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Niwari. मध्यप्रदेश में राम राजा सरकार की नगरी के नाम से विख्यात ओरछा को यूनेस्को की विश्व धरोहरों की लिस्ट में जगह मिल सकती है। इसको लेकर प्रशासनिक प्रक्रिया जारी है। हाल ही में ओरछा में आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट ने 500 साल पुराना शहर खोजा है। जो कि मिट्टी के टीलों में दफन हो गया था। वैसे तो ओरछा का नाम यूनेस्को की वर्तमान वर्ल्ड हेरिटेज की संभावित लिस्ट में है लेकिन यदि सब कुछ सही रहा तो अब यह पूर्ण विश्व विरासत का दर्जा पा लेगा। फिलहाल प्रदेश सरकार ने इससे जुड़े दस्तावेज केंद्र सरकार को भेजे हैं।
मांडू और भेड़ाघाट का भी प्रस्ताव तैयार
ओरछा के अलावा प्रदेश सरकार ने मांडू और भेड़ाघाट को भी विश्व विरासत की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार कराया है। संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव और मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड के प्रबंध संचालक शिव शेखर शुक्ला ने बताया है कि ओरछा का प्रदेश के साथ ही देश में बड़ा विशेष महत्व है जो कि अभी यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल है। इसे जल्द ही परमानेंट विश्व विरासत का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र को डोजियर भेजा जा चुका है।
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स्थापत्य कला के मशहूर है ओरछा
अपने अद्भुद स्थापत्य कला और सांस्कृति महत्व के लिए देश भर में ओरछा प्रसिद्ध है। अयोध्या के बाद ओरछा में रामराज अवतार की पूजा की जाती है। बेतवा नदी के किनारे बसे ओरछा शहर को प्राचीन और सांस्कृतिक महत्व वाला माना जाता है। यहां के मंदिरों और महलों की स्थापत्य कला बेजोड़ है। ओरछा के चतुर्भुज मंदिर और छतरियों को देखने दूर-दूर से पर्यटक ओरछा पहुंचते हैं। इसलिए इसे विश्व विरासत की स्थाई सूची में शामिल किए जाने की पेशकश राज्य सरकार द्वारा की गई है।
खुदाई में मिले शहर ने भी लगाए चार चांद
हाल ही में ऑर्कियोलॉजी विभाग द्वारा ओरछा में की गई खुदाई में मिले प्राचीन शहर के अवशेष भी इसकी प्रसिद्धि में चार चांद लगाएंगे। विभाग ने मिट्टी के टीलों की व्यवस्थित सफाई कर इस प्राचीन शहर को बाहर निकाला है। जो कि प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। लोग ओरछा जाकर इस प्राचीन शहर को भी देखना चाहते हैं।