Jabalpur. डॉक्टरी की शिक्षा लेना ही नहीं मिली हुई सीट को छोड़ना भी बहुत महंगा है। नियमों के मुताबिक यदि किसी को मेडिकल की मास्टर्स यानि स्नातकोत्तर सीट में प्रवेश लेने के बाद उसे छोड़ना है तो उसके लिए सरकार को 30 लाख रुपए देने होंगे। ऐसे ही एक मामले में एक डॉक्टर ने अदालत की शरण ली है।
उक्त डॉक्टर पंकज मिश्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीट लिविंग बॉंड को चुनौती दी है। मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस डी के पालीवाल की खंडपीठ ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव, डीएमई और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डीन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
डॉ मिश्रा ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने प्रीपीजी उत्तीर्ण करने के बाद जबलपुर में मेडिकल कॉलेज में एमएस ऑर्थोपेडिक कोर्स में वर्ष 2020 में प्रवेश लिया था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड के चलते मिश्रा क्लास अटेंड नहीं कर पाए। उन्होंने कॉलेज प्रबंधन को बताया कि वे सीट छोड़ना चाहते हैं इसलिए उनके सभी शैक्षणिक दस्तावेज वापस कर दिए जाएं।
जिस पर प्रबंधन ने 7 जून 2022 को याचिकाकर्ता को पत्र लिखकर कहा कि वे सात दिन के भीतर रिपोर्ट करें नहीं तो उनका प्रवेश स्वमेव निरस्त हो जाएगा और उन्हें 30 लाख रुपए जमा करने होंगे। अधिवक्ता संघी ने कोर्ट से प्रार्थना की कि कोविड की विशेष परिस्थिति को देखते हुए सीट लिविंग बॉण्ड से छूट दी जाए और सभी शैक्षणिक दस्तावेज याचिकाकर्ता को वापस कराए जाएं।