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SHEOPUR. श्योपुर के विजयपुर में एक हफ्ते पहले किडनैप हुए तीनों चरवाहे किडनैपर्स के चंगुल से छूटकर गांव पहुंच गए। पुलिस चरवाहों का पता नहीं लगा सकी और चरवाहे खुद ही किडनैपर्स के चंगुल से छूटकर आ गए। चरवाहे डकैतों की दी शारीरिक और मानसिक यातना को भुला नहीं पा रहे हैं। उन्होंने परिजन को दर्द भरी कहानी सुनाई।
मारपीट से नाजुक हुई एक चरवाहे की हालत
तीनों में से एक शख्स की हालत बेहद नाजुक है। वो सदमे में है। डकैतों ने उसके साथ ज्यादा मारपीट की है। चरवाहे को इलाज के लिए ग्वालियर रेफर करना पड़ा। दूसरा चरवाहा बीमार हो गया, उसे बुखार है। तीसरा चरवाहा ठीक से सो नहीं पा रहा है। उसे डर लगा रहता है कि डकैत उसे मारने आ रहे हैं। वो नींद में भी चिल्लाता है।
पैरों की उंगलियां और नाखूनों को जलाया
डकैतों के टॉर्चर से एक चरवाहे की हालत गंभीर हुई है। डकैतों ने उसे सबसे ज्यादा पीटा था। चरवाहे के पैरों की उंगलियां और नाखूनों को जला दिया। चरवाहे की हालत नाजुक बनी हुई है। एक और चरवाहा बीमार है।
चरवाहों ने सुनाई दर्द भरी कहानी
चरवाहों ने बताया कि शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात डकैतों ने उन्हें खूब पीटा था। इसके बाद वे उन्हें आंखों पर पट्टी बांधकर 20 किलोमीटर दूर जंगल में ले गए। चरवाहे 2 दिन और 2 रात लगातार चलते रहे। तीसरे दिन डकैतों ने खाने के लिए 1-1 रोटी थी। इसके बाद एक दिन फिर भूखा रखा।
जूतों से पानी पिलाते थे और शंटी से मारते थे
चरवाहों ने बताया कि प्यास लगने पर डकैत जूतों में भरकर पानी पिलाते थे। इसलिए वे कम ही पानी पीते थे। डकैत चरवाहों को बड़ी बेरहमी से पीटते थे। हाथ-पैर और पीठ पर हरे पेड़ों की लकड़ियों से मारते थे। ऐसा लगता था कि हम जिंदा नहीं बचेंगे। हर कभी बंदूक तानकर मारने आ जाते थे।
भूखे होने के बाद भी भागे
चरवाहों ने बताया कि भूख के मारे पेट दुखता रहता था। डकैतों के डर से जब चरवाहे वहां से निकले तो पूरी ताकत लगाकर भागे। 30 से 35 किलोमीटर दूर तक जी-जान से भागे। 3 बस बदलकर चरवाहे विजयपुर पहुंचे।
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चंबल के जंगल से लापता हुए थे चरवाहे
चंबल के जंगल से शनिवार को 7 चरवाहे लापता हुए थे। 24 घंटे में 4 चरवाहे लौट आए लेकिन 3 नहीं लौटे थे। उन चरवाहों के लिए 12 लाख की फिरौती मांगी गई थी। पुलिस हरकत में आई थी। 6 थानों की 8 टीमें चंबल के जंगल छानती रहीं लेकिन कोई सुराग नहीं मिला था।