मनोज चौबे, Gwalior. यहां बीते 5 साल में 767 महिलाओं और बच्चियों के गायब होने का मामला सामने आया है। एडवोकेट आशीष प्रताप सिंह ने एक RTI के जरिए ये जानकारी हासिल की है। पता चला कि 5 साल में 732 महिलाएं और 35 बच्चियां लापता हो गईं।
3 साल पहले मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए ग्वालियर के देह व्यापार के लिए कुख्यात इलाके बदनापुरा और रेशमपुरा में दबिश देकर मासूम बच्ची को बरामद किया था, लेकिन उसके बाद इस तरह की कार्रवाइयों पर लगाम लग गई।
एडवोकेट ने ये बताया
मामले में RTI लगाने वाले एडवोकेट आशीष प्रताप सिंह 2016 से फरवरी 2021 की जानकारी मिली है। 732 महिलाएं-35 बच्चियां लापता हैं। पुलिस से रिकॉर्ड मांगा तो पुलिस ने इसे नष्ट करना बताकर जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया। गायब हुई ज्यादातर महिलाएं और बच्चियां गरीब और असहाय परिवारों से आती हैं। पुलिस का कहना है कि जानकारी नहीं दी जा सकती, जबकि उनके पोर्टल पर 10 दिन की जानकारी रहती है।
पुलिस ने क्या कहा?
इस संबंध में जब ग्वालियर पुलिस के एडिशनल एसपी (क्राइम ) राजेश डंडौतिया ने कहा कि हम इन मामलों को प्राथमिकता से लेते हैं और हम लगातार अभियान चलाते रहते हैं। गायब युवतियों के संबंध में उनका कहना था कि कुछ मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जिनमें युवती अपनी मर्जी से चली जाती हैं। हम इन मामलों को प्रायोरिटी पर रखकर कार्रवाई करते हैं। गुमशुदा लोगों के मिलने पर उनके बयान के आधार पर एक्शन लिया जाता है। बीते कुछ सालों में इस तरह के केसेस को तेजी से सुलझाया गया है।
बेटी का पता नहीं, माता-पिता परेशान
बेटी की शादी करने और उसके सुखी जीवन की कामना करने वाले माता-पिता अब बेटी को दर-दर तलाश कर रहे हैं। पिता उमेश धनेलिया का आरोप है कि बच्ची ससुराल से गायब हो गई। दामाद विक्की ने बेटी वर्षा को गायब कर दिया है या मार दिया है। पुलिस में भी रिपोर्ट की, लेकिन पुलिस ने सख्ती से पूछताछ नहीं की, इसलिए विक्की खुला घूम रहा है। उसे कोई गिला-शिकवा नहीं है। ससुराल वाले बेटी से मिलने नहीं देते थे। कभी मिलने दिया तो सामने ही रहते थे। लड़की के फोन पर बात करने पर निगाह रखी जाती थी। 2018 में बेटी की शादी हुई थी, वह 7-8 महीने ही वहां रह पाई, अब कुछ पता नहीं।
रिपोर्ट दर्ज होती है, लेकिन मिटा भी दी जाती है
बड़ा सवाल ये है कि ग्वालियर जिले में एक हफ्ते में करीब 3 से 4 महिलाओं और बच्चियों की गुमशुदगी के केस दर्ज होते हैं। पुलिस के मुताबिक, हर मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई भी की जाती है। लेकिन गुमशुदा महिलाओं और बच्चियों के रिकॉर्ड नष्ट करने की क्या जरूरत है। जानकारी के मुताबिक, ऐसे 8-10 नहीं, बल्कि हजारों मामले ऐसे हैं, जिनमें पुलिस महिलाओं और बच्चियों को ढूंढ नहीं पाई।