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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में बिल्डर अनिल डोसी के ऑफिस में जाकर हेमंत यादव के रिवॉल्वर अड़ाने को लेकर पलासिया थाने में एफआईआर हो चुकी है, लेकिन 27 अप्रैल को हुई इस घटना के अभी तक कोई सीसीटीवी फुटेज ही पुलिस को नहीं मिले हैं। दरअसल, द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार रिवॉल्वर वाली कोई घटना हुई ही नहीं है और बिल्डर डोसी ने 8 करोड़ के विवाद के चलते ये एफआईआर भोपाल से एक मंत्री से मिली मदद के चलते कराई है।
सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले
बिल्डर ने अपने दफ्तर में दर्जनभर सीसीटीवी लगे होने के बाद भी किसी तरह के फुटेज पुलिस को नहीं दिए हैं और ना ही पलासिया पुलिस को ये फुटेज जांच में अभी तक मिले हैं। पलासिया टीआई संजय बैस ने द सूत्र को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि जांच जारी है, लेकिन अभी तक हमें किसी तरह के सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले हैं।
सौदे से पलटे डोसी, 8 करोड़ ज्यादा मांग रहे थे, क्या हुआ था उस दिन
द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार दातौदा गांव की 13 एकड़ जमीन को लेकर करीब 3 माह पहले बिल्डर डोसी और साजिद चंदनवाला की जमीन को लेकर हेमंत यादव के साथ मौखिक सौदा हुआ। जमीन का सौदा 1 करोड़ 10 लाख प्रति एकड़ में तय हुआ। यानी सौदा कुल 14 करोड़ 30 लाख का हुआ, जिसमें 14 लाख नकद में दे दिए गए और 11 लाख का चेक दिया जो डोसी ने बैंक में नहीं लगाया, लेकिन इसी जमीन का सौदा वजिंदर छाबड़ा से भी डोसी ने कर लिया और इसमें भी 60 लाख से ज्यादा राशि ले ली। दिल्ली की भी एक पार्टी से सौदा किया था। यादव ने बाद में इस सौदे को लिखित रूप देने की मांग की, तब दलाल के माध्यम से बताया गया कि सौदा अब 1 करोड़ 70 लाख प्रति एकड़ में होगा, यानी अब 13 एकड़ जमीन 14.30 करोड़ की जगह 22 करोड़ में मिलेगी। 8 करोड़ और ज्यादा लगेंगे। इसी से बात बिगड़ गई और यादव ने डोसी से कहा कि वो ज्यादा से ज्यादा सवा करोड़ प्रति एकड़ देंगे, क्योंकि सौदा तो पहले ही तय हो चुका है, लेकिन डोसी और चंदनवाला दोनों ने बात नहीं मानी। इसके बाद यादव 27 अप्रैल की दोपहर में डोसी के मालव टॉवर ऑफिस में गए और पूरा सौदा बनाकर लेकर गए। रिवॉल्वर अड़ाने वाली बात ही नहीं हुई और दोनों के बीच हुई चर्चा के बाद डोसी ने फिर सौदे पर हस्ताक्षर किए और इसका एक सेट डोसी ने रख लिया।
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फिर भोपाल से आया मंत्री जी का फोन
इस घटना के बाद डोसी ने अपने संबंधों को लाभ लेते हुए हाईप्रोफाइल मंत्री को जानकारी दी, इसके बाद थाने में शिकायत की गई। साथ ही शिकायती पत्र को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। इस मामले की जानकारी लगते ही विधायक ने डोसी से मुलाकात की और मामले को बातचीत कर सुलझा लेने की बात कही और मामला आया-गया हो गया, लेकिन इस मामले में भोपाल से फिर आए फोन के बाद फिर अड़ीबाजी कर वसूली की धाराओं को लेकर यादव पर एफआईआर हो गई।