जंगल बचाने के लिए 28 सेवानिवृत्त IFS अधिकारी हुए एकजुट, लिखा शिवराज को पत्र

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Ruchi Verma
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जंगल बचाने के लिए 28 सेवानिवृत्त IFS अधिकारी हुए एकजुट, लिखा शिवराज को पत्र

BHOPAL: मध्य प्रदेश के 28 सेवानिवृत्त वन अधिकारियों के समूह ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा हैं। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से राज्य के वनों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया है। रिटायर्ड IFS ऑफिसर्स फोरम (RIFS) के तहत भेजे गए पत्र में लटेरी में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और बुरहानपुर जिले में वन भूमि पर अतिक्रमण की घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। सेवानिवृत्त अधिकारीयों ने राज्य भर में वन अधिकारियों पर बढ़ते हमलों के बारे में भी निराशा और चिंता व्यक्त की हैं। हाल ही में हुई बुरहानपुर की घटना में 2,500 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि का अतिक्रमण किया गया था। बुरहानपुर के साथ ही गुना, छिंदवाड़ा, खंडवा, खरगोन और अन्य जिलों में इसी तरह की घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं। पत्र में अधिकारियों ने कहा है कि वन कर्मचारियों पर बार-बार हो रहे हमले सिर्फ व्यक्तियों के खिलाफ नहीं बल्कि राज्य पर ही हमला है। ये वन कर्मचारी पुलिस बल की तरह अतिरिक्त प्रोत्साहन के बिना काम करते हैं। रिटायर्ड अफसरों ने मांग की है  कि हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजरी का उपयोग करके बुरहानपुर में जंगल के नुकसान का आकलन किया जाना चाहिए। हालाँकि, पत्र में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के वनों को बचाने, 'एक पौधा रोज' अभियान के तहत वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और वन्य जीवन की रक्षा करने के प्रयासों के प्रशंसा भी की है।



नीति आयोग से फण्ड चाहिए तो वन संपदा को बचाना जरुरी 



सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अनुरोध किया है कि मुख्यमंत्री राजस्व, पुलिस, आदिवासी और कृषि सहित विभिन्न विभागों को स्पष्ट निर्देश जारी करें कि संविधान के अनुच्छेद 48-A के तहत पर्यावरण, वन और वन्य जीवों की सुरक्षा राज्य के सभी अंगों की जिम्मेदारी है। सेवानिवृत्त अधिकारीयों ने पत्र में इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के नीति आयोग ने भी अब राज्यों की वन संपदा की समृद्धि को बजट के आवंटन में वृद्धि के प्रमुख मानदंडों में के रूप में मान्यता दी है। इसी वजह से और राज्य के समृद्ध-विविध वनों को बचाने के लिए, पर्यावरण और पारिस्थितिक सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप बेहद जरुरी है।अधिकारियों ने कहा है कि मध्य प्रदेश को "टाइगर स्टेट", "तेंदुआ राज्य" और अब "चीता राज्य" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यहाँ के जंगल इसके जंगली आवास हैं। इसीलिए इन्हें किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए।



वन अधिकार अधिनियम-2006 के चलते ग्रामीणों के साथ-साथ अतिक्रमणकारी भी ताकतवर



रिटायर्ड अधिकारियों ने पत्र में कहा हैं कि वन अधिकार अधिनियम-2006 ने ग्रामीणों को अधिकार तो दिए लेकिन साथ ही अतिक्रमणकारियों को भी ताकत दी है। सेवानिवृत्त अधिकारीयों ने अनुरोध किया है कि ये सत्यापित करने के लिए कि 13 दिसंबर, 2005 के बाद वन भूमि पर किसी भी कब्जे को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नियमित किया जा सकता है या नहीं, उपग्रह चित्रों का उपयोग। किया जाए।



वन और पर्यावरण संरक्षण कानून-व्यवस्था का मुद्दा, राज्य उनकी रक्षा करने के लिए बाध्य



पत्र में भारत के संविधान के अनुच्छेद 48-A का हवाला दिया गया है, जो वन और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित है। सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा वैसे तो कि वन विभाग और अधिकारी वनों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होते हैं। लेकिन जब वन और पर्यावरण संरक्षण कानून और व्यवस्था का मुद्दा बन जाता है, तो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकारी के साथ-साथ राज्य भी जिम्मेदार होते हैं। चूंकि राज्य के जंगल सार्वजनिक संपत्ति हैं, इसलिए राज्य संवैधानिक रूप से उनकी रक्षा करने के लिए बाध्य है।



वनों को अतिक्रमण से मुक्त करवाने के लिए सरकारी मंशा जरुरी: जगदीश चंद्रा, रिटायर्ड वन अधिकारी



द सूत्र ने पूरे मामले में रिटायर्ड वन अधिकारी जगदीश चंद्रा से बात की तो उन्होंने वन अतिक्रमण को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, "बुरहानपुर जिले में 25 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने कब्ज़ा करने का प्रयास किया हैं। सैंकड़ों की संख्या में उन्होंने वहां के फारेस्ट स्टाफ, राजस्व अधिकारियों और पुलिस बल को पर हमले किये गए। इन हमलों में वन विभाग के 13 कर्मचारी और कुछ ग्रामीण घायल भी हुए। इसलिए इस मुद्दे को हमने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचाना जरुरी समझा।"



"उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जब भी वनों के अतिक्रमण के मामले आते हैं, तो वहां तो बुलडोज़र चला दिया जाता हैं और वनों को अतिक्रमण से मुक्त करवाया जाता हैं। तो मध्य प्रदेश में ऐसा क्यों नहीं हों सकता? पर इसके लिए सरकार के मन में मंशा होनी जरुरी हैं। MP में टाइगर, तेंदुआ और चीता जैसे जानवरों के इतने बड़े कुनबे को रखेंगे कहाँ? अगर हम वन नहीं बचाएंगे तो ग्लोबल वार्मिंग इतनी ज्यादा हों जाएगी कि हमारा जीना मुश्किल हों जाएगा।"



"क़ानून के मुताबिक़ मध्य प्रदेश के जंगलों से गिरी-पड़ी लकड़ी को उठाने से मनाही नहीं हैं।लेकिन अवैध तरीके से जांगले के जमीन पर कब्ज़ा करना लॉ एंड आर्डर का मामला हों जाता है। और इस तरह के मामलों में अकेला विभाग या अकेला जिले का DSP,कलेक्टर या DFO कुछ नहीं कर सकता। यहाँ पर राज्य शासन ही कुछ कर सकता हैं। बुरहानपुर का मामला भी लॉ एंड आर्डर का मामला है। जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार को ही लेनी पड़ेगी। हमें उम्मीद है कि हमारे अपील करने के बाद इसमें कोई न कोई कार्यवाही होगी।"


Forest Rights Act-2006 Article 48A of the Constitution Indian Forest Services वन अमले पर बढ़ते हमले Retired IFS Officers Forum of Madhya Pradesh (RIFS) वन भूमि का अतिक्रमण 'एक पौधा रोज' अभियान Cheetah State Tiger State SHIVRAJ SINGH CHOUHAN
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