रीवा. यहां के एक किसान धर्मजय सिंह का कोरोना से 11 जनवरी को निधन (corona death) हो गया है। उनका इलाज 245 दिन यानी 8 महीने से ज्यादा समय से चल रहा था। उनके इलाज पर परिजन के करीब 8 करोड़ रुपए खर्च (Riwa farmers 8 crore treatment) हो गए। फिर भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। संभवत: देश का ये पहला ऐसा मामला है, जब कोरोना के मरीज का 8 से ज्यादा महीने (8 month corona teatment) इलाज चला हो। परिजन ने मध्यप्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई, लेकिन मदद के रूप में सिर्फ 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता ही मिल पाई।
अप्रैल में हुए थे संक्रमित: 50 वर्षीय धर्मजय मऊगंज क्षेत्र के रकरी गांव (Rakri village) में रहते थे। उनके परिजन ने बताया कि अप्रैल 2021 में वो संक्रमित हुए थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें रीवा के संजय गांधी अस्पताल (Sanjay gandhi medical college riwa) में भर्ती कराया गया। इसके बाद 18 मई को एयर एबुंलेंस के जरिए उन्हें चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। तब से वही उनका इलाज चल रहा था। यहां एक हफ्ते पहले ब्लड प्रेशर लो होने के कारण उनका ब्रेन हेमरेज हो गया।
एक्मो मशीन पर शिफ्ट किया गया: धर्मजय के फेफड़े 100 प्रतिशत संक्रमित हो चुके थे। फेफड़े फेल होने के कारण उन्हें एक्मो मशीन (Ecmo machine) में रखा गया था। इसमें कृत्रिम तरीके से खून को शरीर से निकालकर दोबारा डाला जाता है। ताकि शरीर का ऑक्सीजन लेवल मेंटेन रहे। यह इलाज काफी महंगा होता है। इसमें रोजाना 2 से 3 लाख रुपए तक का खर्च आता है। इस दौरान धर्मजय का देश-विदेश के बड़े डॉक्टरों ने इलाज किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
इलाज के लिए बेच दी 50 एकड़ जमीन: बता दें कि करीब एक साल तक चले इलाज के दौरान उनके परिवार ने 50 एकड़ जमीन को बेच दिया था। क्योंकि रोजाना उनके इलाज पर 3 लाख रुपए खर्च होते थे। बस सभी यही चहाते थे कि किसी तरह वह ठीक हो जाएं। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उनकी जान नहीं बच सकी। धर्मजय सिंह के पास 100 एकड़ से ज्यादा जमीन थी। घर लोग चाहते थे कि अगर वह जिंदा नहीं रहेंग तो यह जमीन किस काम की।