MP का सतपुड़ा टाइगर रिजर्व देश में दूसरी नंबर पर, भारत के टॉप 12 में प्रदेश के 3 टाइगर रिजर्व, कान्हा 5वीं और पेंच को 8वीं रैंक

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BP Shrivastava
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MP का सतपुड़ा टाइगर रिजर्व देश में दूसरी नंबर पर, भारत के टॉप 12 में प्रदेश के 3 टाइगर रिजर्व, कान्हा 5वीं और पेंच को 8वीं रैंक

BHOPAL.  मध्यप्रदेश के लिए जंगल से अच्छी खबर आई है। यह खबर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) से मिली है। यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट में शामिल सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को एक उपलब्धि हासिल हुई है। इसके अलावा एसटीआर को देश के सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व में दूसरे नंबर की रैंक मिली है। जबकि पहले नंबर पर केरल के पेरियार टाइगर रिजर्व पार्क का नाम है। देश के टॉप 12 टाइगर रिजर्व में अब मध्यप्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व शामिल हो गए हैं। इनमें कान्हा टाइगर रिजर्व को पांचवीं और सिवनी के पेंच टाइगर रिजर्व को 8वीं रैंक मिली है।



पीएम मोदी ने एमईई रिपोर्ट में पेश किए आंकड़े



पहले स्थान पर केरला के पेरियार टाइगर रिजर्व पार्क रहा। उसे MEE score 94.38% मिले। दूसरे स्थान पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मप्र और तीसरे स्थान पर बांदीपुर टाइगर रिजर्व कर्नाटक (MEE score 93.18%) मिला है। इसके अलावा मध्यप्रदेश के बालाघाट का कान्हा टाइगर रिजर्व को पांचवीं और सिवनी के पेंच टाइगर रिजर्व को 8वीं रैंक मिली है। पीएम नरेंद्र मोदी ने मैसूर में रविवार, 9 अप्रैल को प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (एमईई) रिपोर्ट में यह आंकड़े जारी किए थे।



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सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को एक और उपलब्धि



यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट में शामिल मप्र के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) को एक और उपलब्धि मिली है। एसटीआर को देश के सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व में दूसरे नंबर की रैंक मिली। यह रैंक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बेहतर प्रबंधन, कार्य, बेहतर टीम के चलते हासिल हुआ है। यह रैंक देशभर के 51 टाइगर पार्क में मिली है।



मध्यप्रदेश में क्षमता से ज्यादा बाघ



मध्यप्रदेश में क्षमता के अधिक बाघ हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 124 बाघ मौजूद हैं। क्षमता 75 बाघों की हैं। इसी प्रकार पेंच टाइगर रिजर्व में 50 बाघों की क्षमता के विपरीत 82 बाघ हैं। प्रदेश में ऐसे ही हालात अन्य टाइगर रिजर्व के हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार चार नए अभयारण्य को बनाने की तैयारी भी कर रही है।



सात सालों में 189 बाघों ने तोड़ा दम



टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में बाघों के मौत के आंकड़े भी कम नहीं है। वन विभाग के मुताबिक बीते सात सालों में प्रदेश में अलग-अलग कारणों से 189 बाघों ने दम तोड़ा। सौ से अधिक बाघ, तो वर्चस्व की लड़ाई में दम तोड़ चुके हैं। वाइड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने बताया कि वन विभाग बाघों की सामान्य और वर्चस्व की लड़ाई में हुई मौत को एक मानता है। लेकिन, बाघों के आपसी संघर्ष को रोका जा सकता है। यदि विभाग बाघों की बढ़ती संख्या के हिसाब से क्षेत्र विस्तार के लिए तमाम पहल करता तो एमपी में बाघों की संख्या भी देश में सर्वाधिक होती। बता दें कि बाघ की औसत आयु भी 12 से 14 साल की होती है।


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