भोपाल. पीवीजीटी योजना में 74 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। पूर्व वित्तमंत्री तरुण भनोट के विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में इसका खुलासा हुआ है। ये राशि जनजातियों द्वारा की जाने वाली जैवित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए खर्च की जानी थी। तरुण भनोट का आरोप है कि बीजेपी सरकार की शह और अधिकारियों की मिली भगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया है। सवाल के जवाब में विभाग ने राशि को गलत खातों में ट्रांसफर करने की बात स्वीकार की है। इससे ये साफ होता है कि जनजातियों के 74 करोड़ रुपए मिलीभगत से डकार लिए गए।
ये है पूरा मामला: आदिवासियों द्वारा की जाने वाली खेती को प्रोत्साहित करने के लिए पीवीजीटी योजना (PVGT scheme) चलाई जा रही है। केंद्र सरकार ने 2016-17 के लिए 74 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की थी। ये राशि नियमों को ताक पर रखकर गैर आदिवासियों में बांट दी गई। मामले को लेकर भनोट ने विधानसभा प्रश्न लगाया था। जिसके जवाब में जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह मांडवे ने राशि को अपात्र लोगों के खाते में ट्रांसफर करने की बात स्वीकार की है। मीना ने बताया कि मामले से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, विभाग की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया।
आयोग ने जारी किया नोटिस: मामले में राष्ट्रीय जनजाति आयोग ने भी एक्शन लिया है। आयोग ने संबंधित अधिकारियों और अपात्र लाभार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। भनोत ने बताया कि आयोग ने गंभीरता से संज्ञान लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव और मंडला कलेक्टर के खिलाफ नोटिस जारी कर संबंधित अधिकारियों और अपात्र लाभार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। भनोट का आरोप है कि विधानसभा में विपक्ष के सवाल पर सरकार इस घोटाले से जुड़े अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रही है।