BHOPAL. एक तरफ सरकार खस्ताहाल खजाने का हवाला देकर बचत की बात करती है। दूसरी तरफ मंत्रियों के बंगलों पर ही फिजूलखर्ची हो रही है। हमने आपको दिखाया था कि किस तरह मंत्रियों के बंगलों की साज सज्जा पर दो साल में 37 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। अब हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह सरकारी बिजली से इन मंत्रियों के बंगले 24 घंटे दूधिया रोशनी से नहा रहे हैं। भोपाल में मंत्रियों के सरकारी बंगलों पर पिछले दो साल में बिजली संबंधी कार्य और उसके बिल पर 5 करोड़ 14 लाख रुपए खर्च हुए हैं। मंत्रियों के बिजली बिलों के भुगतान की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की है। हैरानी की बात इसमें ये भी है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का 74 बंगले का सरकारी आवास जिसमें कोई नहीं रहता है, उसका बिल ही सवा लाख रुपए महीने आ रहा है।
सीएम का बिजली खर्च डेढ़ करोड़ से ज्यादा
शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं तो जाहिर है कि सबसे ज्यादा बिल उनके हिस्से में ही आया है। सीएम हाउस और उनके 74 बंगले स्थित सरकारी आवास पर पिछले दो साल में 1 करोड़ 55 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। मुख्यमंत्री निवास में बिजली की साज-सज्जा पर 73 लाख और बिजली बिल पर 55 लाख पर खर्च किए गए हैं। इस तरह 1 करोड़ 27 लाख से ज्यादा की मुख्यमंत्री निवास पर बिजली खर्च हुई है।
जहां सीएम रहते नहीं, वहां महीने का बिल सवा लाख
हैरानी की बात एक और है। मुख्यमंत्री का एक और सरकारी बंगला है। ये सरकारी आवास 74 बंगले में है। इसका नंबर बी-8 है। यहां पर निर्माण कार्य चल रहा है। यानी बी-8 और बी-9 को मिलाकर एक बंगला बनाया जा रहा है। यहां पर कोई रहता नहीं है फिर भी यहां का दो साल का बिजली बिल 28 लाख रुपए आया है। यानी सवा लाख रुपए महीने की यहां पर बिजली खर्च होती है।
गोपाल भार्गव 4 लाख रुपए महीने की बिजली जलाते हैं
सरकारी बंगलों की बिजली का बिल सरकार का लोक निर्माण विभाग भरता है और इसके मंत्री गोपाल भार्गव हैं। तो उनका हक भी सबसे ज्यादा बिजली जलाने का बनता है। गोपाल भार्गव 4 लाख रुपए महीने की बिजली जलाते हैं। पिछले दो साल में उनके बंगले की बिजली का खर्च 47 लाख रुपए का आया है।
इन मंत्रियों का बिल एक लाख रुपए महीने से ज्यादा
आइए आपको कुछ और मंत्रियों के नाम बताते हैं, जिनके बंगले का बिजली बिल एक लाख रुपए से ज्यादा आता है। इनमें कमल पटेल का सवा लाख रुपए महीने, भूपेंद्र सिंह का एक लाख, नरोत्तम मिश्रा का करीब एक लाख और सुरेश धाकड़, इंदर सिंह परमार, विजय शाह का एक लाख रुपए से थोड़ा सा कम महीने का बिजली बिल आता है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का बिल सबसे कम करीब 25 हजार रुपए महीने का है।
इनका मंत्रियों का दो साल का इतना बिजली बिल
- शिवराज सिंह चौहान - मुख्यमंत्री निवास : 1 करोड़ 27 लाख 30 हजार
इस तरह समझिए आम आदमी और मंत्रियों के बिल का अंतर
एक मध्यमवर्गीय आम आदमी, जिसके घर में टीवी, फ्रिज,एसी और वॉशिंग मशीन होती है, उसके यहां एक महीने में औसतन 200 यूनिट खर्च होती हैं। जिसका बिजली बिल 8 रुपए यूनिट के हिसाब से 1600 रुपए महीने का होता है। गर्मी के दिनों में ये बिल दो से तीन हजार रुपए तक बढ़ जाता है। यानी मध्यमवर्गीय आम आदमी पांच हजार रुपए महीने से कम बिजली पर खर्च करता है। माना कि मंत्रियों के निवास पर सरकारी काम होता है, लेकिन सवाल ये है क्या मंत्रालय के अलावा सरकारी निवास पर इतना काम होता है कि बिजली का बिल एक लाख से चार लाख रुपए महीने आए। वहीं एक महीने का बिजली बिल जमा न करने पर आम आदमी की बिजली कनेक्शन काट दिया जाता है, लेकिन लाखों का बिल होने के बाद भी मंत्रियों का बंगला बदस्तूर रोशनी से नहाया रहता है।
हम कम करेंगे बिजली बिल
हमेशा बिजली की निर्बाध आपूर्ति, लाइन लॉस कम करने और बिजली की फिजूलखर्ची न करने का दम भरने वाले ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर इस मामले में लाचार नजर आते हैं। उनके खुद के बंगले का बिजली बिल भले ही कम हो, लेकिन बाकी मंत्रियों पर उनका कोई जोर नहीं चलता है। वे इस बारे में सुधार करने की बात जरूर करते हैं।
खजाने की हालत खस्ताहाल, फिर भी फिजूलखर्ची कर रहे मंत्री
कांग्रेस मंत्रियों के भारी भरकम बिजली बिलों पर आपत्ति जता रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह कहते हैं कि खजाने की हालत खस्ता है सरकार गले—गले तक कर्ज में डूबी है। फिर भी इस तरह की फिजूलखर्ची कर रही है। आम आदमी और किसान का बिजली बिल बकाया होता है तो कनेक्शन काट दिया जाता है, लेकिन सरकारी बंगलों का लाखों रुपए का बिल बकाया है और बिजली कंपनियां कर्ज में डूबी हुई हैं। फिर भी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।