Seoni. प्रधानमंत्री मोदी बाघों की बढ़ी हुई संख्या को लेकर वन विभाग की पीठ थपथपा चुके हैं, ऐसे में एक-एक बाघ के लिए वन विभाग और नेशनल पार्कों के प्रबंधन संजीदगी दिखा रहे हैं। सिवनी के पेंच में आज अपनी मां से बिछड़ चुके 4 माह के बाघ शावक को लोकेट कर उसका रेस्क्यू किया गया। शावक को फिलहाल पिंजड़े में रखा गया है। प्रबंधन अब उसकी बिछड़ी मां की लोकेशन ट्रेस कर रहा है। शावक को उसकी मां से मिलाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।
सिवनी के पेंच टाईगर रिजर्व के रूखड़ बफर क्षेत्र के साखदेही में 4 माह का नर शावक बाघिन से बिछड़कर अलग हो गया। पेंच टाईगर रिजर्व के अमले ने शावक का रेस्क्यू कर उसका स्वास्थ्य परीक्षण कर लिया है। अब उसे उसकी मां से मिलाने का आखिरी प्रयास किया जाएगा। यदि मां शावक को लेने नहीं आती है तो वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि रुखड बफर क्षेत्र के शाखादेही में तालाब के पास पानी पीते देखा गया था। जिसके बाद पेंच का अमला हरकत में आ गया था।
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मां ने नहीं अपनाया तो छोड़ना पड़ेगा जंगल
वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने बताया कि अमूमन बाघिन अपने शावकों को इस तरह कभी नहीं छोड़तीं। जब वन्य प्राणियों को किसी संक्रमण का पता चल जाता है तो वे इस तरह अपने बच्चों को छोड़ देते हैं। हालांकि स्वास्थ्य परीक्षण में शावक एकदम स्वस्थ पाया गया है। कभी-कभी बाकी के शावकों से साथ छूट जाने के समय भी ऐसा हो जाता है। वन्यप्राणी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बाघिन अपने शावक को नहीं अपनाती तो ऐसे शावक को जंगल में छोड़ना उसकी जान के लिए खतरनाक साबित होता है।
नर बाघ, लकड़बग्घों से भी खतरा
शावकों को सबसे ज्यादा खतरा अन्य नर बाघों से होता है, इसके अलावा लकड़बग्घे भी छोटे शावकों को अपना शिकार बना लेते हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश बाघों की संख्या के मामले में लंबे समय से अव्वल स्थान पर है। हाल ही में प्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या में भी बढ़ोतरी की जा चुकी है। माना यही जा रहा है कि यदि शावक को उसकी मां नहीं अपनाती तो फिर उसे पार्क के किसी बाड़े में या फिर चिड़ियाघर में शिफ्ट करना पड़ेगा। क्योंकि मां ही शावकों को शिकार के गुर सिखाती है, बिना शिकार करना सीखे बाघ शावक जंगल में सर्वाइव नहीं कर पाएगा।