MPPSC 2020 में 260 पद,इसमें 221 पद 87 फीसदी और 39 बाकी 13 फीसदी फार्मूले में रहेंगे,प्रोवीजनल वाले के अंक ज्यादा हुए तो क्या होगा?

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Pratibha Rana
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MPPSC 2020 में 260 पद,इसमें 221 पद 87 फीसदी और 39 बाकी 13 फीसदी फार्मूले में रहेंगे,प्रोवीजनल वाले के अंक ज्यादा हुए तो क्या होगा?

संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2020 के इंटरव्यू 27 अप्रैल से 19 मई तक होंगे। माना जा रहा है कि जून के पहले सप्ताह तक इसका अंतिम रिजल्ट भी संभावित है। इस भर्ती को अंतिम रूप देने के लिए मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) ने इस परीक्षा के दौरान रखे गए 260 पदों का 87-13 फीसदी फार्मूले से बंटवारा कर दिया है और इसकी सूचना वेबसाइट पर जारी कर दी है। इसके अनुसार 221 पदों को 87 फीसदी कोटे में रखी गई और शेष 39 पदों को 13 फीसदी फार्मूले में रखी गई है। 



पहले देखते हैं कुल कितने पद



भर्ती विज्ञप्ति के अनुसार डिप्टी कलेक्टर के 27 पद, डीएसपी के 13, जिला सेनानी और सहायक संचालक जनसंपर्क के एक-एक पद, 40 पद, सहायक संचालक स्कूल शिक्षा विभाग के 40 पद, सहायक आयुक्त सहकारिता विभाग के 6 पद, जेल अधीक्षक के 3 पद, वाणिज्यिक कर अधिकारी के पांच पद, नायब तहसीलदार के 38 पद, सहकारिता निरीक्षक के 18 पद, वित्त विभाग लेखा सेवा के 88 पद और वाणिज्यिक कर निरीक्षक 20 पद हैं। 



इसमें 87 फीसदी फार्मूले से इस तरह 221 पद



डिप्टी कलेक्टर के 24 पद, डीएसपी के 12, जिला सेनानी और सहायक संचालक जनसंपर्क के एक-एक पद, सहायक संचालक स्कूल शिक्षा विभाग 35 पद, सहायक आयुक्त सहकारिता विभाग के 5 पद, जेल अधीक्षक के 2 पद, वाणिज्यिक कर अधिकारी के 4 पद, नायब तहसीलदार के 33 पद, सहकारिता निरीक्षक के 16 पद, वित्त विभाग लेखा सेवा के 72 पद और वाणिज्यिक कर निरीक्षक 16 पद हैं। 



13 फीसदी फार्मूले में इस तरह 39 पद



डिप्टी कलेक्टर के तीन पद, डीएसपी के एक पद, जिला सेनानी और सहायक संचालक जनसंपर्क के जीरो, सहायक संचालक स्कूल शिक्षा विभाग 5 पद, सहायक आयुक्त सहकारिता विभाग के एक पद, जेल अधीक्षक के एक पद, वाणिज्यिक कर अधिकारी के एक पद, नायब तहसीलदार के 5 पद, सहकारिता निरीक्षक के दो पद, वित्त विभाग लेखा सेवा के 16 पद और वाणिज्यिक कर निरीक्षक 4 पद हैं। 



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यह है 87-13 फार्मूला



ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी दिया जाए या 13 फीसदी? यह केस कोर्ट में लंबित होने के चलते यह फार्मूला है। इसमें कुल पद में से 87 फीसदी पदों पर अंतिम भर्ती दी जाएगी, शेष 13 फीसदों पर अनारक्षित और ओबीसी कैटेगरी के उम्मीदवारों को चयनित किया गया है। इनके इंटरव्यू भी होंगे लेकिन इन्हें अंतिम भर्ती ओबीसी आरक्षण पर अंतिम फैसले के बाद दी जाएगी। यदि अनारक्षित के पक्ष में फैसला आता है और ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी ही रहता है तो यह 13 फीसदी अनारक्षित कैटेगरी के उम्मीदवारों के पास चले जाएंगे। लेकिन आरक्षण 27 फीसदी होता है तो 13 फीसदी पद ओबीसी उम्मीदवारों के पास चले जाएंगे।



कोई भी इधर से उधर जंप नहीं करेगा, अधिक अंक आए तो क्या होगा?



आयोग ने पहले ही शर्तों में तय कर दिया था कि 13 फीसदी कैटेगरी प्रोवीजनल में चयनित उम्मीदवार किसी भी स्थिति में 87 फीसदी रिजल्ट कोटे में जंप नहीं करेंगे। यानि वह अपनी कैटेगरी में ही रहेगा। लेकिन जानकार इस बात का सवाल उठाते हैं कि जैसे 13 फीसदी वालों के लिए डिप्टी कलेक्टर के तीन, डीएसपी के एक पद है और कुछ पद तो है ही नहीं, यदि इसमें अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों के अंक मूल रिजल्ट के में टॉप आने वाले उम्मीदवारो से ज्यादा आते हैं तो क्या उनका हक डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी या अन्य किसी पद के लिए नहीं बनेगा? यह उस उम्मीदवार के मौलिक अधिकार का हनन होगा और ऐसे में वह मूल रिजल्ट में मेरिट होल्डर उम्मीदवार से अधिक अंक आने पर अपने लिए डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी पद की मांग करेगा। लेकिन वह तो बचेंगे ही नहीं क्योंकि पीएससी तो 87 फीसदी फार्मूले से इन्हें अंतिम भर्ती बहुत पहले ही दे चुका होगा। ऐसे में उस समय यह 87-13 फीसदी मामला फिर से प्रोवीजनल सूची के उम्मीदवारों द्वारा मूल रिजल्ट के उम्मीदवारों से अधिक अंक लाने की स्थिति में देर-सबेर चैलेंज किया जा सकेगा।

 


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