संजय गुप्ता, Indore. सिगरेट की टैक्स चोरी में सेंट्रल एक्साइडज(Central Exides) के 76 अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मिली है। जीएसटी इंटेलीजेंस की जांच में ये चौकाने वाला खुलासा हुआ है। डायरेक्टोरेट जनरल आफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) द्वारा सिगेरट के अवैध कारोबार(illegal cigarette trade) के खिलाफ किए गए। आपरेशन कर्क(Operation kark, ) के मामले में 2022 करोड़(2022 crore) (76 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी और 1946 करोड़ की जीएसटी व सेस चोरी) की टैक्स चोरी(Tax evasion) पकड़ी थी। इस मामले की जांच होने पर कई चौकाने वाले खुलासे हुए। द सूत्र के पास इंटेलीजेंस की कॉपी मौजूद है। जीएसटी इंटेलीजेंस ने जुलाई 2017 से जून 2020 के दौरान मेसर्स एलोरा टोबेको कंपनी लिमिटेड की ड्यूटी से अलग-अलग स्तर पर जुड़े 76 अधिकारियों की भूमिका की जांच की। इसमें निकलकर सामने आया कि विभाग के अफसरों ने किस तरह से कंपनी से मिलीभगत करके सरकार को करोड़ों रुपए के टैक्स की चपत लगाई है। इंटेलीजेंस ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में इन सभी 76 अधिकारियों के खिलाफ(against 76 officers) जांच की अनुशंसा की है।
इसमें से 11 अधिकारी (इंस्पेक्टर स्तर के) जो एलोरा टोबेको की फैक्टरी के बाहर आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में फिजिकल कंट्रोल ड्यूटी (physical control duty) पर थे उन्हें विभाग ने समन जारी कर बयान भी लिए हैं। विभाग ने सभी बयानों औऱ जांच के बाद उच्च स्तर पर इसकी अनुशंसा की है कि एक जुलाई 2017 से 15 जून 2020 के दौरान 76 अधिकारी मेसर्स एलोरा टोबेको कंपनी लिमिटेड(M/s Ellora Tobacco Company Limited) की ड्यूटी पर अलग-अलग स्तर पर रहे हैं। डीजीजीआई इसमें कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी( cadre controlling authority) से अलग से जांच की अनुशंसा करती है। जीएसटी इंटेलीजेंस ने 15 पन्नों में विभाग के अधिकारियों की भूमिका को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
इन अधिकारियों के लिए गए बयान
रवि सिंह, कुशल सिंह, भरत बाथम, मंजूर खान, अंकित कुमार, ब्रजमोहन मीना, दीपक अग्रवालस, दिनेश काटेकर, विनायक गजभिए, सुरेश रामभड, जितेंद्र कुमार ( अगस्त 2020 से मार्च 2021 के बीच जीएसटी इंटेलीजेंस द्वारा बयान लिए गए।
यह है नियम
सिगरेट उत्पादन संवेदशनील मुद्दा है, इसके लिए फरवरी 2015 में विभाग ने ट्रेड नोटिस जारी कर ड्यूटी आफिसर, इंस्पेक्टर जिन्हें फिजिकल कंट्रोल ड्यूटी अधिकारी भी कहते हैं, के लिए ड्यूटी निर्देश जारी किए हैं। समय-समय पर भी अलग निर्देश जारी हुए। इसमें खासतौर पर कहा गया है कि हर घंटे की हर मशीन की उत्पादन रिपोर्ट बनेगी, कोई मेंटनेंस, रिपेयर में है तो सूचना देना होगी, उत्पादन क्षमता से 50 फीसदी से कम होता है तो मशीन को ड्यूटी अधिकारी की उपस्थिति में सील किया जाएगा, मशीन की जांच भी इन्हीं की उपस्थिति में होगा आदि।
अफसरों ने ऐसे करवाई करोड़ों की टैक्स चोरी
सिगरेट कंपनी की डयूटी में तैनात अधिकारियों की रिपोर्ट की जांच में पाया कि इन्होंने लगातार रिपोर्ट में बताया कि फैक्टरी में लगी सात मशीन में से एक व दो में लगातार उत्पादन कम रहा। कई बार इन्हें 24 घंटे में से केवल 30 मिनट ही काम करते बताया गया। मशीन वन व टू के लिए कई बार कालम में लिखा गया ब्रेकडाउन टाइम, टाइम टेकन फार रिपेयर। वहीं मशीन तीन से लेकर सात तक तो सितंबर 2016 से लगातार टेस्ट एंड ट्रायल पर बताई गई, या फिर कालम को खाली रखा गया या फिर बेड कंडीशन लिखा। कायदे से इन्हें सील होना था। लगभग सभी रिपोर्ट एक जैसी बनाई गई है। पूछताछ में सामने आया कि अधिकारियों ने मशीन की उत्पादन क्षमता की जानकारी होने से ही इंकार कर दिया। कंपनी ने मशीन एक व दो के लिए औसतन 300 सिगरेट प्रति घंटे और तीन से सात के लिए 100 सिगरेट प्रति घंटे ही उत्पादन होना बताया जबकि 40 हजार प्रति घंटे की क्षमता है। इसके पहले कंपनी ने मशीन क्षमता साल 2010 में 72 हजार सिगरेट प्रति घंटे, फिर 2015 में 35 हजार और फिर 2021 में केवल 500 बताई है। इस पर किसी भी अधिकारी ने गौर नहीं किया और कंपनी ने निर्देशों का उल्लंघन किया और अपने नियमों को अपने हिसाब से मोड़ा।
रिपोर्ट बनाने में अधिकारियों की भारी लापारवाही
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मॉनीटरिंग रिपोर्ट बनाने में अधिकारियों ने भारी लापरवाही की और रिपोर्ट बनाने में भी दिमाग का उपयोग नहीं किया। रिपोर्ट रूटीन तरीके से बनाई गई। उच्च स्तर पर भी साप्ताहिक रिपोर्ट जाती है लेकिन कहीं भी ठोस एक्शन नहीं लिया गया। विभाग द्वारा आठ-आठ घंट के हिसाब से एक इंस्पेक्टर यानि दिन में तीन इंस्पेक्टर की ड्यूटी लगाई थी, सभी अधिकारियों के जवाब और ड्यूटी रिपोर्ट एक जैसी ही पाई गई।