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UJJAIN. उज्जैन केंद्रीय जेल भैरवगढ़ के सबसे बड़े घोटाले की मास्टरमाइंड एवं पूर्व जेल अधीक्षक उषा राज के बैंक लॉकर से एसआईटी टीम को तीन किलो से ज्यादा सोना, डायमंड ज्वेलरी और कई प्रॉपर्टी संबंधी दस्तावेज मिले हैं। वहीं, एफडी भी बरामद हुई है। बाजार में इस सोने की कीमत 18 से 24 करोड़ के बीच बताई जा रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक लॉकर से जुड़ी कार्रवाई देर रात तक चली। पुलिस की जांच में उषा राज द्वारा सहयोग नहीं करने पर पुलिस ने कोर्ट से बैंक लॉकर की जांच करने अनुमति ली, जिसके खुलते ही उषा राज को चक्कर आने लगा। पुलिस 5 अप्रैल को लॉकर में मिले ज्वेलरी दस्तावेज का खुलासा कर सकती है।
8 अप्रैल को खत्म हो रही पुलिस रिमांड
उज्जैन के केंद्रीय जेल भैरवगढ़ के 100 कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट से करोड़ों रुपए की राशि निकालने के मामले की मास्टरमाइंड इन दिनों पुलिस की रिमांड पर हैं। उन्होंने पुलिस की पूछताछ में कुछ खास जानकारी नहीं दी है। वहीं 8 अप्रैल को रिमांड खत्म होने जा रही है। मामले में डीपीएफ के अलावा पे-बिल सहित कई तरह की गड़बड़ी सामने आई है। इस बीच रिकवरी को लेकर पुलिस को कोर्ट ने उषा राज के लॉकर खोलने की अनुमति दी। जिसके बाद पुलिस की कई घंटे बैंक में जद्दोजहद करने के बाद, सेठी नगर की बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर खुलवाए जा सके।
पिता के हत्याकांड मामले में हो चुकी है जेल
उज्जैन जेल की पूर्व अधीक्षक उषा राज अपने ही पिता के हत्या के आरोप में तीन महीने जेल में रह चुकी हैं। ये बात अलग है कि बाद में उसे बरी कर दिया गया था। अभी वो पुलिस कस्टडी में रो रही हैं, लेकिन कुछ दिनों पहले तक उसका जलवा ऐसा था कि जेल में बंद अपराधियों की बात छोड़िए, जेल कर्मचारी भी उससे खौफ खाते थे। अब उषा के जेल जाने के बाद जेल कर्मचारी खुलकर उसके कारनामे उजागर कर रहे हैं। ज्ञात हो कि 15 करोड़ के गबन मामले में 18 मार्च को जेल अधीक्षक उषा राज को पुलिस ने जेल ने हिरासत में लिया। इस दौरान वह पुलिस पर भड़क गई। बोली- मुझे हाथ मत लगाना। मैं कोई कैदी या अपराधी नहीं हूं, जो फरार हो जाऊंगी।
क्या है केंद्रीय भैरवगढ़ जेल कांड
उज्जैन की केंद्रीय भैरवगढ़ जेल के 100 कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट से पिछले 5 साल में 15 करोड़ रुपए निकाल लिया गए। खास बात ये है कि न तो पीड़ितों ने पीएफ निकालने के लिए आवेदन किया, न ही दस्तखत किए, फिर भी उनके पीएफ अकाउंट से पैसे निकल गए। ट्रेजरी के अफसर के अफसर ने इस गबन को पकड़ा, जिसके बाद से मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
एसआईटी केस डायरी में ये नाम हुए शामिल
एसआईटी ने केस डायरी को मजबूत बनाने के लिए उप संचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास, एडीपीओ नीतेश कृष्णन, उमेशसिंह सेंगर को शामिल किया गया है। एसपी सचिन शर्मा के निर्देश के बाद केस डायरी तैयार करने में अभियोजन पक्ष मजबूत रहे व कोई कमी न रह जाए, इसलिए अब एसआईटी में अभियोजन अधिकारी भी हर पहलू को विधि अनुसार कागजी प्रक्रिया से मजबूत कराएंगे।
फरार जेल प्रहरी हुआ गिरफ्तार
जेल बंदी से जबरिया वसूली केस में फरार चल रहे जेल प्रहरी देवेंद्र चौहान को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है। वह रायसेन में अपनी बहन के यहां छिपा हुआ था। सीएसपी अनिल मौर्य ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है। बताया कि कोर्ट में पेश करने पर जेल प्रहरी व जगदीश परमार का एक दिन का रिमांड मिला है।
बैरक बदलते ही होती थी नोटों की बारिश
वैसे तो जेल, जेल ही होती है लेकिन केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में दो अलग-अलग बैरक हैं, जिसमें 'अ' बैरक कैदियों का मनपसंद है। जब भी कैदियों को परेशान किया जाना होता है या उनसे वसूली की जाना होती थी तो उन्हें दूसरे बैरक में डाल दिया जाता था। इंदौर के रहने वाले करण सिंह राणा ने इस मामले में भैरवगढ़ थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
जेल अधिकारियों की जेब होती है गर्म
केंद्रीय जेल में रहने वाले अपराधियों के परिजन पसंद की बैरक में रहने के लिए जेल अधिकारियों की जेब गर्म करते हैं। इसके अलावा अन्य कई सुविधाएं जैसे शैंपू, साबुन, ब्रश, कपड़े, खाना, फल, दूध, दवा आदि के नाम पर भी जमकर वसूली होती है।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
करण सिंह ने पुलिस को बताया कि उसके पिता गुरजीत सिंह 2018 से गंभीर अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उन्हें जेल में प्रताड़ित नहीं करने के नाम पर पूर्व जेल अधीक्षक ऊषा राज, जगदीश परमार और जेल प्रहरी देवेंद्र सिंह ने उनसे 80,000 की वूसली की। इसके अलावा सुविधा देने के नाम पर 10 हजार महीने की बंदी देने को कहा।