आशीष मालवीय, अशोकनगर. यहां का करीला धाम देश भर के लोगों की आस्था का केंद्र है। ये प्रसिद्ध मंदिर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां रंगपंचमी पर 3 दिवसीय विशेष मेले का आयोजन होता है। इस बार मेले में 40 लाख से ज्यादा भक्तों के शामिल होने का अनुमान है। मंदिर समिति इसकी तैयारियों में जुट गई है। ये मेला मध्यभारत के सबसे बड़े मेलों में शुमार हैं। बुंदेलखंड का राई नृत्य इस मेले का प्रमुख आकर्षण है।
चुनाव जीतने की मन्नतें मांगी: मान्यता है कि यहां वाल्मीकि आश्रम था। इसी आश्रम में मां सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था। करीला मेले को मन्नतों का मेला भी कहा जाता है। यहां मन्नत मांगने के बाद मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु परंपरागत नृत्यांगनाओं से राई नृत्य कराते हैं। मंदिर की दान पेटियों से 250 से अधिक यूपी चुनाव प्रत्याशियों के मन्नत पत्र भी ट्रस्ट को मिले हैं। मेले के दौरान प्रसाद आदि सामग्री मंदिर परिसर के अंदर ले जाना प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही किसी भी राजनैतिक दल या संगठन के बैनर पोस्टर आदि लगाने पर भी प्रतिबंध रहेगा।
ललितपुर का झंडा सबसे पहले चढ़ता है: रंगपंचमी पर यहां देश भर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। वहीं विदिशा जिले में एक गांव है ललितपुर। कहा जाता है कि ललितपुर गांव से आने बाला झंडा ही मेले में सबसे पहले चढ़ाया जाता है। इसके बाद मंदिर में बनी दिव्य गुफा में अग्नि प्रज्वलित की जाती है और यह गुफा महज एक दिन ही खुलती है। इसके बाद मेले का शुभारंभ होता है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: करीला मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महेंद्र सिंह यादव ने बताया कि कोरोना की वजह से दो साल से मेला नहीं लगा है। इस बार मेले में 40 लाख भक्तों के आने का अनुमान है। इस बार यूपी के बुंदेलखंड से ज्यादा भक्त आएगे क्योंकि वहां इलेक्शन हुए थे और इस बार दान पेटियों से कैडिंडेट्स के मन्नत पत्र निकले हैं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि 20 से 30 फीसदी ज्यादा लोग यहां जुटेंगे। सुरक्षा के लिहाज से सीसीटीवी की संख्या दोगुनी कर दी गई है। पहले 50 कैमरों से निगरानी होती थी। इस बार 100 कैमरों से निगरानी होगी। ड्रोन से भी निगरानी रखी जाएगी।