Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लंबित ओबीसी आरक्षण की याचिका में अपाक्स ने 7 हजार पन्नों के दस्तावेज समेत रिजॉइंडर पेश किया है। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि इसमें ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज भी शामिल हैं।
खास तौर पर सन 1863 से तत्कालीन कमिश्नर ज्योतिबाराव फुले कमीशन की रिपोर्ट समेत 1918 मिलर कमीशन की रिपोर्ट भी शामिल है। साथ ही गोलमेज सम्मेलन, गवर्नमेंट इंडिया एक्ट 1935, अंबेडकर की कास्ट इनहेलेशन स्पीच और 30 नवंबर 1948 को संविधान सभा की डिबेट भी दस्तावेजों में शामिल है। प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट, महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट और द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग, मंडल कमीशन रिपोर्ट, महाजन कमीशन रिपोर्ट, आरक्षण का निर्धारण करने से संबंधित संसदीय सभा 1950 की रिपोर्ट, अश्वनी देशपांडे आयोग की रिपोर्ट और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के दस्तावेजों को भी शामिल किया गया है।
27 फीसद आरक्षण के विरोध और समर्थन में लगी हैं 63 याचिकाएं
मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी संघ (अपाक्स) द्वारा ओबीसी के 27 फीसद आरक्षण के समर्थन में याचिका दाखिल की है। उक्त याचिका के साथ लगभग 200 से अधिक ओबीसी के चयनित शिक्षकों द्वारा दायर करीब 25 याचिकाएं भी लिंक हैं। उक्त याचिकाओं की सुनवाई में सरकार का पक्ष रखने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, के एम नटराजन तथा ओबीसी के विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह को नियुक्त किया गया है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदिरा जयसिंह तथा अभिषेक मनु सिंघवी को ओबीसी आरक्षण के समर्थन में पक्ष रखने नियुक्त किया है।
सरकार भी है समर्थन में
इधर इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार भी समर्थन में है, सरकार द्वारा पिछली सुनवाई में ओबीसी का संपूर्ण डेटा अदालत में प्रस्तुत किया था। वहीं अदालत ने याचिकाओं पर अंतिम फैसला आने तक ओबीसी के 27 फीसद आरक्षण पर रोक लगा रखी है।