। उनकी डायरी के पिछले पन्नों पर लिखा नोट पुलिस को जरूर मिला। परिजन के आने के बाद पुलिस ने उनके सामने सारा सामान टटोला तो ये नोट मिला। अब मोबाइल से बाकी जानकारी निकाली जाएगी।
दुखी पिता बोले- बड़ी मेहनत करके पढ़ाया था
निशा के पिता चेनालाल भायल पटवारी हैं। उन्होंने बताया, बेटी को बड़ी मेहनत करके एमबीबीएस प्राइवेट कॉलेज से कराया था। वो पढ़ने में अच्छी थी, उसे लेकर कई सपने थे। उससे बड़ा एक भाई और एक बहन है।