नासिर बेलिम रंगरेज़, Ujjain. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में अंधविश्वास का खेल चल रहा है। नीलगंगा क्षेत्र के विष्णु प्रसाद पर लोगों को डॉक्टर से ज्यादा भरोसा है। विष्णु जहरीले जानवरों के काटने पर इलाज करने का दावा करता है। वो खून चूसकर जहर निकालता है और खुद को विष पुरुष बताता है।
अंधविश्वास पर टिका धंधा
उज्जैन के नीलगंगा क्षेत्र में रहने वाला विष्णु खुद को विष पुरुष बताता है। उसका दावा है कि वो जहरीले जानवरों के काटने पर घायल के शरीर से खून चूसकर सांप, बिच्छू और कुत्ते के काटने का भी जहर निकाल देता है। इलाज का दावा करने से पहले वो काटी गई जगह (जहां जहरीले जानवर ने काटा हो) पर ब्लेड से कट लगाता है। खून को जहर का नाम देकर अपने मुंह से खराब खून चूसता है।
20 साल से लोगों का इलाज करने का दावा
विष्णु प्रसाद के घर पर रोजाना जहर निकलवाने आने वालों की भीड़ लगी रहती है। लोग लंबी कतार में खड़े मिलते हैं। विष्णु के मुताबिक 20 साल से वो इसी तरह लोगों का इलाज कर रहा है। पहले उसके परिवार में उसके पिता लोगों का इलाज किया करते थे। अब उस काम को विष्णु कर रहा है। विष्णु का दावा है कि जानवर के काटने पर वो अपने मुंह से खून चूसकर जहर निकाल देता है। उसे ये कार्य करने के लिए भगवान का आशीर्वाद प्राप्त है।
दूर-दूर से इलाज कराने आते हैं लोग
जहरीले जानवरों और खासतौर पर कुत्ते के काटने से हुई रेबीज बीमारी का इलाज करवाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। विष्णु से इलाज कराने आसपास के शहरों से ही नहीं दूसरे राज्यों तक से लोग आते हैं। विष्णु अपने यहां एक रजिस्टर भी रखता है। इसमें मरीज का नाम, पता और बेसिक डिटेल रखी जाती है। विष्णु के घर पर गुजरात के मोरवी से 12 लोग आए हुए थे। सभी को एक ही दिन में कुत्ते ने काटा था। इनमें छोटे बच्चे भी थे। कुत्ते ने एक बच्चे के मुंह पर काटा था। विष्णु ने बच्चे के गाल पर ब्लेड चलाकर खून निकाला और उसे चूसने लगा। उसने ये भी दावा किया कि उसके खून चूसने के बाद एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने की भी जरूरत नहीं।
100 रुपए में इलाज करता है विष्णु
इलाज से पहले विष्णु ने अपने घर के सामने टीनशेड के नीचे भैरव मंदिर में 20 मिनट तक पूजा की। फिर कंडे जलाकर उसमें तेल और पतासे का भोग लगाया। परिजन की कतार अलग थी और पीड़ितों की अलग। विष्णु ने बताया कि लोगों के इलाज से पहले वो पूजा करता है। इससे उसमें शक्ति आ जाती है। सबसे ज्यादा मरीज कुत्ते के काटने के आते हैं। इलाज के लिए 100 रुपए फीस ली जाती है।
ब्लेड से काटना गलत, ये 'अंधविश्वास'
सिविल हॉस्पिटल के डॉ. एमएस चौहान ने इस दावे को अंधविश्वास बताया। उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी जानवर काटे, प्राथमिक तौर पर इलाज करके जो लोग आते हैं तो उनके घाव की कंडीशन गंभीर नहीं होती। इसके लिए सिर्फ आपको साफ पानी से घाव को धोना है। घाव को ओपन रखें। एंटीसेप्टिक क्रीम लगा सकते हैं। ब्लेड से काटना गलत है।