600 रुपए महीने की पेंशन के लिए बैंकों के चक्कर काट रहे ढाई लाख बेसहारा

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Anjali Singh
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600 रुपए महीने की पेंशन के लिए बैंकों के चक्कर काट रहे ढाई लाख बेसहारा

BHOPAL. अंकुश मौर्य. सरकार हर योजना का डिजिटलाइजेशन करती जा रही है, लेकिन यही व्यवस्था अब आम लोगों के लिए मुसीबत बन रही है। मध्यप्रदेश के ढाई लाख बुजुर्ग और दिव्यांगों को पिछले दो महीने से पेंशन नहीं मिल रही है। इसकी वजह केंद्र सरकार का पब्लिक फाइनेंनशियल मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल बताया जा रहा है। 20 दिन रु. प्रतिदिन की सरकारी मदद के लिए बुजुर्गों और दिव्यागों को बैंकों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। लेकिन पेंशन कब मिलेगी ये कोई नहीं बता पा रहा।





कड़ी धूप में बैंक के बाहर खड़े रहते है बुजुर्ग





एक तरफ बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन करवाया जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ ये बुजुर्ग है जिन्हें 20 रु. रोजाना के लिए जद्दोजहद करना पड़ रही है। 65-70 वर्ष की उम्र में बुजुर्ग चिलचिलाती धूप में बैंकों के बाहर लाइन लगाने को मजबूर हैं। रोजाना इस आस में बैंक के दरवाजे पर पहुंचते हैं कि उनकी पेंशन खातों में आ गई होगी। इसलिए पास बुक लेकर आते हैं, लेकिन पासबुक में पेंशन की एंट्री नहीं दिखाई देती तो मायूस होकर घर लौट जाते है।





केंद्र के पोर्टल ने अटकाई पेंशन





बुजुर्गों और दिव्यांगों को पेंशन क्यों नहीं मिल रही, इसकी वजह जानने के लिए जब द सूत्र ने पड़ताल की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। दरअसल केंद्र सरकार के पीएफएमएस पोर्टल यानी पब्लिक फाइनेंनशियल मैनेजमेंट सिस्टम की वजह से पेंशन अटक गई है। केंद्र सरकार ने दिसंबर से ये पायलट प्रोजेक्ट लागू किया है। इस पोर्टल के आने से पहले बुजुर्गों को पेंशन सामाजिक न्याय विभाग के जरिए बंटती थी। यानी केंद्र सरकार अपनी योजनाओं का पैसा राज्य सरकार को देता था और फिर राज्य की तरफ बैंक खातों में पैसा दिया जाता था। लेकिन केंद्र ने व्यवस्था अपने हाथ में ले ली है। राज्य सरकार को पूरा डेटा पीएफएमएस पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा गया। सामाजिक न्याय विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट में करीब एक लाख निशक्त जनों का डेटा पीएफएमएस पोर्टल पर अपलोड किया, लेकिन पोर्टल से पैसा ट्रांसफर होने में दिक्कत हो रही है।





केंद्र को पत्र लिखा लेकिन जवाब नहीं आया





मामले में राज्य सरकार के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है। पेंशन में हो रही देरी को लेकर द सूत्र ने सामाजिक न्याय विभाग की उप संचालक डॉ. विवेकिन पचौरी से बात की तो उन्होंने माना की समस्या है और केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है। लेकिन चिट्ठी का अबतक कोई जवाब नहीं आया है।





केंद्र और राज्य की ये हैं 3-3 योजनाएं





केंद्र की 3 और राज्य की 3 योजनाओं के तहत करीब 49 लाख लोगों को 600-600 रु. पेंशन दी जाती है। इसमें केंद्र की इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के हितग्राहियों की संख्या है करीब 15 लाख, राष्ट्रीय विधवा पेंशन  योजना के हितग्राहियों की संख्या है करीब 5 लाख और निशक्त पेंशन योजना के हितग्राहियों की संख्या है करीब 1 लाख वहीं राज्य की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के हितग्राहियों की संख्या है करीब 26 लाख , मुख्यमंत्री  कन्या अभिभावक पेंशन योजना के हितग्राहियों की संख्या है करीब 58 हजार और विकलांगों को आर्थिक सहायता योजना के हितग्राहियों की संख्या है करीब 73 हजार। ये आंकड़ा तब है जब 2021-22 में सत्यापन के नाम पर विभाग ने करीब डेढ़ लाख हितग्राहियों के नाम काट दिए हैं। ऐसे में अब इन बुजुर्गों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।



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